सोपस्टोन खनन (Soapstone Mining)
पाठ्यक्रम: GS1/ भूगोल, GS2/शासन व्यवस्था
संदर्भ
- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर जिले में अवैध खनन गतिविधियों के कारण मकानों और पहाड़ियों में दरारें आने के बाद तत्काल खनन कार्य रोकने का आदेश दिया है।
सोपस्टोन क्या है?
- सोपस्टोन एक रूपांतरित चट्टान है जो मुख्य रूप से टैल्क (एक प्राकृतिक खनिज) से बनी होती है। इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है;
- निर्माण और आंतरिक डिजाइन (जैसे, काउंटरटॉप्स, सिंक, चूल्हे, मूर्तियाँ)।
- इसकी कोमलता एवं ऊष्मा प्रतिरोधिता के कारण इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन और फार्मास्यूटिकल्स जैसे औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है।
- भारतीय खान ब्यूरो के अनुसार, भारत में राजस्थान (57%) और उत्तराखंड (25%) राज्यों में सोपस्टोन के पर्याप्त भंडार हैं।
भारत में विनियमन और शासन
- खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 खनन गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
- राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 सतत खनन प्रथाओं पर बल देती है।
Source: IE
मराठी भाषा को आधिकारिक तौर पर शास्त्रीय दर्जा दिया गया
पाठ्यक्रम: GS1/संस्कृति
संदर्भ
- मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के कुछ माह पश्चात्, केंद्र सरकार ने इस संबंध में एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की।
- हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया एवं बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है, जिससे शास्त्रीय भाषाओं की संख्या बढ़कर ग्यारह हो गई है।
शास्त्रीय भाषाएँ
- भारत में छह शास्त्रीय भाषाएँ थीं – तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया।
- तमिल को 2004 में, संस्कृत को 2005 में, कन्नड़ को 2008 में, तेलुगु को 2008 में, मलयालम को 2013 में तथा ओडिया को 2014 में शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया।
- सभी शास्त्रीय भाषाएँ संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध हैं।
- मापदंड: इसके प्रारंभिक ग्रंथों/अभिलेखित इतिहास की प्राचीनता 1,500-2,000 वर्ष की होनी चाहिए,
- प्राचीन साहित्य या ग्रंथों का एक समूह जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता है,
- “ज्ञान ग्रंथो (knowledge texts)” की उपस्थिति, विशेष रूप से कविता, पुरालेखीय एवं शिलालेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त गद्य ग्रंथों की उपस्थिति,
- उक्त भाषा एवं साहित्य अपने आधुनिक प्रारूप से अलग होना चाहिए।
- लाभ : शिक्षा मंत्रालय इसे बढ़ावा देने के लिए कुछ लाभ प्रदान करता है जैसे:
- उक्त भाषाओं के प्रतिष्ठित विद्वानों के लिए दो प्रमुख वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार,
- शास्त्रीय भाषा में अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना,
- तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अनुरोध है कि वह कम से कम केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शास्त्रीय भाषा के लिए निश्चित संख्या में पीठों की स्थापना प्रारंभ करे।
Source: IE
भारत की पुनर्गणना की गई तटरेखा 53 वर्षों में 48% बढ़ी (India’s Recalculated Coastline up 48% in 53 Years)
पाठ्यक्रम: GS1/भूगोल
संदर्भ
