वर्षावनों(Rainforests) को रबर के बागानों में बदलने से मिट्टी के गुणों में परिवर्तन

पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण

सन्दर्भ

  • एक अध्ययन में पाया गया कि वनों की कटाई और पूर्ववर्ती वर्षावनों को रबर बागानों में परिवर्तित करना मृदा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

प्राकृतिक रबर की खेती

  • प्राकृतिक रबर हेविया ब्रासिलिएन्सिस के लेटेक्स से प्राप्त होता है, जो अमेज़न बेसिन का एक पेड़ है। 
  • उच्च वैश्विक मांग के कारण दक्षिण पूर्व एशिया और अन्य उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रबर की कृषि का प्रसार हुआ है।

रबर बागानों का प्रभाव

  • DOC उत्पादन में वृद्धि: अध्ययनों से पता चलता है कि रबर के बागानों में घुले हुए कार्बनिक कार्बन (DOC) का स्तर सभी मौसमों में अधिक होता है, जो प्राकृतिक वर्षावन के स्तर से अधिक होता है।
    • DOC कार्बन चक्र में एक महत्वपूर्ण घटक है, जो कार्बन परिवर्तन और प्रवास को प्रभावित करता है। हालाँकि, अत्यधिक DOC निक्षालन समस्याजनक हो सकता है।
  • परिवर्तित कार्बन-नाइट्रोजन अनुपात: रबर के बागानों में घुले हुए नाइट्रोजन के अनुपात में DOC अधिक होता है, जो इष्टतम मृदा स्वास्थ्य के लिए आवश्यक संतुलन को बाधित करता है।
    • यह असंतुलन सूक्ष्मजीव गतिविधि को प्रभावित करता है, जिससे DOC का सीमित उपयोग होता है और अधिक निक्षालन होता है।
  • पोषक तत्वों की मांग: रबर के पेड़ों को पोषक तत्वों की उच्च आवश्यकता होती है, जो समय के साथ मिट्टी की उर्वरता को कम करती है।
  • मृदा कार्बनिक पदार्थ (OM) परिवर्तन: ये परिवर्तन मिट्टी के भौतिक और जैव रासायनिक गुणों को परिवर्तित कर देते हैं, विशेष रूप से ऊपरी मिट्टी, जो विविध पारिस्थितिकी प्रणालियों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

उपाय

  • पौधों की सघनता को अनुकूल बनाना: प्रति इकाई क्षेत्र में रबर के पेड़ों की इष्टतम संख्या बनाए रखने से पोषक तत्वों के अवशोषण को संतुलित करने में सहायता मिलती है और मिट्टी की गुणवत्ता पर तनाव कम होता है।
  • फलीदार फसलों की अंतर-फसल: रबर के बागानों में फलीदार फसलों को शामिल करने से मिट्टी में नाइट्रोजन का स्तर बेहतर हो सकता है, जिससे सूक्ष्मजीवी गतिविधि और पोषक तत्वों का चक्रण बढ़ सकता है।
  • टिकाऊ भूमि प्रबंधन: मल्चिंग, कवर क्रॉपिंग और कम जुताई जैसी मृदा संरक्षण तकनीकों को अपनाने से मिट्टी की संरचना तथा कार्बनिक पदार्थ की मात्रा की रक्षा हो सकती है।

निष्कर्ष

  • रबर बागान क्षेत्रों में मृदा स्वास्थ्य सुनिश्चित करना न केवल दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता के लिए बल्कि व्यापक पर्यावरण संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है।
  • निष्कर्षों में पारिस्थितिक अखंडता के साथ आर्थिक हितों के सामंजस्य के लिए एकीकृत भूमि प्रबंधन रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
रबर उत्पादन के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ
जलवायु: 25-35 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान के साथ गर्म और आर्द्र परिस्थितियाँ।
वर्षा: 1,800-2,500 मिमी के बीच वार्षिक वर्षा।
मिट्टी का प्रकार: अच्छी जल धारण क्षमता वाली गहरी, अच्छी जल निकासी वाली दोमट या लैटेराइट मिट्टी।
ऊँचाई: सामान्यतः समुद्र तल से 300 मीटर ऊपर उगाया जाता है।
भारत में रबर उत्पादन
केरल: रबर उत्पादन में अग्रणी राज्य, जो भारत के कुल उत्पादन में 70% से अधिक का योगदान देता है। अन्य राज्य तमिलनाडु, कर्नाटक, त्रिपुरा और असम हैं।

Source: DTE