आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना

पाठ्यक्रम : GS 2/शासन व्यवस्था

समाचार में

  • हाल के वर्षों में भारत में आधार को मतदाता पहचान-पत्र से जोड़ने पर महत्त्वपूर्ण परिचर्चा हुई है।

पहल का परिचय

  • भारत सरकार ने आधार को मतदाता पहचान पत्र या मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) से जोड़ने की सुविधा प्रारंभ की है।
  • आधार के साथ EPIC लिंक भारत सरकार का चुनाव के दौरान मतदाता सर्वेक्षण में होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए अभियान है।
  • मतदाता पहचान पत्र प्रणाली में अनेकों विसंगतियां हैं, जिन्हें वोटर ID को आधार कार्ड से जोड़ने के बाद टाला जा सकता है।

आधार को मतदाता पहचान-पत्र से जोड़ने के लाभ:

  • डुप्लिकेट मतदाता पहचान-पत्रों में कमी: आधार को लिंक करने से त्रुटियों या संशोधन के कारण एक व्यक्ति को जारी किए गए कई मतदाता पहचान-पत्रों को हटाने में सहायता मिलती है।
    • आधार व्यक्तियों को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है और ऑनलाइन वास्तविक समय प्रमाणीकरण प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित करने में सहायता मिलती है कि कोई डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र न हो।
    • इससे एक ही व्यक्ति द्वारा एक से अधिक पंजीकरण को रोकने में सहायता मिल सकती है, विशेष रूप से घरेलू प्रवास के मामलों में।
  • पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा में वृद्धि: आधार वास्तविक समय सत्यापन उपलब्ध कराता है, छद्मवेश में कमी लाता है और चुनावी विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
  • स्वच्छ मतदाता सूची: यह डुप्लिकेट या गलत मतदाता प्रविष्टियों की पहचान करने और उन्हें हटाने में सहायता करता है, जिससे एक सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित होती है।
  • कुशल चुनाव प्रबंधन: यह मतदाताओं पर आसानी से नज़र रखने, चुनाव प्रक्रियाओं में त्रुटियों और धोखाधड़ी को कम करने में सहायता करता है।

चुनाव आयोग का प्रस्ताव

  • चुनाव आयोग (EC) ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता नामांकन फॉर्म में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, ताकि मतदाताओं को अपने मतदाता पहचान पत्र के साथ आधार को न जोड़ने का औचित्य बताने वाले प्रावधान को हटाया जा सके।
  • केंद्रीय विधि मंत्रालय ने प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि स्पष्टीकरण पर्याप्त होगा।
  • 2019 में, चुनाव आयोग ने फिर से आधार को मतदाता सूची से जोड़ने का प्रस्ताव रखा।
  • चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को दिसंबर 2021 में संसद द्वारा पारित किया गया, जिसमें स्वैच्छिक लिंकेज की अनुमति दी गई और जुलाई 2022 से आधार संख्या का संग्रह फिर से प्रारंभ हो गया।

चुनौतियाँ

  • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: एक तर्क यह है कि आधार को मतदाता पहचान-पत्र से जोड़ने से गोपनीयता के अधिकारों से समझौता होगा, क्योंकि इससे आधार डेटा प्रकट हो जाएगा।
    • मजबूत डेटा संरक्षण कानून के बिना, आधार डेटा को साझा करने से उल्लंघन हो सकता है, जिसमें लक्षित राजनीतिक विज्ञापन के लिए दुरुपयोग भी शामिल है।
  • गैर-नागरिकों का बहिष्कार: आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, जिसके कारण गैर-नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जा सकता है।
  • मतदाता नामांकन संबंधी समस्याएं: ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले या आधार न रखने वाले नागरिकों को सूची से बाहर रखा जा सकता है, तथा बायोमेट्रिक डेटा में अशुद्धि के कारण प्रमाणीकरण संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • प्रशासनिक एवं तकनीकी चुनौतियाँ: आधार कार्ड डुप्लिकेट मतदाता पहचान-पत्रों को समाप्त करने में तो सहायता कर सकता है, लेकिन यह अन्य चुनावी मुद्दों, जैसे धोखाधड़ी, हेरफेर या प्रक्रिया में मानवीय त्रुटियों को हल नहीं कर सकता है।
    • ये समस्याएं प्रौद्योगिकी की पहुँच से परे हैं और इनके लिए प्रशासनिक निष्ठा की आवश्यकता है।

 सुझाव और आगे की राह 

  • आधार को मतदाता पहचान-पत्र से जोड़ने से चुनाव प्रक्रिया सुदृढ़ हो सकती है, लेकिन इसके लिए गोपनीयता, समावेशिता और तकनीकी चुनौतियों का समाधान करना होगा।
  • पारदर्शी योजना और सुरक्षा उपाय निष्पक्ष, सुरक्षित एवं लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भारत निर्वाचन आयोग को मतदाता सूचियों में विसंगतियों को दूर करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

Source:TH