- भारत की तटरेखा मात्र पाँच दशकों में लगभग आधी हो गई है – 1970 में 7,516 किमी. से बढ़कर 2023-24 में 11,098 किमी. हो गई।
परिचय
- प्रमुख परिवर्तन:
- बंगाल, गुजरात और गोवा जैसे राज्यों में तटरेखा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जबकि पुडुचेरी में 10.4% की कमी आई।
- गुजरात की पुनर्गणना की गई तटरेखा 1970 में 1,214 किमी से बढ़कर पिछले 53 वर्षों में लगभग दोगुनी होकर 2,340 किमी. हो गई है।
- इस अवधि के दौरान प्रतिशत के दृष्टि से बंगाल में सबसे अधिक वृद्धि हुई – 157 किमी से 721 किमी. तक 357% की वृद्धि।
- राष्ट्रीय स्तर पर, 1970 के आँकड़ों की तुलना में समुद्र तट की वृद्धि 47.6% है।
- नये सर्वेक्षण के अनुसार गुजरात ने सबसे लम्बी तटरेखा वाले राज्य के रूप में अपना स्थान बरकरार रखा है, जबकि तमिलनाडु ने आंध्र प्रदेश को पीछे छोड़ दिया है।
- वृद्धि का कारण: इसका मुख्य कारण भारत के समुद्री पैरामीटर को मापने के लिए एक नई पद्धति का उपयोग करना है।
- पुरानी विधियाँ सीधी रेखा दूरी माप पर निर्भर थीं।
- वैज्ञानिक रूप से अद्यतन दृष्टिकोण राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक द्वारा विकसित किया गया है।
- इसमें खाड़ी, मुहाना, इनलेट एवं अन्य भू-आकृति विज्ञान संबंधी विशेषताओं जैसे जटिल तटीय संरचनाओं का मापन सम्मिलित है।
Source: TOI
भाषिणी परियोजना
पाठ्यक्रम: GS2/ई-गवर्नेंस
समाचार में
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भाषानी परियोजना का उपयोग ई-श्रम पोर्टल को 22 भाषाओं के साथ अपग्रेड करने के लिए किया गया है।
भाषिणी परियोजना
- इसे 2022 में लॉन्च किया गया था। यह व्यापक राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (NLTM) का भाग है।
- इसका उद्देश्य भारतीय भाषाओं में इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं तक आसान पहुँच को सक्षम करना है, जिसमें ध्वनि-आधारित पहुँच भी शामिल है, तथा भारतीय भाषाओं में सामग्री बनाने में सहायता करना है।
महत्त्व
- यह भारतीय नागरिकों को उनकी अपनी भाषा में डिजिटल पहलों से जोड़कर उन्हें सशक्त बनाता है तथा डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देता है।
- इससे इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं में सामग्री बढ़ेगी, विशेषकर शासन, नीति और विज्ञान में।
- यह नागरिकों को क्राउड-सोर्सिंग प्लेटफॉर्म, भाषा दान के माध्यम से आसानी से योगदान करने में सक्षम बनाकर आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है
Source: BS
रोजगारों का भविष्य रिपोर्ट 2025(Future of Jobs Report 2025)
पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
समाचार में
- विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा भविष्य की रोजगारों की रिपोर्ट 2025 जारी की गई है।
मुख्य विशेषताएँ
- रोजगार में व्यवधान और सृजन: 2030 तक 22% रोजगारों में व्यवधान आने की आशंका है। प्रौद्योगिकीय प्रगति और अन्य कारकों के कारण 170 मिलियन नए रोजगार सृजित होंगे।
- तीव्रता से बढते रोजगार: नियोक्ता कार्यबल के आकार को कम करने और कर्मचारियों को कौशल प्रदान करने के लिए तेजी से स्वचालन और AI की ओर देख रहे हैं।
- AI और बिग डेटा कौशल में 87% की वृद्धि होगी, इसके बाद साइबर सुरक्षा (70%) का स्थान होगा।
- तीव्रता से घटने वाले रोजगार: डाक सेवा क्लर्क, बैंक टेलर, डाटा एंट्री क्लर्क, कैशियर और टेलीमार्केटर्स जैसी भूमिकाओं में सबसे अधिक गिरावट आने की संभावना है।
