भारत में जनगणना में विलम्ब

पाठ्यक्रम: GS2/शासन

सन्दर्भ

  • केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने सांख्यिकी पर 14 सदस्यीय स्थायी समिति (SCoS) को भंग कर दिया है।
    • आधिकारिक कारण यह बताया गया कि समिति का कार्य हाल ही में गठित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संचालन समिति के कार्य से सम्बंधित है।

परिचय

  • SCoS का गठन 2023 में किया गया था और इसका उद्देश्य सर्वेक्षण पद्धति पर केंद्र सरकार को परामर्श देना था, जिसमें नमूना फ्रेम, नमूना डिजाइन और सर्वेक्षण उपकरण सम्मिलित थे तथा सर्वेक्षणों की सारणीबद्ध योजना को अंतिम रूप देना था।
  • भारत की दशकीय जनगणना 1870 के दशक से प्रत्येक दस वर्ष में आयोजित की जाती रही है, और पिछली जनगणना 2011 में आयोजित की गई थी।
  • अगली जनगणना, जो 2021 के लिए निर्धारित है, शुरू में COVID-19 महामारी के कारण विलंबित हो गई थी, और अभी तक अधिसूचित नहीं की गई है।
  • कई अर्थशास्त्रियों ने चिंता व्यक्त की है कि अधिकांश सांख्यिकीय सर्वेक्षणों के लिए उपयोग किए जाने वाले डेटा सेट अभी भी 2011 की जनगणना से लिए जा रहे हैं, जिससे उनकी सटीकता और गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

जनगणना क्या है?

  • जनगणना किसी विशिष्ट क्षेत्र के अंदर जनसंख्या के जनसांख्यिकीय, आर्थिक और सामाजिक डेटा के आवधिक और व्यवस्थित संग्रह को संदर्भित करती है।
  • यह सामान्यतः सरकारों द्वारा जनसंख्या की विशेषताओं और जीवन स्थितियों के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने के लिए आयोजित की जाती है।
  • जनगणना महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करती है जिसका उपयोग सरकारें, व्यवसाय, शोधकर्ता और नीति निर्माता विभिन्न उद्देश्यों जैसे सार्वजनिक सेवाओं की योजना बनाने, धन आवंटित करने और सूचित निर्णय लेने के लिए करते हैं।

भारत में जनगणना

  • भारत में जनगणना 1871 से नियमित रूप से की जाती रही है। पहली पूर्ण जनगणना 1881 में की गई थी।
  • संवैधानिक अधिदेश: भारत की जनगणना 1948 के जनगणना अधिनियम के प्रावधानों के तहत की जाती है, जो भारत सरकार को समय-समय पर जनसंख्या सर्वेक्षण करने का अधिकार देता है।
  • आवृत्ति: भारत की जनगणना दशकीय आधार पर की जाती है, जिसका अर्थ है कि यह प्रत्येक दस वर्ष में होती है।
    • सबसे हालिया जनगणना 2011 में आयोजित की गई थी।

जनगणना का महत्व

  • नीति निर्माण: यह शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक कल्याण से संबंधित नीतियों की योजना बनाने तथा उन्हें तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करता है।
  • संसाधन आवंटन: यह जनसंख्या वितरण, जनसांख्यिकी और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर डेटा प्रदान करके संसाधनों के समान वितरण में सहायता करता है।
  • जनसांख्यिकीय रुझान: यह जनसांख्यिकीय रुझान, शहरीकरण पैटर्न, प्रवास प्रवाह और जनसंख्या वृद्धि दर को समझने में सहायता करता है।
  • विकास लक्ष्यों की निगरानी: जनगणना डेटा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों, जैसे सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में प्रगति की निगरानी में सहायक है।

भारत में जनगणना में देरी क्यों हो रही है?

  • कोविड-19 महामारी: कोविड-19 महामारी ने जनगणना जैसे बड़े पैमाने के सर्वेक्षणों सहित विभिन्न गतिविधियों के शेड्यूलिंग और नियोजन को महत्वपूर्ण रूप से बाधित किया है।
  • तैयारी और नियोजन: भारत जैसे विशाल जनसंख्याँ वाले देश में जनगणना आयोजित करने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों में सावधानीपूर्वक नियोजन, संसाधन जुटाने और समन्वय की आवश्यकता होती है।
  • राजनीतिक और प्रशासनिक प्राथमिकताएँ: सरकारें अन्य गतिविधियों या चुनावों को प्राथमिकता देती हैं, जिससे जनगणना प्रक्रिया में देरी होती है।
  • तकनीकी और पद्धतिगत उन्नयन: डेटा संग्रह, प्रसंस्करण और विश्लेषण के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीक तथा कार्यप्रणाली में समय-समय पर अपडेट एवं सुधार के लिए अतिरिक्त समय और संसाधनों की आवश्यकता होती है।
  • डेटा संग्रह की जटिलता: भूगोल, भाषाओं, संस्कृतियों और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के संदर्भ में भारत की विविधता एक व्यापक जनगणना आयोजित करने में अद्वितीय चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है।

निष्कर्ष

  • जनगणना के आंकड़ों को कोविड-19 महामारी के दौरान ‘अतिरिक्त मृत्युओं’ के विश्लेषण के आधार पर मृत्यु दर के विभिन्न अनुमानों को मान्य करना चाहिए। 
  • यह आवश्यक है कि शहरीकरण और राज्यों में लोगों के प्रवास से संबंधित भारत की जनसांख्यिकी में दशकीय बदलावों को पर्याप्त रूप से दर्ज किया जाए। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी कल्याणकारी योजनाएं जनसंख्या अनुमानों पर निर्भर करती हैं और सरकार 2011 की जनगणना पर निर्भर रहती है, जो अब पुरानी हो चुकी है। 
  • शासन के लिए प्रशासनिक, कल्याण तथा सांख्यिकीय प्रबंधन की सुचारू योजना और कार्यान्वयन के लिए इन और अन्य अनिवार्यताओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार को जनगणना शुरू करने में उत्सुकता दिखानी चाहिए।

Source: TH