भारत का भूस्थानिक बाज़ार 2025 तक 25,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी

सन्दर्भ

  • भारत भू-स्थानिक बाजार आउटलुक 2024 के अनुसार, भारत का भू-स्थानिक बाजार 16.5% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 2025 तक 25,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
    • 2019 से 2024 के बीच 126 कंपनियों में 1 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया है।

भूस्थानिक प्रौद्योगिकी क्या है?

  • भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों में स्थान-आधारित विश्लेषण, वास्तविक समय डेटा मैपिंग, हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग और ड्रोन-आधारित सर्वेक्षण शामिल हैं। 
  • ये उपकरण शहरी विकास, बुनियादी ढाँचा विकास, जलवायु अध्ययन (डीप ओशन मिशन) और कृषि आदि जैसे क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का महत्व

  • कृषि: ड्रोन और उपग्रह इमेजरी द्वारा समर्थित सटीक कृषि फसल की उपज और संसाधन उपयोग में सुधार करती है।
  • आपदा प्रबंधन: भू-स्थानिक डेटा बाढ़, सूखे और प्राकृतिक आपदाओं के लिए प्रारंभिक चेतावनी देने में सक्षम बनाता है, जिससे तैयारी में वृद्धि होती है।
  • शहरी विकास: स्मार्ट शहर यातायात प्रबंधन, अपशिष्ट संग्रह और सार्वजनिक सेवाओं के लिए GIS का उपयोग करते हैं।
  • पर्यावरण निगरानी: वनों की कटाई, जल निकायों और प्रदूषण को ट्रैक करने में सहायता करता है, जिससे जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों का समर्थन होता है।
  • रक्षा और सुरक्षा: सीमा निगरानी, ​​मानचित्रण और रणनीतिक संचालन को सक्षम बनाता है।

सरकारी पहल

  • पीएम गति शक्ति वास्तविक समय मानचित्रण का उपयोग करके बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 का उद्देश्य भू-स्थानिक डेटा का लोकतंत्रीकरण करना और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ाना है।
  • स्मार्ट सिटीज मिशन बेहतर शहरी नियोजन के लिए स्थान-आधारित विश्लेषण का उपयोग करता है।

प्रौद्योगिकी प्रगति

  • हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग: यह सैकड़ों प्रकाश तरंगदैर्घ्यों को कैप्चर करता है, जिससे निम्नलिखित अनुप्रयोगों को सक्षम किया जा सकता है;
    • फसल रोगों और मिट्टी के पोषक तत्वों के स्तर का शीघ्र पता लगाना।
    • जल प्रदूषण और मीथेन रिसाव की निगरानी करना।
  • ड्रोन प्रौद्योगिकी: आइडियाफोर्ज(ideaForge) जैसी कंपनियों ने वास्तविक समय, उच्च-रिज़ॉल्यूशन मैपिंग के माध्यम से डेटा संग्रह में क्रांति ला दी है, जो रक्षा और खनन जैसे क्षेत्रों के लिए सेंटीमीटर-स्तर की सटीकता प्रदान करती है।

चुनौतियां

  • डेटा सुरक्षा: भू-स्थानिक डेटा संवेदनशील है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
  • जागरूकता की कमी: भू-स्थानिक अनुप्रयोगों के बारे में छोटे उद्यमों में जागरूकता सीमित है।
  • बुनियादी ढांचे की कमी: भू-स्थानिक बुनियादी ढांचे तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता है।
  • कौशल की कमी: भू-स्थानिक डेटा विश्लेषण और ड्रोन प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित पेशेवरों की आवश्यकता।

आगे की राह

  • नीति कार्यान्वयन: राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 को डेटा साझाकरण ढांचे और सार्वजनिक-निजी सहयोग को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • क्षमता निर्माण: शैक्षणिक कार्यक्रमों और अनुसंधान प्रोत्साहनों के माध्यम से भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों में पेशेवरों को प्रशिक्षित करें।
  • स्टार्टअप को बढ़ावा देना: घरेलू क्षमताओं को मजबूत करने के लिए स्काईरूट एयरोस्पेस और आइडियाफोर्ज जैसे स्वदेशी स्टार्टअप को बढ़ावा दें।
  • वैश्विक भागीदारी: भारत के भू-स्थानिक निर्यात का विस्तार करने के लिए वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसियों और निजी फर्मों के साथ सहयोग करें।

Source: ET