पाठ्यक्रम: GS2/IR
संदर्भ
- संयुक्त अरब अमीरात के क्राउन प्रिंस भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं।
प्रमुख विशेषताएँ
- रक्षा सहयोग: रक्षा सहयोग को मजबूत किया गया तथा विनिर्माण साझेदारी को बढ़ाया गया।
- व्यापार और व्यवसाय की प्रगति के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
- द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण आदान-प्रदान को एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में पहचाना गया।
- एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से तटरक्षक-से-तटरक्षक सहयोग को औपचारिक रूप दिया गया।
- शैक्षणिक पहल: दुबई में IIM अहमदाबाद का पहला विदेशी परिसर स्थापित करने के लिए समझौता (2025 में प्रारंभ होने वाला MBA कार्यक्रम)।
- एक्सपो सिटी दुबई में भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT) परिसर का शुभारंभ।
- बुनियादी ढांचा और आर्थिक परियोजनाएँ: भारत मार्ट का निर्माण प्रारंभ होगा तथा परिसर का 3-डी रेंडरिंग लॉन्च किया जाएगा।
- दुबई में UAE-भारत मैत्री अस्पताल के लिए भूमि का आवंटन।
- कोच्चि और वडिनार में जहाज-मरम्मत क्लस्टर का विकास।
- दुबई चैंबर ऑफ कॉमर्स के लिए भारत कार्यालय की स्थापना।
UAE के बारे में – UAE अरब प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्व में ओमान और सऊदी अरब की सीमा पर स्थित है। – स्वतंत्रता से पूर्व, सात अमीरात ट्रूशियल स्टेट्स नामक एक ब्रिटिश संरक्षित राज्य का हिस्सा थे। – 1971 में, UAE छह अमीरातों – अबू धाबी, दुबई, शारजाह, अजमान, उम्म अल-क्वैन और फुजैराह का एक संघ बन गया, जबकि सातवाँ अमीरात, रास अल खैमाह, 1972 में संघ में शामिल हो गया। – राजधानी शहर अबू धाबी है, जो सात अमीरातों में सबसे बड़े और सबसे धनी क्षेत्र में स्थित है। |
संयुक्त अरब अमीरात और भारत संबंधों का संक्षिप्त अवलोकन:
- राजनीतिक: भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित किए।
- बहुपक्षीय सहयोग: भारत और UAE वर्तमान में कई बहुपक्षीय मंचों जैसे I2U2 (भारत-इज़राइल-UAE-USA) और UFI (UAE-फ़्रांस-भारत) त्रिपक्षीय आदि का हिस्सा हैं।
- UAE को G-20 शिखर सम्मेलन में अतिथि देश के रूप में भी आमंत्रित किया गया था।
- आर्थिक और वाणिज्यिक: CEPA पर 2022 में हस्ताक्षर किए गए, समझौते के बाद से, द्विपक्षीय व्यापारिक व्यापार वित्त वर्ष 2020-21 में 43.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से लगभग दोगुना होकर वित्त वर्ष 2023-24 में 83.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है।
- UAE भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य (अमेरिका के बाद) है, जिसका वर्ष 2022-23 के लिए लगभग 31.61 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात है।
- द्विपक्षीय व्यापार 97 बिलियन डॉलर से अधिक होने की संभावना है, जिसमें गैर-तेल व्यापार में 100 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का लक्ष्य है।
- रक्षा सहयोग: इसे मंत्रालय स्तर पर संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (JDCC) के माध्यम से संचालित किया जाता है, जिसके तहत 2003 में रक्षा सहयोग पर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो 2004 में प्रभावी हुआ।
- अंतरिक्ष सहयोग: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और UAE अंतरिक्ष एजेंसी ने 2016 में शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष की खोज एवं उपयोग में सहयोग के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
- भारतीय समुदाय: लगभग 3.5 मिलियन का भारतीय प्रवासी समुदाय UAE का सबसे बड़ा जातीय समुदाय है, जो देश की जनसंख्या का लगभग 35% हिस्सा है।
चुनौतियाँ
- व्यापार असंतुलन: भारत का संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापार घाटा है, जिसका मुख्य कारण संयुक्त अरब अमीरात से उच्च तेल आयात है, जो गैर-तेल व्यापार में वृद्धि के बावजूद आर्थिक संबंधों को असमान बनाता है।
- क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव: मध्य पूर्व और खाड़ी क्षेत्र में राजनीतिक अस्थिरता द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करती है, विशेष रूप से इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों को प्रभावित करती है।
- श्रम और प्रवासन मुद्दे: भारत संयुक्त अरब अमीरात में प्रवासी श्रमिकों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, और भारतीय श्रमिकों के कल्याण और अधिकारों से संबंधित मुद्दे चिंता का विषय रहे हैं।
- संयुक्त अरब अमीरात की विदेश नीति: ईरान और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ भारत के संबंध कभी-कभी संयुक्त अरब अमीरात के साथ उसके संबंधों को जटिल बनाते हैं, जो इस क्षेत्र में अलग-अलग रणनीतिक प्राथमिकताओं को बनाए रखता है।
आगे की राह
- 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के गैर-तेल व्यापार लक्ष्य को आक्रामक रूप से प्राप्त करें: कार्यान्वयन चुनौतियों का सक्रिय रूप से समाधान करके व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) का लाभ उठाएँ।
- व्यापार विविधीकरण पर ध्यान दें: तेल और रत्न एवं आभूषण जैसे पारंपरिक क्षेत्रों से आगे बढ़कर प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उच्च-विकास वाले क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ावा देना।
- निवेश प्रवाह बढ़ाना: भारत के बुनियादी ढाँचे, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में और इसके विपरीत UAE के अधिक निवेश को प्रोत्साहित करना।
- MSMEs और स्टार्टअप का समर्थन करना: भारत मार्ट जैसी पहलों के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार और निवेश पारिस्थितिकी तंत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों और स्टार्टअप को सक्रिय रूप से शामिल करना।
- प्रवासी समुदाय को मजबूत करना: UAE में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासियों के माध्यम से संबंधों को मजबूत करना, विभिन्न क्षेत्रों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सहयोग को सुविधाजनक बनाना।
Source: IE
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संक्षिप्त समाचार 08-04-2025