पाठ्यक्रम: GS2/विकास, स्वास्थ्य, GS3/बुनियादी ढाँचे से संबंधित मुद्दे
संदर्भ
- हाल ही में, भारत के उच्चतम न्यायालय ने समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता पर बल दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य टिप्पणियाँ
- बुनियादी ढाँचे पर ध्यान देना: न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण जनसंख्या के जीवन स्तर में सुधार के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और स्वच्छता तक पहुँच सुनिश्चित करना आवश्यक है।
- बजटीय आवंटन: इसने सुझाव दिया कि राज्य अपने बजट का कम से कम 10-15% ग्रामीण बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के लिए आवंटित करना, ताकि संसाधन वितरण में लंबे समय से चली आ रही असमानताओं को दूर किया जा सके।
- पुस्तकालय बनाम बुनियादी जरूरतें: न्यायालय ने सार्वजनिक पुस्तकालयों के महत्त्व को स्वीकार किया और इस बात पर बल दिया कि तत्काल प्राथमिकताओं में भूख, स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा को संबोधित करना शामिल होना चाहिए।
भारत में ग्रामीण परिदृश्य: ग्रामीण भारत में सकारात्मक परिवर्तन
- भारत में 6.65 लाख गाँव हैं, जिनमें 2.68 लाख ग्राम पंचायतें और ग्रामीण स्थानीय निकाय हैं, जो देश के ग्रामीण परिदृश्य की रीढ़ हैं।
- राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) रिपोर्ट: 2015-16 और 2019-21 के बीच 24.85% से घटकर 14.96% हो गया (इस अवधि के दौरान 13.5 करोड़ व्यक्ति बहुआयामी गरीबी से बच गए)।
- ग्रामीण इंटरनेट कनेक्टिविटी: भारत में 954.40 मिलियन इंटरनेट ग्राहक थे (मार्च 2024)। इसमें से 398.35 मिलियन ग्रामीण इंटरनेट ग्राहक थे।
- आय वितरण (गिनी गुणांक): ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वित्त वर्ष 22-23 में 0.266 से घटकर वित्त वर्ष 23-24 में 0.237 हो गया।
- ग्रामीण मजदूरी वृद्धि: श्रम ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में ग्रामीण मजदूरी में प्रत्येक महीने साल-दर-साल 4% से अधिक की वृद्धि देखी गई:
- कृषि मजदूरी में पुरुषों के लिए 5.7% और महिलाओं के लिए 7% की वृद्धि हुई।
- गैर-कृषि मजदूरी में पुरुषों के लिए 5.5% और महिलाओं के लिए 7.9% की वृद्धि हुई।
- 2024 की वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) ग्रामीण शिक्षा में सुधार को दर्शाती है, जिसमें प्राथमिक शिक्षा में नामांकन और सीखने के परिणाम शामिल हैं, जिसमें बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता पर ध्यान केंद्रित किया गया है, और बड़े बच्चों के बीच डिजिटल साक्षरता में वृद्धि हुई है।
प्रमुख सरकारी पहल
- ग्रामीण भारत में शिक्षा:
- समग्र शिक्षा अभियान: सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों को एकीकृत करता है।
- मिड-डे मील योजना: इसका उद्देश्य पोषण और उपस्थिति दर में सुधार करना है।
- डिजिटल इंडिया पहल: ग्रामीण विद्यालयों में ई-लर्निंग और स्मार्ट कक्षाओं को बढ़ावा देना।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
- ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य और स्वच्छता:
- स्वच्छ भारत अभियान (G): वर्तमान में चरण 2 में ODF स्थिति को बनाए रखने, 2024-25 तक ठोस और तरल अपशिष्ट का प्रबंधन करने और सभी गाँवों को ODF से ODF प्लस मॉडल में बदलने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
- अन्य योजनाओं में दीनदयाल अंत्योदय योजना-एनआरएलएम, आयुष्मान भारत योजना (PM-JAY), पोषण अभियान, जन औषधि योजना, संपूर्ण स्वच्छता अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (2005) शामिल हैं।

- सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की बेहतरी के लिए:
- जल आपूर्ति – जल जीवन मिशन (2028 तक विस्तारित): नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण के माध्यम से ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं का संचालन और रखरखाव, जिसे ‘जन भागीदारी’ के रूप में जाना जाता है।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए उत्प्रेरक के रूप में भारतीय डाक: 1.5 लाख ग्रामीण डाकघर, इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक और 2.4 लाख डाक सेवक।
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) – सड़कें: एक ही मौसम-अनुकूल सड़क के माध्यम से ग्रामीण संपर्क।
- प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) – आवास
ग्रामीण विकास में चुनौतियाँ
- वित्तीय बाधाएँ: राज्य अक्सर सीमित बजट को व्यापक ग्रामीण विकास कार्यक्रमों को लागू करने में बाधा बताते हैं।
- अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: कई गाँवों में अभी भी स्वच्छ पेयजल, कार्यात्मक स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
- नीतिगत फोकस का अभाव: ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लक्षित नीतियों की अनुपस्थिति ने असमान विकास और लगातार असमानताओं को जन्म दिया है।
आगे की राह
- एकीकृत विकास दृष्टिकोण: सरकारों को एक समग्र रणनीति अपनानी चाहिए जो सतत ग्रामीण विकास सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और स्वच्छता को एक साथ संबोधित करे।
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR): न्यायालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में ई-लाइब्रेरी और अन्य आवश्यक सुविधाओं की स्थापना के लिए CSR निधि का लाभ उठाने का सुझाव दिया।
- सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को विकास पहलों का स्वामित्व लेने के लिए सशक्त बनाने से अधिक प्रभावी और टिकाऊ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
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