आर्थिक विकास के लिए जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग

पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-3/ अर्थव्यवस्था

सन्दर्भ

  • केंद्र सरकार ने उच्च प्रदर्शन जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए अपनी  BioE3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति का अनावरण किया।

जैव प्रौद्योगिकी

  • जैव प्रौद्योगिकी, आणविक, कोशिकीय और आनुवंशिक प्रक्रियाओं से संबंधित जैविक ज्ञान तथा तकनीकों के अनुप्रयोग से संबंधित है, जिससे महत्वपूर्ण रूप से बेहतर उत्पादों एवं सेवाओं का विकास होता है। 
  • भारत में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग को निम्नलिखित खंडों में विभाजित किया गया है – बायोफार्मास्युटिकल्स, बायो-सर्विसेज, बायो-एग्रीकल्चर, बायो-इंडस्ट्रियल्स और बायो-आईटी।

भारत में जैव प्रौद्योगिकी की स्थिति

  • जैव प्रौद्योगिकी खंड का प्रतिशत हिस्सा है:
    • बायोफार्मास्युटिकल्स- 62% (57.5 बिलियन डॉलर)
    • बायोएग्रीकल्चर- 13% (11.5 बिलियन डॉलर)
    • बायोइंडस्ट्री- 15% (14.1 बिलियन डॉलर)
    • बायोआईटी और बायोसर्विसेज- 10% (9.3 बिलियन डॉलर)
  • जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को भारत के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य में योगदान देने के लिए प्रमुख चालक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • भारत विश्व में जैव प्रौद्योगिकी के लिए शीर्ष-12 गंतव्यों में से एक है और एशिया प्रशांत में जैव प्रौद्योगिकी के लिए तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य है, जिसकी वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में लगभग 3% हिस्सेदारी है।
  • 2022 में, भारत वैश्विक स्तर पर पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया और मध्य तथा दक्षिणी एशिया में शीर्ष नवाचार अर्थव्यवस्था के रूप में पहचाना गया, जो वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) रिपोर्ट 2023 के अनुसार 40वें स्थान पर है।
  • भारतीय जैव प्रौद्योगिकी उद्योग का मूल्य 2022 में $93.1 बिलियन था, जिसके 2030 तक $300 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।

भारत में जैव प्रौद्योगिकी की संभावनाएं

  • भारत में जैव संसाधनों का विशाल भंडार है, एक असंतृप्त संसाधन जिसका दोहन किया जाना बाकी है और हिमालय में विशाल जैव विविधता तथा अद्वितीय जैव संसाधनों के कारण जैव प्रौद्योगिकी में यह एक लाभ है।
  • 1.4 बिलियन की कुल जनसँख्या के साथ, जिसमें से 47% 25 वर्ष से कम आयु के हैं, भारत में युवा और कुशल कार्यबल का एक बड़ा समूह है।
  • भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारत में जैव प्रौद्योगिकी

सरकारी पहल

  • भारत सरकार (GoI) की नीतिगत पहल जैसे स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को विश्व स्तरीय जैव प्रौद्योगिकी और जैव-विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करना है।
  • राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन 150 से अधिक संगठनों और 30 MSMEs सहित 101 परियोजनाओं का समर्थन कर रहा है।
  • भारत और फिनलैंड 2022 में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने और डिजिटल शिक्षा, भविष्य की मोबाइल प्रौद्योगिकियों, जैव प्रौद्योगिकी तथा ICT में डिजिटल साझेदारी जैसे क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने पर सहमत हुए।
  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा स्थापित जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) का उद्देश्य रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार करने के लिए उभरते जैव प्रौद्योगिकी उद्यमों को मजबूत और सशक्त बनाना है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा देश भर में जैव प्रौद्योगिकी पार्क और इनक्यूबेटर स्थापित किए गए हैं, ताकि आवश्यक बुनियादी ढांचा सहायता प्रदान करके अनुसंधान को उत्पादों और सेवाओं में परिवर्तित किया जा सके।
  • ड्राफ्ट R&D पॉलिसी 2021, PLI योजनाएं और क्लिनिकल ट्रायल नियमों जैसी अनुकूल सरकारी नीतियों ने भारत को विश्व की फार्मेसी’ बनने के लिए प्रेरित किया है।
  • FDI नीति: ग्रीनफील्ड फार्मा के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100% FDI की अनुमति है। साथ ही ब्राउनफील्ड फार्मा के लिए सरकारी मार्ग के तहत 100% FDI की अनुमति है।
    • 74% तक FDI स्वचालित मार्ग के अंतर्गत है, तथा 74% से अधिक FDI सरकारी अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत है।
BioE3 नीति
BioE3 नीति में पूरे भारत में विभिन्न जैव विनिर्माण केंद्र स्थापित करने की परिकल्पना की गई है। 
– इन केंद्रों पर, उद्योग भागीदार और स्टार्ट-अप विशेष रसायन, स्मार्ट प्रोटीन, एंजाइम, कार्यात्मक खाद्य पदार्थ और अन्य जैव-उत्पादों और सेवाओं के उत्पादन के लिए सुविधाएं स्थापित कर सकते हैं। 
– ये केंद्र छह क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे – जैव-आधारित रसायन और एंजाइम, कार्यात्मक खाद्य पदार्थ और स्मार्ट प्रोटीन, सटीक जैव चिकित्सा, जलवायु अनुकूल कृषि, कार्बन कैप्चर और उपयोग, और भविष्य के समुद्री और अंतरिक्ष अनुसंधान।

आगे की राह

  • BioE3 नीति सरकार की ‘नेट जीरो’ कार्बन अर्थव्यवस्था और ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ जैसी पहलों को और मजबूत करेगी और ‘सर्कुलर बायोइकोनॉमी’ को बढ़ावा देकर भारत को त्वरित ‘हरित विकास’ के मार्ग पर ले जाएगी।
  •  यह एक उन्नत भविष्य को बढ़ावा देगा जो वैश्विक चुनौतियों के लिए अधिक सतत, नवीन तथा उत्तरदायी होगा और विकसित भारत के लिए जैव-दृष्टिकोण निर्धारित करेगा।

Source: IE