भ्रष्टाचार की शिकायतों पर CVC की रिपोर्ट

पाठ्यक्रम: GS2/शासन

संदर्भ

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने 2023 में विभिन्न सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतों का प्रकटीकरण करते हुए रिपोर्ट जारी की।

प्रमुख विशेषताएँ 

  • प्राप्त कुल भ्रष्टाचार शिकायतों में से सबसे अधिक शिकायतें रेलवे कर्मचारियों के विरुद्ध थीं, इसके बाद दिल्ली के स्थानीय निकायों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विरुद्ध शिकायतें थीं।
    • रेलवे कर्मचारियों के विरुद्ध प्राप्त कुल शिकायतों में से 9,881 का समाधान कर दिया गया तथा 566 अभी भी लंबित हैं।
प्रमुख विशेषताएँ
  • वर्ष 2023 में सभी श्रेणियों के अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध 74,203 भ्रष्टाचार की शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 66,373 का समाधान कर दिया गया तथा 7,830 लंबित हैं।

केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC)

  • इसकी स्थापना भारत सरकार (गृह मंत्रालय) द्वारा 1964 में संथानम समिति की सिफारिश के प्रस्ताव के अंतर्गत  की गई थी।
  • इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र में सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।
  • अधिकार: CVC को विभिन्न सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के उचित कामकाज की देखरेख और सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया है।
    • यह लोक सेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों की जाँच करता है।
  • सदस्यों की नियुक्ति: केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश के आधार पर की जाती है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:
    • प्रधानमंत्री समिति के अध्यक्ष होते है।
    • गृह मंत्री समिति के सदस्य होते है।
    • लोकसभा में विपक्ष के नेता समिति के सदस्य होते है।
  • स्वायत्तता: अपनी जाँच और सिफारिशों में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए CVC सरकार से स्वतंत्र रूप से कार्य करता है।
  • कार्यालय की अवधि: केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त अपने पदभार ग्रहण करने की तिथि से चार वर्ष की अवधि तक या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहेंगे।
  • सदस्यों को पदच्युत करना : केवल राष्ट्रपति को निम्नलिखित परिस्थितियों में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त या किसी भी सतर्कता आयुक्त को पदच्युत करने का अधिकार है:
    • यदि दिवालिया प्रमाणित हो गया हो।
    • यदि उसे किसी ऐसे अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो, जिसमें केंद्रीय सरकार की राय में नैतिक अक्षमता शामिल है।
    • यदि वह किसी लाभ के पद पर हो।
    • यदि वह मानसिक या शारीरिक दुर्बलता के कारण पद पर बने रहने के लिए अयोग्य है।

भ्रष्टाचार

  • भ्रष्टाचार को रिश्वतखोरी या स्वार्थी उद्देश्यों की पूर्ति या व्यक्तिगत संतुष्टि प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक पद या शक्ति का दुरुपयोग करने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
  • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार 2023 के लिए भ्रष्टाचार बोध सूचकांक में भारत 180 देशों में से 93वें स्थान पर है।
    • यह सूचकांक, जो विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कथित स्तर के आधार पर 180 देशों और क्षेत्रों को रैंक करता है, 0 से 100 के पैमाने का उपयोग करता है, जहाँ 0 अत्यधिक भ्रष्ट और 100 सबसे कम भ्रष्ट  है।

भ्रष्टाचार से निपटने के लिए भारत सरकार की पहल

  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (1988): इस अधिनियम का उद्देश्य रिश्वत लेने या देने के कृत्य को अपराध बनाकर सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को रोकना है।
    • भ्रष्टाचार की उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए इसमें संशोधन किया गया है।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) (2005): यह अधिनियम नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकारियों से सूचना माँगने का अधिकार प्रदान करता है, जिससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलता है।
  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रम: प्रौद्योगिकी के माध्यम से शासन और पारदर्शिता में सुधार लाने के लिए प्रारंभ किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं को डिजिटल बनाना और भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करना है।
  • ई-गवर्नेंस:सरकारी सेवाओं (जैसे पासपोर्ट आवेदन, आयकर रिटर्न) के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कार्यान्वयन से नौकरशाही की लालफीताशाही कम हो जाती है और भ्रष्टाचार की संभावना न्यूनतम हो जाती है।
  • मुखबिर (व्हिसलब्लोअर्स) संरक्षण: व्हिसलब्लोअर्स संरक्षण अधिनियम (2014) उन व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करता है, जो सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में भ्रष्टाचार और गलत कार्यों को प्रकट करते हैं।
  • सरकारी ई-बाज़ार (GeM): इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उद्देश्य सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा प्रत्यक्ष खरीद को सक्षम बनाकर सार्वजनिक खरीद को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाना है।
  • भ्रष्टाचार विरोधी इकाइयाँ: विभिन्न राज्य सरकारों ने राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए अपने स्वयं के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और सतर्कता आयोग स्थापित किए हैं।

Source: TH