अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO)

पाठ्यक्रम: GS3/ अवसंरचना 

संदर्भ

  • अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO) की योग्यता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उसे ग्रेट निकोबार में एक विशाल बुनियादी ढाँचा परियोजना की अनुमति मिल गई है।

पृष्ठभूमि

  • अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO) ग्रेट निकोबार में नीति आयोग द्वारा प्रवर्तित 72,000 करोड़ रुपये की मेगा बुनियादी ढाँचा परियोजना का परियोजना प्रस्तावक है।
    • यह अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है।
  • 910 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत यह द्वीप न केवल जैव विविधता का केंद्र है, बल्कि विशेष अधिकारों वाले स्वदेशी समुदायों (जनजातियों ) का आवास-स्थल भी है और यह सर्वाधिक विवर्तनिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक में स्थित है।
  • केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति(EAC) ने पाया कि ANIIDCO में आंतरिक पर्यावरण प्रशासन प्रणाली का अभाव था।
    • इसके बावजूद, EAC ने 2022 में ANIIDCO को पर्यावरण मंजूरी दे दी।
    • इसके अतिरिक्त, परियोजना की देख-रेख के लिए आवश्यक मानव संसाधन भी उसके पास नहीं थे।

ग्रेट निकोबार परियोजना

  • इस परियोजना में द्वीप पर एक अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (ICTT), एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, टाउनशिप विकास और 450 MVA गैस और सौर-आधारित विद्युत् संयंत्र का विकास शामिल है।
  • ICTT से ग्रेट निकोबार को कार्गो ट्रांसशिपमेंट में एक प्रमुख अभिकर्त्ता बनकर क्षेत्रीय और वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भाग लेने की अनुमति मिलने की अपेक्षा है।
  • प्रस्तावित “ग्रीनफील्ड शहर” द्वीप की समुद्री और पर्यटन क्षमता दोनों का दोहन करेगा।
  • प्रस्तावित ICTT और विद्युत् संयंत्र के लिए स्थल , ग्रेट निकोबार द्वीप के दक्षिण-पूर्वी कोने पर गैलाथिया की खाड़ी है, जहाँ कोई मानव निवास स्थल नहीं है।

ANIIDCO क्या है?

  • ANIIDCO एक अर्ध-सरकारी एजेंसी है, जिसे 1988 में कंपनी अधिनियम के अंतर्गत  शामिल किया गया था। 
  • इसका उद्देश्य क्षेत्र के संतुलित और पर्यावरण अनुकूल विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का विकास और व्यावसायिक दोहन करना है। 
  • इसकी मुख्य गतिविधियों में पेट्रोलियम उत्पादों, भारत में निर्मित विदेशी शराब और दूध का व्यापार, पर्यटन रिसॉर्ट्स का प्रबंधन और पर्यटन एवं मत्स्य पालन के लिए बुनियादी ढाँचे का विकास शामिल है। 
अंडमान व नोकोबार द्वीप समूहअवस्थिति:
– ये द्वीप बंगाल की खाड़ी में भारतीय मुख्य भूमि से 1,300 किमी. दक्षिण पूर्व में स्थित हैं।
1. यह 6° 45′ उत्तरी अक्षांश से 13° 41′ उत्तरी अक्षांश  तक तथा 92° 12′ पूर्वी देशांतर से 93° 57′ पूर्वी देशांतर तक विस्तृत है।
– यह द्वीपसमूह 500 से अधिक बड़े और छोटे द्वीपों से निर्मित है, जो दो अलग-अलग द्वीप समूहों में विभाजित हैं – अंडमान द्वीप समूह और निकोबार द्वीप समूह।
1. ‘दस डिग्री चैनल’ उत्तर में अंडमान द्वीप समूह को दक्षिण में निकोबार द्वीप समूह से अलग करता है।
अंडमान द्वीप समूह
– इन द्वीपों को तीन प्रमुख उप-समूहों में विभाजित किया गया है – उत्तरी अंडमान, मध्य अंडमान और दक्षिण अंडमान।
– अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर दक्षिण अंडमान में स्थित है।
निकोबार द्वीप समूह
– इन द्वीपों को तीन प्रमुख उप-समूहों में विभाजित किया गया है – उत्तरी समूह, मध्य समूह और दक्षिणी समूह।
1. ग्रेट निकोबार द्वीपसमूह दक्षिणी द्वीपसमूह में स्थित सबसे बड़ा और सबसे दक्षिणी द्वीप है।
2. भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु ‘इंदिरा प्वाइंट’ ग्रेट निकोबार के दक्षिणी सिरे पर स्थित है।
अन्य विशेषताएँ
– इनमें से अधिकांश द्वीपों का आधार ज्वालामुखी है तथा ये तृतीयक बलुआ पत्थर, चूना पत्थर और शेल से निर्मित हैं।
1. पोर्ट ब्लेयर के उत्तर में स्थित बैरन और नार्कोंडम द्वीप ज्वालामुखी द्वीप हैं।
2. कुछ द्वीप प्रवाल भित्तियों से घिरे हुए हैं।
– उत्तरी अंडमान में सैडल पीक (737 मीटर) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सबसे ऊँची चोटी है।
– वर्ष 2018 में निम्नलिखित तीन द्वीपों के नाम बदले गए:
1. रॉस द्वीप – जिसका नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप कर दिया गया
2. नील द्वीप – जिसका नाम बदलकर शहीद द्वीप कर दिया गया
3. हैवलॉक द्वीप – जिसका नाम बदलकर स्वराज द्वीप कर दिया गया
अंडमान व नोकोबार द्वीप समूहअवस्थिति

Source: TH

 

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