पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इसे 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लिए खोलने की घोषणा की है, जो पहले 74% की सीमा थी।
वैश्विक तुलना: कनाडा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया एवं चीन जैसे देश बीमा में 100% FDI की अनुमति देते हैं, और भारत को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने से यह विदेशी बीमा कंपनियों के लिए अधिक आकर्षक बन जाएगा। |
क्या आप जानते हैं? भारत में बीमा की अवधारणा का इतिहास काफी पुराना है, जिसका उल्लेख मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य के धर्मशास्त्र और कौटिल्य के अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। इन लेखों में आग, बाढ़, महामारी और अकाल जैसी आपदाओं के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए संसाधनों को एकत्रित करने के विचार पर चर्चा की गई है। प्राचीन भारत में प्रारंभिक बीमा प्रथाओं के साक्ष्य समुद्री व्यापार ऋण और मालवाहक अनुबंधों के रूप में देखे जा सकते हैं, जिससे व्यापार एवं परिवहन से जुड़े जोखिमों को कम करने में सहायता मिली। |
भारत में बीमा का प्रसार
- भारत में बीमा पैठ में मामूली गिरावट देखी गई, जो वित्त वर्ष 23 में 4% से घटकर वित्त वर्ष 24 में 3.7% रह गई, जबकि कुल प्रीमियम में 7.7% की वृद्धि हुई, जो 11.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गई।
- जीवन बीमा की पहुँच वित्त वर्ष 23 में 3% से घटकर वित्त वर्ष 24 में 2.8% हो गई।
- गैर-जीवन बीमा प्रवेश 1% पर स्थिर रहा।
- भारत में कुल बीमा पहुँच 3.7% है, जो वैश्विक औसत 7% से कम है, जिससे महत्त्वपूर्ण अंतर और विकास का अवसर सृजित होता है।
- कम प्रवेश के कारक: सीमित जागरूकता, आर्थिक बाधाएँ और पारंपरिक वित्तीय प्रथाओं के प्रति सांस्कृतिक प्राथमिकताएँ भारत में बीमा प्रवेश की कम पहुँच में योगदान करती हैं।
भारत में 100% FDI के लिए शर्तें बढ़ी हुई FDI सीमा उन कंपनियों पर लागू होगी जो अपना पूरा प्रीमियम भारत में निवेश करेंगी। सरकार विदेशी निवेश से जुड़े वर्तमान नियमों की समीक्षा और उन्हें सरल बनाने की भी योजना बना रही है। भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) पॉलिसीधारकों की सुरक्षा और भारतीय कानूनों के अनुपालन को सुनिश्चित करने तथा विदेशी प्रभुत्व को रोकने के लिए इस क्षेत्र का विनियमन जारी रखेगा। |
बीमा पर 100% FDI का प्रभाव:
- भारत के बीमा क्षेत्र ने वर्ष 2000 से अब तक 82,847 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया है, जिससे विकास को बढ़ावा मिला है और परिचालन में सुधार हुआ है।
- सरकार को संभावना है कि विदेशी निवेश और नीतिगत बदलावों के कारण आगामी पांच वर्षों में यह क्षेत्र 7.1% वार्षिक की दर से बढ़ेगा।
- 100% FDI से भारत में बीमा क्षेत्र की अपर्याप्त पहुँच की समस्या का समाधान हो सकता है, वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने में तीव्रता आएगी तथा नवीन उत्पाद और सेवाएँ प्रारंभ की जा सकेंगी।
- इससे दीर्घकालिक पूँजी सुनिश्चित होगी, प्रौद्योगिकी में वृद्धि होगी, वितरण मजबूत होगा और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
ग्राहकों के लिए लाभ:
- विदेशी निवेश बढ़ने से बाजार में अधिक अभिकर्त्ता आएँगे, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
- ग्राहक बेहतर उत्पाद, उन्नत सेवा एवं प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण की संभावना कर सकते हैं, जिससे बीमा की पहुँच बढ़ेगी और सुरक्षा अंतराल कम होगा।
- अधिक विदेशी भागीदारी से ग्राहक सेवा मानकों में सुधार आने तथा भारत में प्रीमियम निवेश के माध्यम से घरेलू आर्थिक विकास में योगदान मिलने की संभावना है।
चुनौतियाँ
- विदेशी बीमा कंपनियों को भारत के जटिल वितरण परिदृश्य में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि निजी जीवन बीमा क्षेत्र में बैंक-नेतृत्व वाले वितरण का प्रभुत्व है, जबकि गैर-जीवन बीमा एजेंसी चैनलों पर निर्भर है।
- अनुकूलन चुनौतियाँ: विदेशी बीमा कंपनियों को अपने व्यापार मॉडल को भारत-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप ढालना होगा, जैसे कि जीवन बीमा में बैंकएश्योरेंस-भारी मॉडल और स्वास्थ्य बीमा के लिए एजेंसी-नेतृत्व वाले मॉडल।
- कई विदेशी कंपनियाँ पहले से ही संयुक्त उद्यम (JVs) में हैं, इसलिए पुनर्गठन में समय लग सकता है।
निष्कर्ष और आगे की राह
- भारत में बीमा क्षेत्र ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- बीमा एक पूँजी-प्रधान उद्योग है, और पूँजी तक पहुँच बढ़ाने का कदम लाभदायक है।
- इससे वैश्विक बीमा कम्पनियाँ भारतीय परिचालन पर अधिक नियंत्रण चाहने के लिए आकर्षित हो सकती हैं।
- इस क्षेत्र को 100% FDI के लिए खोलना 2047 तक “सभी के लिए बीमा” के लक्ष्य के अनुरूप है, जिसके लिए महत्त्वपूर्ण पूँजी प्रवाह की आवश्यकता होगी।
- सरकार विदेशी निवेश एवं क्षेत्र विस्तार के लिए अधिक अनुकूल वातावरण बनाने हेतु प्रमुख प्रबंधन और बोर्ड संरचना से संबंधित परिवर्तनों सहित FDI विनियमों में संशोधन पर भी विचार कर रही है।
- आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया है कि बीमाकर्ताओं को प्रवेश बढ़ाने और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए टियर 2 और 3 शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों को भी लक्षित करना चाहिए, जहां जागरूकता और पहुँच कम है।
- नवीन वितरण मॉडल के उपयोग से अल्प बीमाकृत ग्राहकों को शामिल करने में सहायता मिल सकती है, विशेष रूप से वे ग्राहक जो पहले से ही प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना जैसी सरकारी योजनाओं के अंतर्गत कवर हैं।
Source :BS
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