पाठ्यक्रम: GS1/ भौतिक भूगोल
समाचार में
- जैसलमेर में एक अद्वितीय प्राकृतिक घटना घटी, जब उत्सृत (आर्टेसियन) जल सतह पर आने लगा, जो आर्टेसियन परिस्थितियों का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
आर्टेसियन स्थिति क्या है?
- आर्टेसियन स्थिति तब उत्पन्न होती है जब भूजल अभेद्य चट्टानों की परतों के मध्य दाब के कारण सीमित हो जाता है, जिससे उत्सृत जल-भृत (आर्टेसियन एक्वीफर) का निर्माण होता है।
आर्टेसियन स्थिति को उत्पन्न वाले कारक
- सीमित जलभृत: जल अभेद्य चट्टान की परतों के मध्य फँस जाता है, जिससे जल का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
- दाब प्रवणता: ऊपरी चट्टान परतों के भार से उत्पन्न प्राकृतिक भूगर्भीय दाब, जलभृत के अंदर आंतरिक दाब का निर्माण करता है।
- विखंडन या ड्रिलिंग: जब सीमित परत में छेद हो जाता है, जैसे कि ड्रिलिंग के माध्यम से, तो निर्मित दाब मुक्त हो जाता है, जिससे जल ऊपर की ओर बढ़ जाता है।
यह कैसे कार्य करता है?
- एक बार जब ऊपरी अभेद्य परत विखंडित हो जाती है, तो उत्सृत जल प्राकृतिक रूप से सतह पर प्रवाहित होता है, जो जलभृत के आंतरिक दाब से प्रेरित होता है। जलभृत की गहराई और दाब के आधार पर जल तीव्र गति से प्रवाहित हो सकता है।
वैश्विक उदाहरण
- आर्टोइस, फ़्रांस इस क्षेत्र के उत्सृत कूप मध्य युग के दौरान सर्वप्रथम दस्तावेजित किये गए कुओं में से थे।
- ऑस्ट्रेलिया: शुष्क केन्द्रीय क्षेत्रों में उत्सृत कूप सामान्य हैं, जो अन्यथा शुष्क क्षेत्रों में कृषि कार्य को सहायता प्रदान करते हैं।
- अफ्रीका: अफ्रीका के कुछ क्षेत्र, विशेषकर मरुस्थलीय क्षेत्र, भूजल तक पहुँचने के लिए उत्सृत कूप पर निर्भर हैं।
महत्त्व
- शुष्क क्षेत्रों में जल स्रोत: उत्सृत कूप विशेष रूप से मरुस्थलीय और शुष्क क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण हैं, जहाँ जल की कमी होती है। उत्सृत जल का प्राकृतिक प्रवाह ऊर्जा-गहन पंपों की आवश्यकता के बिना एक विश्वसनीय जल स्रोत प्रदान कर सकता है।
- कृषि उपयोगिता: उत्सृत कूप सतही जल की सीमित पहुँच वाले स्थानों में सिंचाई को संभव बनाते हैं, जिससे मशीनरी की आवश्यकता के बिना फसलों की सिंचाई किया जा सकता है।
- भूवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि: आर्टेसियन स्थितियाँ वैज्ञानिकों को किसी क्षेत्र के भूमिगत जल वितरण, जल विज्ञान और समग्र भूवैज्ञानिक संरचना का अध्ययन करने में सहायता करती हैं।
Source: IE
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