UNHRC ने प्लास्टिक प्रदूषण, महासागर संरक्षण और मानवाधिकारों को जोड़ने वाला प्रस्ताव अपनाया

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका; GS3/ पर्यावरण

संदर्भ

  • हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें प्लास्टिक प्रदूषण, महासागर संरक्षण और स्वच्छ, स्वस्थ एवं सतत पर्यावरण के मानव अधिकार के बीच महत्त्वपूर्ण संबंध को मान्यता दी गई है।

प्रस्ताव की मुख्य विशेषताएँ

  • परस्पर जुड़े संकट: प्लास्टिक प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन एवं जैव विविधता की हानि सामूहिक रूप से ग्रह के स्वास्थ्य और भावी पीढ़ियों के अधिकारों के लिए खतरा है।
  • कमजोर समुदायों पर प्रभाव: तटीय समुदाय और छोटे द्वीप विकासशील राज्य समुद्र के क्षरण और प्राकृतिक आपदाओं से असमान रूप से प्रभावित हैं।
    • संकल्प में महासागर शासन के लिए मानवाधिकार-आधारित दृष्टिकोण का आह्वान किया गया है, जिसमें जोखिम वाली जनसंख्या के लिए समावेश और सुरक्षा पर बल दिया गया है।
  • संयुक्त राष्ट्र की विगत कार्रवाइयों पर निर्माण: संकल्प मानवाधिकार परिषद मान्यता (2021) और संयुक्त राष्ट्र महासभा संकल्प (2022) को मजबूत करता है, जो स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार की पुष्टि करता है।
    • यह स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक की एक रिपोर्ट से काफी प्रभावित था।
प्लास्टिक प्रदूषण का पैमाना
वैश्विक प्रभाव: अनुमान के अनुसार, प्रत्येक वर्ष 11 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक प्लास्टिक महासागरों में जाता है। 
1. अगर इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह आँकड़ा 2040 तक तीन गुना हो सकता है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को अपूरणीय क्षति हो सकती है। 
– समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण का एक बड़ा हिस्सा पैकेजिंग और डिस्पोजेबल वस्तुओं सहित एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक से उत्पन्न होता है। 
– प्लास्टिक का मलबा प्रवाल भित्तियों को हानि पहुँचाता है, समुद्री प्रजातियों को उलझाता है और आवासों को बाधित करता है।

वैश्विक निहितार्थ और भविष्य की कार्रवाइयाँ

  • आगामी सम्मेलनों पर प्रभाव: यह संकल्प दो प्रमुख घटनाओं से पहले एक मजबूत मिसाल कायम करता है:
    • फ्रांस के नीस में संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (जून, 2025)।
    • जिनेवा में प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक वैश्विक संधि के लिए अंतिम वार्ता (अगस्त, 2025)।
  • अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को मजबूत करना: पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि यह संकल्प महासागर और प्लास्टिक प्रदूषण शासन पर भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में मानवाधिकारों के विचारों को सबसे आगे रखेगा।
  • SDG को एकीकृत करना: SDG 14 (जल  के नीचे जीवन) को गरीबी, लिंग, स्वास्थ्य और जलवायु न्याय पर SDG के साथ एकीकृत करना।
  • कार्रवाई का आह्वान: संकल्प सरकारों, उद्योगों और नागरिक समाज से पर्यावरण नीतियों एवं संधियों में मानवाधिकार दायित्वों को एकीकृत करने का आग्रह करता है।
भारत में स्वस्थ पर्यावरण का मानव अधिकार 
संवैधानिक प्रावधान:
1. अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार): स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार अनुच्छेद 21 से लिया गया है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।
2. राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (DPSP):
1.1 अनुच्छेद 48A: यह राज्य को पर्यावरण की रक्षा एवं सुधार करने तथा वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा करने का निर्देश देता है।
1.2 अनुच्छेद 51A(g): यह प्रत्येक नागरिक पर वनों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा एवं सुधार करने का कर्तव्य डालता है।
न्यायिक सक्रियता:
1. MC मेहता बनाम भारत संघ और सुभाष कुमार बनाम बिहार राज्य: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में सुदृढ़ किया।
प्रदूषक भुगतान, एहतियाती सिद्धांत और सतत विकास जैसे सिद्धांतों को भारत में न्यायालयों द्वारा बरकरार रखा गया है।

Source: DTE