पाठ्यक्रम: GS2/शासन, GS3/कृषि
सन्दर्भ
- डिजिटल कृषि मिशन के अंतर्गत, गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने राज्य में लक्षित किसानों की संख्या के 25 प्रतिशत के लिए “किसान आईडी(Farmer IDs)” तैयार की है।
डिजिटल कृषि मिशन
- डिजिटल कृषि मिशन को 2817 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई, जिसमें 1940 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है।
- इसे डिजिटल कृषि पहलों का समर्थन करने के लिए एक व्यापक योजना के रूप में माना गया है, जैसे कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का निर्माण, डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (DGCES) को लागू करना और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों एवं शैक्षणिक तथा अनुसंधान संस्थानों द्वारा अन्य आईटी पहलों को आगे बढ़ाना।
कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI)।
- कृषि के लिए DPI का उद्देश्य किसानों के बारे में व्यापक और उपयोगी डेटा उपलब्ध कराना है, जिसमें प्रमाणित जनसांख्यिकीय विवरण, भूमि जोत एवं बोई गई फसलें शामिल हैं।
- इसमें राज्य सरकार की नीति के अनुसार कृषक और किरायेदार किसान शामिल होंगे।
- यह डिजिटल शासन के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है, जो निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित है:
- अंतर-संचालन: केंद्र और राज्य सरकार के प्लेटफार्मों के साथ सहज एकीकरण।
- खुले मानक: व्यापक रूप से अपनाए जाने और पहुंच सुनिश्चित करना।
- मापनीयता: देश भर के किसानों की सेवा के लिए डिज़ाइन किया गया।
- मजबूत शासन: डेटा सुरक्षा और गोपनीयता रूपरेखा विश्वास एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।
तीन स्तंभ DPIs
- एग्रीस्टैक(Agristack): किसानों का डिजिटल टूलबॉक्स। यह एक संघीय संरचना है, जिसे केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न एजेंसियों द्वारा सहयोगात्मक रूप से बनाया गया है। एग्रीस्टैक में तीन मूलभूत रजिस्ट्री हैं:
- किसानों की रजिस्ट्री: एक आभासी किसान निर्देशिका।
- भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र: प्रत्येक गांव के लिए, जिसमें फसल का विवरण शामिल है।
- फसल बोई गई रजिस्ट्री: एक डिजिटल बहीखाता जिसमें बताया जाता है कि कहां क्या उग रहा है।
- कृषि निर्णय सहायता प्रणाली: यह किसानों को समय पर और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करती है, जिससे उन्हें सूचित निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
- इसका उद्देश्य फसलों, मिट्टी, मौसम, जल संसाधनों आदि पर रिमोट सेंसिंग-आधारित जानकारी को एकीकृत करने के लिए एक व्यापक भू-स्थानिक प्रणाली बनाना है।
- मृदा प्रोफ़ाइल मानचित्रण: यह मिट्टी के गुणों, नमी के स्तर और पोषक तत्वों की मात्रा का मानचित्रण करता है, जिससे सटीक कृषि को सशक्त बनाया जाता है।
एक किसान आईडी [किसान पहचान पत्र(Kisan Pehchaan Patra)] – यह आधार पर आधारित किसानों की एक अद्वितीय डिजिटल पहचान है, जो राज्य की भूमि रिकॉर्ड प्रणाली से गतिशील रूप से जुड़ी हुई है। – किसान आईडी किसी भी किसान के भूमि रिकॉर्ड विवरण में परिवर्तन के साथ स्वचालित रूप से अपडेट हो जाती है। – किसान आईडी का उद्देश्य निम्नलिखित किसान-केंद्रित लाभ प्रदान करना है: 1. सरकारी योजनाओं तक सरल और निर्बाध पहुँच, 2. सुव्यवस्थित कागज़ रहित एवं संपर्क रहित फ़सल ऋण और क्रेडिट जो एक घंटे के अंदर संसाधित किए जा सकते हैं, 3. किसान की ज़रूरतों के अनुरूप व्यक्तिगत कृषि विस्तार सेवाएँ। |
चुनौतियां
- डिजिटल डिवाइड: दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों को सीमित इंटरनेट पहुंच और डिजिटल साक्षरता के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- डेटा गोपनीयता: संवेदनशील किसान डेटा की सुरक्षा के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
- अंतर-राज्य समन्वय: राज्यों में समान कार्यान्वयन के लिए सहयोग और संसाधन-साझाकरण तंत्र की आवश्यकता होती है।
आगे की राह
- ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करना।
- किसानों के बीच डिजिटल साक्षरता में सुधार के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू करना।
- डेटा सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत शासन ढांचे को लागू करना।
निष्कर्ष
- कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना भारत के विज़न ‘विकसित भारत@2047’ के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य एक सतत और समावेशी कृषि पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
- उन्नत प्रौद्योगिकियों और किसान-केंद्रित दृष्टिकोणों का लाभ उठाकर, DPI कृषि उत्पादकता को बढ़ाएगा, किसानों की आय में सुधार करेगा एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
Source: PIB
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