भारत और सिंगापुर ने अपने संबंधों को प्रगाढ़ किया

पाठ्यक्रम: GS2/IR

सुर्ख़ियों में 

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सिंगापुर यात्रा के दौरान चार समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर करके भारत और सिंगापुर ने अपने संबंधों को प्रगाढ़ किया I

प्रमुख समझौते 

  • डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ: इसमें साइबर सुरक्षा, 5G, सुपर-कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और AI सहित डिजिटल प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है, तथा श्रमिकों के कौशल उन्नयन और पुनर्कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र: इसमें सेमीकंडक्टर क्लस्टर विकास और प्रतिभा संवर्धन में सहयोग शामिल है।
    • इसका उद्देश्य भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सिंगापुर की कंपनियों द्वारा निवेश को सुविधाजनक बनाना है।
  • स्वास्थ्य सहयोग: यह स्वास्थ्य सेवा और फार्मास्यूटिकल्स में संयुक्त अनुसंधान, नवाचार और मानव संसाधन विकास पर केंद्रित है।
    • इसका उद्देश्य सिंगापुर में भारतीय स्वास्थ्य पेशेवरों को बढ़ावा देना भी है।
  • कौशल विकास: इसका लक्ष्य शैक्षिक सहयोग और तकनीकी/व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा चल रही कौशल विकास पहलों को बढ़ावा देना है।

भारत-सिंगापुर संबंध

  • ऐतिहासिक: एक सहस्राब्दी से भी अधिक समय से मजबूत वाणिज्यिक, सांस्कृतिक और लोगों के बीच संबंध।
    • आधुनिक संबंध 1819 में सर स्टैमफोर्ड रैफल्स द्वारा स्थापित व्यापारिक स्टेशन से जुड़े।
    • भारत ने 1965 में सिंगापुर की स्वतंत्रता के तुरंत बाद उसे मान्यता दे दी थी।
  •  सामरिक: 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सिंगापुर यात्रा के दौरान भारत-सिंगापुर संबंधों को सामरिक साझेदारी स्तर तक बढ़ाया गया।
  • उच्च स्तरीय आदान-प्रदान: 2018 और 2022 में प्रधानमंत्री मोदी की यात्राएँ महत्त्वपूर्ण   मील के पत्थर साबित होंगी, जिनमें प्रमुख कार्यक्रमों में मुख्य भाषण भी शामिल हैं।
    • सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग की भारत यात्रा में गणतंत्र दिवस समारोह और जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन शामिल था।
  • भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (ISMR): वर्ष 2022 में उद्घाटन ISMRडिजिटल कनेक्टिविटी, फिनटेक, हरित अर्थव्यवस्था और अन्य क्षेत्रों पर केंद्रित होगा।
    • वर्ष 2024 में द्वितीय ISMR में उन्नत विनिर्माण और कनेक्टिविटी जैसे नए स्तंभ जोड़े गए।
  • व्यापार और आर्थिक सहयोग: सिंगापुर आसियान में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रमुख स्रोत है, जो बाहरी वाणिज्यिक उधारी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है।
    • दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2004-05 में 6.7 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 35.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। 
    • सिंगापुर, भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है, जो भारत के कुल व्यापार का 3.2% हिस्सा है। वित्त वर्ष 2023-24 में, सिंगापुर से भारत का आयात 21.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (पिछले वर्ष की तुलना में 10.2% की कमी) था, जबकि सिंगापुर को निर्यात 14.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (पिछले वर्ष की तुलना में 20.2% की वृद्धि) तक पहुँच गया।
  • फिनटेक: पहलों में UPI-PayNow लिंकेज, रुपे कार्ड स्वीकृति और अन्य सीमा-पार फिनटेक विकास शामिल हैं।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग: इसरो ने कई सिंगापुरी उपग्रह प्रक्षेपित किये हैं।
    • डिजिटल स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रौद्योगिकियों में सहयोगात्मक प्रयास।
  • सांस्कृतिक सहयोग: प्रदर्शन कला, रंगमंच और अन्य सांस्कृतिक क्षेत्रों में नियमित आदान-प्रदान।
    • सिंगापुर में भारतीय कला रूपों का सक्रिय प्रचार-प्रसार।
  • बहुपक्षीय सहयोग: सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जैसी अंतर्राष्ट्रीय पहलों में शामिल हो गया है।
    • दोनों देश IORA, NAM और राष्ट्रमंडल जैसे बहुपक्षीय समूहों का हिस्सा हैं।
  • भारतीय समुदाय: सिंगापुर की स्थानिक जनसंख्या में भारतीय लगभग 9.1% तथा विदेशी निवासियों में 21% हैं।
    • IIT और IIM  के पूर्व छात्रों की उच्च सघनता के साथ महत्त्वपूर्ण  भारतीय प्रवासी।

महत्त्व

  • आसियान के साथ भारत के संबंध काफी मजबूत हुए हैं, जिसमें सिंगापुर पर विशेष बल  दिया गया है, जो इस क्षेत्र के सबसे गतिशील देशों में से एक है।
  • भारत-सिंगापुर संबंध आपसी सम्मान और विश्वास पर आधारित है, जिसमें विविधतापूर्ण और परिपक्व सहयोग है जो आगे के विकास के लिए एक ठोस आधार प्रदान करता है।
  • भारत की “लुक ईस्ट” और “एक्ट ईस्ट” नीतियों में सिंगापुर की केंद्रीय भूमिका है, विशेष रूप से सुरक्षा, कनेक्टिविटी, प्रौद्योगिकी और स्थिरता के मामले में।
  • भारत-सिंगापुर साझेदारी हमें आर्थिक सहयोग बढ़ाने, आपसी विकास को बढ़ावा देने और भविष्य की चुनौतियों से मिलकर निपटने में सक्षम बनाएगी।

भविष्य का दृष्टिकोण 

  • भारत और सिंगापुर के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने का यह सही समय है, जो वर्तमान वैश्विक और राष्ट्रीय वास्तविकताओं को दर्शाता है।
  • भारत-सिंगापुर साझेदारी आर्थिक सहयोग, आपसी विकास को बढ़ाने और भविष्य की चुनौतियों का मिलकर समाधान करने के लिए तैयार है।
  • सेमीकंडक्टर, हरित प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करने और कनेक्टिविटी एवं ऊर्जा चुनौतियों का मिलकर समाधान करने की आवश्यकता है।
  •  तेजी से हो रहे तकनीकी बदलावों के कारण नए कौशल की आवश्यकता है। भारत और सिंगापुर संयुक्त कौशल विकास कार्यक्रमों के डिजाइन और क्रियान्वयन में सहयोग कर सकते हैं।

Source:IE