लोथल डॉकयार्ड सिद्धांत में नई अंतर्दृष्टि

पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-1/प्राचीन भारतीय इतिहास

सन्दर्भ

  • नए अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि हड़प्पा सभ्यता के दौरान गुजरात के लोथल में एक डॉकयार्ड उपस्थित था।

प्रमुख निष्कर्ष

  • अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि हड़प्पा सभ्यता के दौरान साबरमती नदी लोथल (वर्तमान में, यह उस स्थान से 20 किमी दूर बहती है) के पास से बहती थी।
  • अहमदाबाद को लोथल, नल सरोवर आर्द्रभूमि और छोटे रण से होते हुए धोलावीरा – एक अन्य हड़प्पा स्थल से जोड़ने वाला एक यात्रा मार्ग भी था।
  • शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन को इस परिकल्पना पर आधारित किया कि लोथल से कच्छ के रण से जुड़ा एक अंतर्देशीय नेटवर्क था।
  • अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि व्यापारी खंभात की खाड़ी के माध्यम से गुजरात आए, संभवतः सामग्री प्राप्त करने के लिए रतनपुरा गए और उन्हें मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक) ले गए।
  • शोध डॉकयार्ड सिद्धांत का समर्थन करता है और ऐतिहासिक इनलेट के बारे में चिंताओं को संबोधित करता है, नदी तथा समुद्री मार्गों के माध्यम से व्यापार के लिए लोथल के महत्व को प्रदर्शित करता है।
 हड़प्पा सभ्यता

लोथल

  • लोथल (गुजराती में ‘मृतकों का टीला’) की खोज सरगवाला गाँव के दलदली खेतों के बीच एक टीले के नीचे की गई थी। 
  • लोथल में हड़प्पा नगर नियोजन की उपस्थिति जैसे कि घर, स्नान मंच, सड़कें, किले की दीवारें, कब्रिस्तान और बड़ी संरचनाएँ, इसे आसानी से हड़प्पा सभ्यता की चौकी के रूप में स्वीकार करने की अनुमति देती हैं।
    • यह सिंध/बलूचिस्तान से शुरू होकर वर्तमान हरियाणा तक उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में केंद्रित था।
  • 1950 के दशक में जब इसकी खोज हुई थी और माना गया था कि यह एक डॉकयार्ड है, तब से पुरातत्वविदों और विशेषज्ञों के बीच मतभेद रहे हैं।
    • कुछ लोगों ने तर्क दिया कि लोथल एक हड़प्पा डॉकयार्ड था, जो उस स्थान पर मिली खोजों पर आधारित था, जिसमें 222 x 37 मीटर का बेसिन (जिसे डॉकयार्ड होने का दावा किया जाता है), जहाजों या नावों को लंगर डालने के लिए एक घाट और हड़प्पा की मुहरों जैसी कलाकृतियाँ सम्मिलित हैं। 
    • हालांकि सभी लोग डॉकयार्ड सिद्धांत को स्वीकार नहीं करते हैं, उनका तर्क है कि यह केवल आधुनिक समय में ही था कि भारतीय बंदरगाह सीधे समुद्र पर स्थित हो गए।

समुद्री व्यापार का समर्थन करने वाले अन्य साक्ष्य

  • गुजरात में देवी सिकोतरा के विभिन्न मंदिर हैं, जिसका नाम सोकोत्रा ​​द्वीप के नाम पर रखा गया है, जो लाल सागर के मुहाने पर स्थित है और 2,000 वर्ष से भी अधिक समय पहले भारतीय समुद्री यात्रियों के लिए एक आश्रय स्थल के रूप में कार्य करता था।
  • ब्राह्मी लिपि में विभिन्न शिलालेखों से पता चलता है कि भारतीयों ने इस द्वीप का उपयोग मध्य पूर्व और पूर्वी अफ्रीका के व्यापारिक मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में किया था।

हड़प्पा सभ्यता

  • माना जाता है कि हड़प्पा सभ्यता मिस्र और मेसोपोटामिया के साथ विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है।
  • इसका विकास सिंधु नदी के किनारे हुआ था और इसी कारण से इसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।
  • हड़प्पा सभ्यता की पहचान कांस्य युग की सभ्यता के रूप में की जाती है क्योंकि यहाँ अनेक ऐसी वस्तुएँ पाई गई हैं जो तांबे आधारित मिश्र धातुओं से बनी हैं।

सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ

  • शहरी नियोजन: उनके शहर अच्छी तरह से नियोजित थे और उनके पास ईंट के घर थे जो सड़कों के किनारे स्थित थे।
    • हर घर में सीढ़ियाँ, रसोई और अनेक कमरे थे। उनके आँगन में कुएँ, बाथरूम थे और जल निकासी की उचित व्यवस्था थी।
  • आभूषण: हड़प्पावासी सोने, चांदी, हाथी दांत, शंख, मिट्टी, अर्द्ध कीमती पत्थरों और अन्य से बने आभूषण पहनते थे।
  • व्यापार और वाणिज्य: सभ्यता के पास व्यापक व्यापार नेटवर्क था, जो मेसोपोटामिया, अफगानिस्तान और अरब प्रायद्वीप तक विस्तारित था।
  • धर्म और प्रतीक विज्ञान: हड़प्पा की कलाकृतियाँ विभिन्न प्रतीकों और रूपांकनों को दर्शाती हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे धार्मिक विश्वासों से संबंधित हैं।
    • इनमें “पुजारी राजा” जैसी आकृतियाँ और बैल जैसे पशुओं की छवियां सम्मिलित हैं, जो कुछ पशुओं के प्रति संभवतः श्रद्धा का संकेत देती हैं।
  • शिल्पकला और कलात्मकता: हड़प्पावासी जटिल मिट्टी के बर्तन बनाते थे, जिनमें काले रंग से चित्रित आकृति वाले प्रसिद्ध लाल मिट्टी के बर्तन भी सम्मिलित थे।
    • उन्होंने स्टीटाइट, टेराकोटा और अन्य सामग्रियों से आभूषण, मूर्तियां और मुहरें भी बनाईं।
  • कृषि: वे गेहूं, जौ, मटर और कपास जैसी फसलें उगाते थे।
  • सामाजिक संगठन: समाज संभवतः स्तरीकृत था, साक्ष्यों से पता चलता है कि समाज में पदानुक्रमिक संरचना थी। यह आवास के आकार में भिन्नता और सार्वजनिक भवनों की उपस्थिति से संकेत मिलता है।
  • पतन और विलुप्ति: हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों पर अभी भी इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के बीच वाद-विवाद होता है।
    • संभावित कारकों में पारिस्थितिकी परिवर्तन, जैसे नदी के मार्ग में परिवर्तन  तथा आक्रमण और आंतरिक संघर्ष शामिल हैं।

प्रमुख हड़प्पा स्थल

स्थल वर्तमान में 
हड़प्पापंजाब, पाकिस्तान 
मोहनजोदड़ो
सिंध, पाकिस्तान
धौलावीरागुजरात का कच्छ जिला,
कालीबंगाराजस्थान
लोथलगुजरात
राखीगढ़ीहरियाणा
चन्हुदड़ोसिंध , पाकिस्तान 
गनवेरीवालापंजाब, पाकिस्तान 
सुत्कागेंडोरबलूचिस्तान प्रांत, पाकिस्तान
आलमगीरपुरउत्तर प्रदेश 
प्रमुख हड़प्पा स्थल

Source: IE