भारत की डिजिटल क्रांति: गवर्नेंस(Governance ) को ई-गवर्नेंस(E-Governance) में बदलना

पाठ्यक्रम: GS2/ ई-गवर्नेंस/शासन

सन्दर्भ

  • हाल के वर्षों में भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे में परिवर्तनकारी विकास हुआ है, जिससे देश डिजिटल अपनाने में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित हो गया है।

परिचय

  • क्लाउड कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग (ML) और डिजिटल गवर्नेंस में नवाचारों द्वारा संचालित तेजी से विस्तारित डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ, भारत का बुनियादी ढांचा सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए लगातार विकसित हो रहा है।
  • देश की डिजिटल आधार को मजबूत करने, सरकारी सेवाओं को प्रदान करने में पहुंच, मापनीयता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रमुख पहल और परियोजनाएं शुरू की गई हैं।
  •  डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) उन मूलभूत डिजिटल प्रणालियों को संदर्भित करता है जो सुलभ, सुरक्षित एवं अंतर-संचालन योग्य हैं, जो आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं का समर्थन करते हैं।

भारत का डिजिटल अवसंरचना परिदृश्य

  • भारत में, औद्योगिक विकास के लिए पारंपरिक बुनियादी ढांचे की तरह ही, DPI डिजिटल अर्थव्यवस्था को परिवर्तन करने में सहायक रहा है।
  • मुख्य प्लेटफॉर्म और उपलब्धियाँ
    • आधार: विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल पहचान कार्यक्रम।
      • 138.34 करोड़ से अधिक आधार संख्याएँ जारी की गईं, जिससे पहचान प्रमाणीकरण सुनिश्चित हुआ।
    • यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI): जून 2024 तक 24,100 करोड़ वित्तीय लेन-देन की सुविधा प्रदान की गई।
      • वित्तीय समावेशन और कैशलेस लेन-देन को बढ़ाता है।
    • डिजिलॉकर: 37 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता, डिजिटल दस्तावेज़ सत्यापन और भंडारण प्रदान करते हैं।
    • DIKSHA: विश्व का सबसे बड़ा शिक्षा मंच, 556 करोड़ शिक्षण सत्र प्रदान करता है।
    • राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN): राष्ट्रीय और राज्य डेटा केंद्रों को जोड़ता है, जिससे संसाधन साझाकरण एवं सहयोगी अनुसंधान संभव होता है।
  • अतिरिक्त प्लेटफार्म
    • GeM: सरकारी खरीद को सुलभ बनाता है।
    • UMANG: 7.12 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 2,077 सरकारी सेवाएँ प्रदान करता है।
    • Co-WIN और आरोग्य सेतु: टीकाकरण ट्रैकिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के ज़रिए स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन।
    • ई-संजीवनी(e-Sanjeevani) और ई-हॉस्पिटल(e-Hospital): टेलीमेडिसिन और अस्पताल प्रबंधन के ज़रिए स्वास्थ्य सेवा वितरण में बदलाव।
    • पोषण ट्रैकर और ई-ऑफ़िस: पोषण निगरानी को बेहतर बनाएँ और सरकारी वर्कफ़्लो को डिजिटल बनाएँ।
    • मेरी पहचान(MeriPehchaan): सरकारी सेवाओं तक निर्बाध पहुँच के लिए सिंगल साइन-ऑन प्लेटफ़ॉर्म।
    • API सेतु: 6,000+ API के ज़रिए डेटा एक्सचेंज की सुविधा देता है, जिससे 312 करोड़ लेन-देन संभव होते हैं।
    • मेघराज (GI क्लाउड): केंद्र और राज्य सरकारों में क्लाउड इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देता है, जिससे:
      • डिजिटल भुगतान।
      • पहचान सत्यापन।
      • सहमति-आधारित डेटा साझाकरण।

अर्थव्यवस्था और समाज पर प्रभाव

  • आर्थिक विकास: वित्तीय समावेशन (UPI, आधार के माध्यम से) को बढ़ावा देता है, IT लागत को कम करता है, और डेटा केंद्रों और क्लाउड सेवाओं के साथ नवाचार को बढ़ावा देता है। बुनियादी ढांचे पर व्यय से GDP गुणक 2.5-3.5 गुना बढ़ जाता है।
  • वैश्विक नेतृत्व: इंडिया स्टैक जैसे भारत के डिजिटल समाधान वैश्विक दक्षिण की सहायता कर रहे हैं।
  • कुशल शासन: डिजिलॉकर, उमंग और मेघराज जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से सेवाओं की तेज़, पारदर्शी और कागज़ रहित डिलीवरी।
  • सामाजिक प्रभाव: शिक्षा (दीक्षा), स्वास्थ्य सेवा (Co-WIN, e-Sanjeevani) और कौशल विकास (SIDH) में सुधार करता है।
  • समावेशिता: कॉमन सर्विस सेंटर (CSCs) ई-सेवाओं तक ग्रामीण पहुँच को बढ़ाते हैं।

चुनौतियां

  • डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित कनेक्टिविटी और सामर्थ्य।
  • साइबर सुरक्षा जोखिम: बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह के कारण डेटा उल्लंघन और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ।
  • बुनियादी ढांचे की कमी: बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त बैंडविड्थ और डेटा सेंटर क्षमता।
  • कौशल की कमी: AI और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी उन्नत तकनीकों में डिजिटल साक्षरता एवं विशेषज्ञता की कमी।
  • नीति और समन्वय के मुद्दे: धीमा अंतर-विभागीय समन्वय और पुराना नियामक ढाँचा।

आगे की राह

  • बुनियादी ढांचे का विस्तार करें: ग्रामीण कनेक्टिविटी में निवेश करें और डेटा सेंटर की क्षमता बढ़ाएँ।
  • साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करें: डेटा सुरक्षा कानूनों को मजबूत करें और मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों को लागू करें।
  • डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दें: कौशल अंतर को समाप्त करने के लिए लक्षित कार्यक्रम शुरू करें, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
  • नीति को कारगर बनाएँ: तकनीकी प्रगति के साथ सामंजस्य बनाए रखने के लिए नियामक ढाँचे को सरल बनाएँ।

Source: PIB