पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- मालदीव के विदेश मंत्री तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आए हैं। उनका उद्देश्य व्यापार एवं निवेश जैसे प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करना है।
मालदीव एवं इसका महत्त्व
- सामरिक महत्त्व: मालदीव हिंद महासागर में सामरिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण स्थान पर स्थित है और इसकी स्थिरता एवं सुरक्षा भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- व्यापार मार्ग: अदन की खाड़ी एवं मलक्का जलडमरूमध्य के बीच महत्त्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों पर स्थित मालदीव भारत के लगभग आधे बाहरी व्यापार और 80% ऊर्जा आयात के लिए “टोल गेट” के रूप में कार्य करता है।.
- चीन का प्रतिसंतुलन: मालदीव भारत के लिए हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव का प्रतिसंतुलन करने तथा क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बढ़ावा देने का अवसर प्रस्तुत करता है।
भारत-मालदीव पर संक्षिप्त विवरण
- विभिन्न मंचों में भागीदारी: दोनों देश दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC), दक्षिण एशियाई आर्थिक संघ के संस्थापक सदस्य हैं तथा दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षरकर्ता हैं।
- आर्थिक साझेदारी: भारत 2023 में मालदीव का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बनकर उभरा।
- भारत मालदीव के लिए सबसे बड़े निवेशकों एवं पर्यटन बाज़ारों में से एक है, जहाँ महत्त्वपूर्ण व्यापार एवं बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ चल रही हैं। 2023 में, भारत 11.8% बाज़ार हिस्सेदारी के साथ मालदीव के लिए अग्रणी स्रोत बाज़ार होगा।
- रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग: 1988 से रक्षा एवं सुरक्षा भारत और मालदीव के बीच सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है।
- रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए 2016 में रक्षा के लिए एक व्यापक कार्य योजना पर भी हस्ताक्षर किए गए।
- अनुमान है कि मालदीव का लगभग 70% रक्षा प्रशिक्षण भारत द्वारा किया जाता है।
- कनेक्टिविटी: माले से थिलाफुशी लिंक परियोजना, जिसे ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMC) के नाम से जाना जाता है, 530 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बुनियादी ढांँचा परियोजना है।
- इस परियोजना का उद्देश्य माले को विलिंगिली, गुलहिफाल्हू एवं थिलाफुशी द्वीपों से पुलों, बाँधों एवं सड़कों की एक श्रृंखला के माध्यम से जोड़ना है।
- यह परियोजना प्रस्तावित गुलहिफाल्हू बंदरगाह के लिए महत्त्वपूर्ण है, और मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख उत्प्रेरक होगी।
संबंधों में चुनौतियाँ
- मालदीव में घरेलू अशांति: हाल की राजनीतिक अशांति एवं सरकार में परिवर्तन से अनिश्चितता उत्पन्न हुई है और दीर्घकालिक सहयोग परियोजनाएँ जटिल हो गई हैं।
- चीनी प्रभाव: मालदीव में चीन की बढ़ती आर्थिक उपस्थिति, जो बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश एवं ऋण-जाल कूटनीति से प्रमाणित होती है, को इस क्षेत्र में भारत के सामरिक हितों के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जाता है।
- गैर-परंपरागत जोख़िम: समुद्री डकैती, आतंकवाद एवं मादक पदार्थों की तस्करी इस क्षेत्र में चिंता का विषय बने हुए हैं, जिसके लिए भारत तथा मालदीव के बीच निरंतर सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करने की आवश्यकता है।
- व्यापार असंतुलन: भारत एवं मालदीव के बीच महत्त्वपूर्ण व्यापार असंतुलन असंतोष को उत्पन्न करता है तथा व्यापार साझेदारी में विविधता लाने की माँग करता है।
आगे की राह
- भारत-मालदीव संबंधों का विकास भू-राजनीतिक गतिशीलता, नेतृत्व में परिवर्तन एवं साझा क्षेत्रीय हितों के संयोजन को दर्शाता है।
- भारत मालदीव के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं में दृढ़ है और संबंध बनाने के लिए हमेशा अतिरिक्त प्रयास करता रहा है।
- चुनौतियों को स्वीकार करके और उनका समाधान करके, भारत एवं मालदीव अपने संबंधों की जटिलताओं को दूर कर सकते हैं। भविष्य के लिए अधिक मजबूत, अधिक लचीली एवं पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी का निर्माण कर सकते हैं।
Source: HT
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संक्षिप्त समाचार 03-01-2025