पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
सन्दर्भ
- नीति आयोग के CEO ने कहा कि भारत को क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) और ट्रांस-पैसिफिक भागीदारी के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौते (CPTPP) व्यापार ब्लॉकों में सम्मिलित होना चाहिए।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP)
- RCEP ब्लॉक में शामिल हैं;
- 10 आसियान समूह के सदस्य: ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, लाओस एवं वियतनाम और;
- छह FTA भागीदार: चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड।
- ये RCEP देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30% और विश्व की जनसँख्या का 30% हिस्सा हैं।
- भारत ने 2013 में वार्ता में प्रवेश करने के बाद 2019 में RCEP से बाहर निकल लिया, यह देखते हुए कि सीमा शुल्क में कमी के परिणामस्वरूप चीन से आयात में भारी मात्रा में वृद्धि होगी और अन्य RCEP देशों के साथ व्यापार घाटे में वृद्धि होगा। नवंबर 2020 में ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौता (CPTPP)
- CPTPP पांच महाद्वीपों में विस्तारित एक मुक्त व्यापार ब्लॉक है, जो कनाडा, मैक्सिको, पेरू, चिली, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम, यूके और जापान जैसे प्रशांत रिम देशों से बना है।
- इस समझौते के तहत देशों को टैरिफ खत्म करने या काफी कम करने और सेवाओं एवं निवेश बाजारों को खोलने के लिए मजबूत प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता होती है।
- इसमें प्रतिस्पर्धा, बौद्धिक संपदा अधिकारों और विदेशी कंपनियों के लिए सुरक्षा को संबोधित करने वाले नियम भी हैं।
व्यापार ब्लॉकों में शामिल होने की आवश्यकता
- ‘चीन प्लस वन’ अवसर का लाभ उठाना: चूंकि वैश्विक व्यवसाय चीन से आगे बढ़कर विविधीकरण की ओर अग्रसर हैं, इसलिए वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, तुर्की और मैक्सिको जैसे देश पहले ही इस प्रवृत्ति का लाभ उठा चुके हैं।
- भारत में एक आकर्षक वैकल्पिक गंतव्य के रूप में उभरने की क्षमता है।
- MSME क्षेत्र को बढ़ावा देना: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) भारत के निर्यात में लगभग 40% का योगदान करते हैं।
- RCEP और CPTPP जैसे बड़े व्यापार ब्लॉकों में एकीकरण से उनकी बाजार पहुंच और विकास की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
- आर्थिक विकास: विश्व बैंक के भारत विकास अपडेट ने इस बात पर बल दिया कि RCEP में शामिल होने से व्यापार, निवेश और GDP वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है।
- व्यापार विस्तार: भारत की अर्थव्यवस्था, जो 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी होने का अनुमान है, वैश्विक बाजारों में अधिक एकीकरण से लाभान्वित होगी, जिससे दीर्घकालिक सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इन ब्लॉकों में शामिल होने की चुनौतियाँ
- व्यापार घाटे की चिंता: चीन के साथ भारत का वर्तमान व्यापार घाटा एक बड़ी समस्या है। वित्त वर्ष 2023 में चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार 118 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें 85 बिलियन डॉलर का घाटा था।
- घरेलू क्षेत्रों पर प्रभाव: MSMEs और कुछ कृषि क्षेत्रों को अंतरराष्ट्रीय आयातों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, जिससे उनकी व्यवहार्यता प्रभावित हो सकती है।
- चीन के साथ आसियान(ASEAN) का व्यापार घाटा 2023 में 135.6 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2020 में 81.7 बिलियन डॉलर हो गया है।
आगे की राह
- भारत को टैरिफ में कमी के लिए चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और अपनी व्यापार नीतियों को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए संरेखित करना चाहिए।
- सब्सिडी, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे के उन्नयन के माध्यम से MSMEs जैसे कमजोर क्षेत्रों के लिए समर्थन सुनिश्चित करना आवश्यक है।
- विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना और गुणवत्ता मानकों को बढ़ाना भारतीय उत्पादों को वैश्विक मंच पर प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्धा करने में सहायता कर सकता है।
- संतुलित व्यापार वार्ता: RCEP और CPTPP में शामिल होने के दौरान, भारत को अपने आर्थिक हितों की रक्षा करने वाली शर्तों पर बातचीत करनी चाहिए।
- इसमें डंपिंग को रोकने और रणनीतिक उद्योगों की रक्षा करने वाले प्रावधान शामिल हैं।
Source: BS
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