पाठ्यक्रम: GS3/ रक्षा
संदर्भ
- रक्षा मंत्रालय (MoD) ने 2025 को “रक्षा सुधार वर्ष” घोषित किया है, जो अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण की आवश्यकता
- देश की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता एवं सामरिक हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत और आधुनिक सेना आवश्यक है।
- यह साइबर, अंतरिक्ष एवं पारंपरिक युद्ध सहित बहु-क्षेत्रीय संघर्षों से निपटने के लिए तत्परता सुनिश्चित करता है।
प्रमुख विशेषताएँ
- एकीकृत थिएटर कमांड का संचालन: यह एकीकृत कमांड सेना, नौसेना एवं वायु सेना को एकीकृत करके तीनों सेवाओं के बीच तालमेल को बढ़ाएगा।
- प्रत्येक कमांड साझा संसाधनों का उपयोग करके विशिष्ट भौगोलिक चुनौतियों का समाधान करेगा।
- संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करता है और डोमेन में संयुक्त संचालन को सुनिश्चित करता है।
- तकनीकी प्रगति: साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष संचालन एवं उभरती प्रौद्योगिकियों पर जोर:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
- मशीन लर्निंग (ML)
- हाइपरसोनिक सिस्टम
- रोबोटिक्स
- मल्टी-डोमेन एकीकृत संचालन पर ध्यान केंद्रित करना।
- सुव्यवस्थित खरीद: तीव्र क्षमता विकास के लिए अधिग्रहण प्रक्रियाओं का सरलीकरण।
- स्वदेशी विनिर्माण एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
- सहयोग और एकीकरण: रक्षा हितधारकों के बीच मतभेदों को दूर करना।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करना।
- रक्षा एवं नागरिक उद्योगों के बीच सहयोग.
- निर्यात-उन्मुख दृष्टिकोण: भारत को रक्षा उत्पादों के एक विश्वसनीय निर्यातक के रूप में स्थापित करना।
- विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) के साथ साझेदारी का निर्माण करना।
- अनुसंधान एवं विकास (R&D): रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचार के लिए अनुसंधान एवं विकास को मजबूत करना।
- स्वदेशी समाधानों को बढ़ावा देने के लिए साझेदारियाँ स्थापित करना।
प्रभाव
- ये सुधार भारत की संप्रभुता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे तथा उभरते खतरों से निपटने के लिए एक मजबूत रक्षा बुनियादी ढाँचा उपलब्ध कराएँगे।
- यह निर्यात क्षमताओं के साथ आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति बनने के भारत के लक्ष्य को बढ़ावा देता है, तथा आर्थिक विकास में योगदान देता है।
- इससे भारत की वैश्विक रक्षा साझेदारी मजबूत होगी एवं अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकियों में अग्रणी के रूप में इसकी स्थिति मजबूत होगी।
हाल ही में किए गए रक्षा सुधार
- चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS): सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए 2020 में स्थापित किया गया।
- अग्निपथ योजना: आधुनिकीकरण एवं पेंशन लागत को कम करने के लिए 4 वर्षों के लिए सैनिकों की अल्पकालिक भर्ती।
- आत्मनिर्भर भारत: नकारात्मक आयात सूची एवं रक्षा औद्योगिक गलियारों के साथ स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करना।
- सरलीकृत खरीद: रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 खरीद में तेजी लाने और सरलीकरण के लिए।
- रक्षा निर्यात: 2025 तक 5 बिलियन डॉलर का लक्ष्य; उदाहरणों में ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात सम्मिलित है।
- अंतरिक्ष एवं साइबर एजेंसियाँ: रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (DAS) और साइबर एजेंसी (DCA) की स्थापना।
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास: iDEX (रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार) के माध्यम से स्टार्टअप्स और MSMEs को बढ़ावा देना।
Source: PIB
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