भारत में FDI प्रवाह 1 ट्रिलियन डॉलर के पार

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

सन्दर्भ

  • भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह अप्रैल 2000-सितंबर 2024 की अवधि में 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) क्या है ?

  • यह विदेशी संस्थाओं (व्यक्तियों या कंपनियों) द्वारा किसी अन्य देश के व्यावसायिक हितों में किए गए निवेश को संदर्भित करता है, जो सामान्यतः उद्यमों के स्वामित्व या नियंत्रण के रूप में होता है। 
  • वर्तमान में, लॉटरी, जुआ एवं सट्टेबाजी, चिट फंड, निधि कंपनी, रियल एस्टेट व्यवसाय और तंबाकू का उपयोग करके सिगार, चुरूट, सिगारिलोस तथा सिगरेट के निर्माण में FDI प्रतिबंधित है।

भारत में FDI के लिए मार्ग

  • स्वचालित मार्ग: किसी पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है।
    • निवेशकों को निवेश करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सूचित करना होगा।
    • विनिर्माण और सॉफ्टवेयर जैसे अधिकांश क्षेत्र इस मार्ग के अंतर्गत आते हैं।
  • सरकारी स्वीकृति मार्ग: संबंधित मंत्रालय या विभाग से पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता होती है।
    • दूरसंचार, मीडिया, फार्मास्यूटिकल्स और बीमा जैसे क्षेत्र इस मार्ग के अंतर्गत आते हैं।

FDI  प्रवाह में रुझान

  • FDI  की संचयी राशि में इक्विटी, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी शामिल है। 
  • 2014 से भारत ने संचयी FDI  प्रवाह में $667.4 बिलियन आकर्षित किया है, जो पिछले दशक (2004-2014) की तुलना में 119% की वृद्धि दर्शाता है। 
  • स्रोत: 25% FDI  मॉरीशस मार्ग से आया।
    •  इसके बाद सिंगापुर (24%), अमेरिका (10%), नीदरलैंड (7%), जापान (6%), यू.के. (5%), यूएई (3%) और केमैन आइलैंड्स, जर्मनी एवं साइप्रस में 2-2% FDI  आया। 
  • अधिकतम प्रवाह को आकर्षित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दूरसंचार, व्यापार, निर्माण विकास, ऑटोमोबाइल, रसायन एवं फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं।

FDI का महत्व

  • बुनियादी ढांचे का विकास: भारत को बुनियादी ढांचे में सुधार और विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता है।
  • भुगतान संतुलन (BoP): FDI  विदेशी पूंजी लाकर चालू खाता घाटे को समाप्त करने में सहायता करता है।
  • मुद्रा स्थिरता: स्वस्थ प्रवाह वैश्विक बाजारों में रुपये के मूल्य का समर्थन करता है।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और रोजगार: FDI  आधुनिक प्रौद्योगिकी लाता है और विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजित करता है।

चुनौतियां

  • भू-राजनीतिक तनाव: चल रहे संघर्ष एवं व्यापार युद्ध वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करते हैं और निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित करते हैं।
  • नियामक मुद्दे: जटिल अनुमोदन प्रक्रियाएँ और अलग-अलग क्षेत्रीय सीमाएँ निवेशकों को हतोत्साहित कर सकती हैं।
  • वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: वैश्विक स्तर पर मंदी के जोखिम और उच्च मुद्रास्फीति पूंजी प्रवाह को अस्थिर बनाए रख सकती है।
  • बुनियादी ढाँचे की बाधाएँ: परियोजना निष्पादन में देरी और अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • उदारीकृत FDI  नीति: रक्षा (74%), बीमा (74%), और एकल-ब्रांड खुदरा (100%) में FDI  सीमा बढ़ाई गई। 
  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ: विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, कपड़ा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में शुरू की गईं। 
  • बुनियादी ढाँचा विकास: गति शक्ति, भारतमाला और सागरमाला जैसे कार्यक्रम कनेक्टिविटी में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हैं। 
  • डिजिटल इकोसिस्टम: डिजिटल भुगतान, ई-गवर्नेंस और प्रौद्योगिकी-संचालित सुधारों को बढ़ावा देना।

आगे की राह

  • इंफ्रास्ट्रक्चर कैपेक्स को प्राथमिकता दें: समय पर परियोजना निष्पादन सुनिश्चित करें और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को आकर्षित करें। 
  • कार्यबल कौशल: उद्योग की मांगों को पूरा करने के लिए कार्यबल को बेहतर बनाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग करें।
  •  अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को मजबूत करें: प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादकता और नवाचार को बढ़ाने के लिए अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दें।

Source: TH