- भारत-विशिष्ट अंतर्दृष्टि: डिजिटल पहुँच, भू-राजनीतिक तनाव एवं जलवायु परिवर्तन के प्रयास भारत में रोजगार के प्रवृत्ति को संचालित करेंगे।
- AI, रोबोटिक्स, स्वायत्त प्रणालियों एवं ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में महत्त्वपूर्ण निवेश किया जा रहा है।
विश्व आर्थिक मंच (WEF) का परिचय
- विश्व आर्थिक मंच (WEF) सार्वजनिक-निजी सहयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- इसकी स्थापना 1971 में प्रोफेसर क्लॉस श्वाब ने की थी एवं इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के दावोस में है।
- WEF विश्व की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करने एवं उनका समाधान करने के लिए व्यापार, सरकार, शिक्षा और नागरिक समाज के नेताओं को एक साथ लाता है।
Source: IE
एण्ड्रोजन सिग्नलिंग (Androgen Signalling)
पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान
संदर्भ
- एक अध्ययन के अनुसार, एण्ड्रोजन सिग्नलिंग दोनों लिंगों के विकास, प्रजनन क्षमता, शरीरक्रिया विज्ञान एवं उपस्थिति के साथ-साथ पुरुषों में लिंग-विशिष्ट क्रॉविंग (crowing) व्यवहार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
परिचय
- एण्ड्रोजन सेक्स हार्मोन पुरुष यौन विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं जबकि एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टेरोन महिलाओं में समान भूमिका निभाते हैं।
- अध्ययन में पाया गया कि एण्ड्रोजन रिसेप्टर्स महिलाओं में यौन विकास एवं प्रजनन क्षमता के लिए पुरुषों की तरह ही महत्त्वपूर्ण हैं।
एण्ड्रोजन सिग्नलिंग
- एंड्रोजन सिग्नलिंग उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसके द्वारा एंड्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और इसके डेरिवेटिव सहित पुरुष सेक्स हार्मोन का एक समूह, कोशिकाओं एवं ऊतकों पर अपना प्रभाव डालता है।
- एंड्रोजन रिसेप्टर्स की सक्रियता विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है, जैसे:
- पुरुष द्वितीयक लैंगिक विशेषताओं का विकास: इनमें चेहरे पर बाल, गहरी आवाज एवं मांसपेशियाँ सम्मिलित हैं।
- एनाबोलिक प्रभाव: वे प्रोटीन संश्लेषण एवं मांसपेशियों की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं, शारीरिक शक्ति और शरीर संरचना में योगदान करते हैं।
- प्रजनन स्वास्थ्य: एण्ड्रोजन शुक्राणु उत्पादन एवं पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य के अन्य पहलुओं में भूमिका निभाते हैं।
- तंत्रिका विकास और व्यवहार: एण्ड्रोजन सिग्नलिंग केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता है, जो मूड, अनुभूति एवं व्यवहार को प्रभावित करता है।
Source: TH
मियावाकी तकनीक (Miyawaki Technique)
पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
संदर्भ
- प्रयागराज नगर निगम ने बंजर क्षेत्रों को हरे-भरे वन में बदलने के लिए मियावाकी तकनीक का उपयोग किया है।
मियावाकी तकनीक
- उत्पत्ति: मियावाकी तकनीक, जिसे प्रायः ‘पॉट प्लांटेशन विधि’ के रूप में जाना जाता है, 1970 के दशक में प्रसिद्ध जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित की गई थी।
- यह छोटे शहरी स्थानों में घने जंगल बनाने की एक क्रांतिकारी विधि है।
- सिद्धांत: इसमें पेड़ों एवं झाड़ियों को एक-दूसरे के करीब लगाना सम्मिलित है ताकि उनकी वृद्धि में तेज़ी आए।
