पाठ्यक्रम: GS1/समाज /GS2/शासन व्यवस्था
संदर्भ
- नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) के आँकड़ों के अनुसार, हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात 2024 में घटकर 910 हो जाएगा, जो 2016 के पश्चात् से सबसे कम है जब यह अनुपात 900 था।
परिचय
- 2019 में 923 के उच्चतम स्तर पर पहुँचने के पश्चात्, हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात 2024 में घटकर 910 हो जाएगा, जो आठ वर्ष का न्यूनतम स्तर है।
- 2024 में हरियाणा में जन्म लेने वाले 516,402 बच्चों में से 52.35% लड़के होंगे, जबकि 47.64% लड़कियाँ होंगी।
- जन्म के समय लिंग अनुपात को प्रति 1000 पुरुष जन्मों पर महिला जन्मों की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- लिंग अनुपात किसी दी गई जनसंख्या में प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या का माप है।
- अतीत में वृद्धि के कारण:
- प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PNDT) अधिनियम, 1994: 2014 और 2019 के मध्य प्राप्त लाभ PNDT अधिनियम के कठोर प्रवर्तन और गहन जागरूकता अभियान के कारण हुआ।
- कमी का कारण: दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है, तथा हाल के वर्षों में कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से बनाए गए कानूनों के प्रवर्तन में ढील दी गई है।
- अब तक ‘एकमात्र लड़का’ की अवधारणा लोकप्रिय नहीं थी, लेकिन घटती भूमि जोत के कारण परिवारों के एक वर्ग ने इसे अपनाना प्रारंभ कर दिया है।
भारत में लिंग अनुपात
- जनगणना 2011:
- अखिल भारतीय स्तर पर लिंगानुपात 943 था तथा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए यह क्रमशः 949 और 929 है।
- 0-19 आयु वर्ग के लिए लिंग अनुपात 908 था जबकि 60+ आयु वर्ग के लिए यह अनुपात 1033 था।
- आर्थिक रूप से सक्रिय आयु समूह (15-59 वर्ष) में लिंग अनुपात 944 था।
- लिंगानुपात सबसे अधिक केरल (1084) में था, उसके पश्चात् पुडुचेरी (1037) और सबसे कम दमन एवं दीव (618) में था, उसके बाद दादर एवं नगर हवेली (774) और फिर चंडीगढ़ (818) का स्थान था।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2021:
- NFHS-5 के अनुसार, भारत में जन्म के समय समग्र लिंग अनुपात 929 था।
- देश की जनसंख्या का लिंगानुपात 1020 अनुमानित किया गया था।
भारत में लिंगानुपात में ऐतिहासिक रूप से असंतुलन क्यों रहा है?
- बेटों के लिए सांस्कृतिक वरीयता: परिवार का नाम आगे बढ़ाने, धार्मिक अनुष्ठान करने और बुढ़ापे में वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बेटों को प्राथमिकता दी जाती थी।
- इससे बेटियों की उपेक्षा हुई, जिन्हें दहेज प्रथा के कारण वित्तीय भार के रूप में देखा गया।
- लिंग भेदभाव: लड़कियों को ऐतिहासिक रूप से पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के मामले में उपेक्षा का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण महिलाओं में मृत्यु दर अधिक रही है।
- कन्या शिशु हत्या: कुछ क्षेत्रों में कन्या शिशुओं को उनके कम मूल्य के कारण या तो छोड़ दिया जाता था या मार दिया जाता था।
- लिंग-चयनात्मक गर्भपात: अल्ट्रासाउंड जैसी चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति ने लिंग-चयनात्मक गर्भपात की प्रथा को संभव बनाया, जिसके परिणामस्वरूप असंगत संख्या में लड़कों का जन्म हुआ।
- आर्थिक कारक: कृषि प्रधान समाजों में, कृषि कार्य के लिए बेटों के श्रम को अधिक मूल्यवान माना जाता था, जिससे लड़कों के प्रति प्राथमिकता अधिक मजबूत हुई।
- लिंगानुपात सुधारने के लिए सरकारी पहल
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP): 2015 में प्रारंभ किए गए इस अभियान का उद्देश्य लिंग आधारित भेदभाव को दूर करना, बालिकाओं के मूल्य को बढ़ावा देना और लड़कियों के लिए शिक्षा तक पहुँच में सुधार करना है।
- यह बालिकाओं के कल्याण के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP): 2015 में प्रारंभ किए गए इस अभियान का उद्देश्य लिंग आधारित भेदभाव को दूर करना, बालिकाओं के मूल्य को बढ़ावा देना और लड़कियों के लिए शिक्षा तक पहुँच में सुधार करना है।
- गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994: यह कानून लिंग निर्धारण और लिंग-चयनात्मक गर्भपात पर प्रतिबंध लगाता है।
- इसका उद्देश्य लिंग आधारित लिंग चयन के लिए प्रसवपूर्व निदान प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग पर रोक लगाना है।
- सुकन्या समृद्धि योजना: यह बालिकाओं के लिए एक बचत योजना है, जो परिवारों को अपनी बेटियों की भविष्य की शिक्षा और विवाह के लिए बचत करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह लड़कियों के प्रति सकारात्मक धारणा को बढ़ावा देता है।
- मातृत्व लाभ: सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) जैसी योजनाओं के माध्यम से मातृत्व लाभ की शुरुआत की है, जो गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य परिवारों पर आर्थिक भार को कम करना और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को समर्थन प्रदान करना है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM): यह कार्यक्रम महिलाओं और लड़कियों की मृत्यु दर को कम करने के लिए मातृ स्वास्थ्य सहित महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार पर केंद्रित है।
- जागरूकता अभियान और कानूनी सुधार: सरकार लैंगिक समानता के महत्त्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाती है।
आगे की राह
- सामुदायिक जागरूकता और शिक्षा: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों को बालिकाओं के महत्त्व और लिंग भेदभाव के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए जारी रखना चाहिए।
- महिला स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच में सुधार: महिलाओं और लड़कियों के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल पहुँच प्रदान करने से महिला मृत्यु दर को कम करने में सहायता मिल सकती है।
- सामाजिक मानदंड और दृष्टिकोण में परिवर्तन: लिंग-संवेदनशील शिक्षा को बढ़ावा देना, लिंग समानता पर चर्चा में पुरुषों को शामिल करना और दहेज प्रथा से निपटना लड़कियों के प्रति पारंपरिक पूर्वाग्रहों को समाप्त करने में सहायता कर सकता है।
- सशक्त डेटा संग्रहण और अनुसंधान: लिंगानुपात असंतुलन के कारणों की निरंतर निगरानी एवं अनुसंधान से भविष्य में हस्तक्षेप करने और वर्तमान पहलों की सफलता पर नज़र रखने में मदद मिल सकती है।
Source: IE
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संक्षिप्त समाचार 09-12-2025