- इस तकनीक से पौधे 10 गुना तेज़ी से बढ़ते हैं, जिससे यह शहरी क्षेत्रों के लिए एक व्यावहारिक समाधान बन जाता है।
- महत्त्व: शहरी क्षेत्रों में, इस पद्धति से बंजर, प्रदूषित भूमि को सफलतापूर्वक हरित पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तित करने, साथ ही औद्योगिक कचरे का प्रबंधन करने एवं प्रदूषण पर अंकुश लगाने में सफलता मिली है।
Source: PIB
फ्लेमिंगो महोत्सव 2025
पाठ्यक्रम :GS3/ समाचार में प्रजातियाँ
समाचार में
- फ्लेमिंगो महोत्सव, पुलिकट झील एवं नेलापट्टू पक्षी अभयारण्य में प्रवासी पक्षियों, विशेषकर फ्लेमिंगो के आगमन का जश्न मनाया जायेगा , जो आंध्र प्रदेश में स्थित दोनों महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक स्थल हैं।
महोत्सव का परिचय
- यह पुलिकट झील एवं नेलापट्टू पक्षी अभयारण्य में आने वाले प्रवासी पक्षियों को समर्पित एक वार्षिक कार्यक्रम है, जिसमें फ्लेमिंगो पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
- गतिविधियाँ और आकर्षण:
- प्रवासी प्रजातियों को देखने के लिए पक्षी-दर्शन पर्यटन।
- स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए पर्यावरण-अनुकूल जैव विविधता सत्र।
- BV PALEM (बी.वी पालेम) में नौका विहार गतिविधियाँ आगंतुकों को पुलिकट झील का नज़दीक से नज़ारा प्रदर्शित करती हैं।
फ्लेमिंगो का परिचय
- फ्लेमिंगो सामाजिक प्राणी हैं जो अलग-अलग आकार के बड़े समूहों में रहते हैं, कभी-कभी हजारों की संख्या में एकत्र होते हैं।
- निवास स्थान: फ्लेमिंगो विभिन्न प्रकार के निवास स्थानों जैसे लैगून, नदी के मुहाने, तटीय एवं अंतर्देशीय झीलों और कीचड़युक्त भूमि में रहते हैं।
- प्रकार: छह फ्लेमिंगो प्रजातियाँ एवं उनकी IUCN रेड लिस्ट स्थिति इस प्रकार है:
- ग्रेटर फ्लेमिंगो, – कम चिंताजनक (Least Concern )
- चिली फ्लेमिंगो, – खतरे के निकट ( Near Threatened )
- अमेरिकी फ्लेमिंगो – कम चिंताजनक( Least Concern )
- लेसर फ्लेमिंगो – खतरे के निकट (Near Threatened )
- एंडियन फ्लेमिंगो – सुभेद्य (Vulnerable )
- जेम्स फ्लेमिंगो (पुना फ्लेमिंगो) – सुभेद्य (Vulnerable )
- भारत में स्थिति: ग्रेटर फ्लेमिंगो सामान्यतः इजरायल, अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान से भारत में प्रवास करते हैं। ग्रेटर फ्लेमिंगो गुजरात का राज्य पक्षी है।
- लेसर फ्लेमिंगो साइबेरिया से गुजरात के कच्छ के रण के माध्यम से मुंबई तक प्रवास करते हैं।
पुलिकट झील का परिचय – पुलिकट झील ओडिशा की चिल्का झील के पश्चात् भारत की दूसरी सबसे बड़ी लवणीय जल की झील है। यह प्रवासी पक्षियों को सहारा देने और क्षेत्रीय जैव विविधता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। – पुलिकट झील आंध्र प्रदेश-तमिलनाडु सीमा पर फैली हुई है, तथा इसका 96% क्षेत्र आंध्र प्रदेश में स्थित है। – यह झील प्रवासी पक्षियों के लिए प्रमुख भोजन एवं प्रजनन स्थल के रूप में कार्य करती है, जिनमें फ्लेमिंगो, पेलिकन और विभिन्न अन्य प्रजातियाँ शामिल हैं। नेलापट्टू पक्षी अभयारण्य का परिचय – नेलापट्टू दक्षिण-पूर्व एशिया में स्पॉट-बिल्ड पेलिकन (पेलिकनस फिलिपेंसिस) के लिए सबसे बड़ा प्रजनन स्थल है। यह इस क्षेत्र के सबसे महत्त्वपूर्ण पक्षी अभयारण्यों में से एक है। – पुलिकट झील से लगभग 20 किमी. उत्तर में स्थित यह मंदिर आंध्र प्रदेश-तमिलनाडु सीमा पर भी स्थित है। |
Source :TH
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