पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य, GS3/ पर्यावरण
संदर्भ
- एक नए अध्ययन से पता चला है कि खाद्य फसलों के परागण के लिए महत्त्वपूर्ण 70 प्रतिशत से अधिक जंगली मधुमक्खी प्रजातियों को मृदा में वर्तमान कीटनाशक अवशेषों के कारण खतरनाक जोख़िमों का सामना करना पड़ रहा है।
कीटनाशक क्या है?
- कीटनाशक पदार्थ या पदार्थों के मिश्रण होते हैं जिनका उपयोग कीटों को रोकने, नष्ट करने, पीछे हटाने या कम करने के लिए किया जाता है।
- कीटों में कीड़े, कृंतक, कवक, खरपतवार और अन्य जीव सम्मिलित हो सकते हैं जो कृषि को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
- कीटनाशकों का उपयोग सामान्यतः कृषि में फसलों को कीटों से बचाने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- कीटनाशकों की मुख्य श्रेणियों में सम्मिलित हैं:
- कीटनाशक: कीटों को नियंत्रित करने या मारने के लिए डिज़ाइन किए गए।
- शाकनाशी: अवांछित पौधों (खरपतवार) को नियंत्रित करने या समाप्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- कवकनाशी: कवक को लक्षित करते हैं और कवक रोगों को रोकते या नियंत्रित करते हैं।
- कृंतकनाशक: चूहों एवं चूहों जैसे कृन्तकों को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किए गए।
- जीवाणुनाशक और विषाणुनाशक: क्रमशः बैक्टीरिया एवं वायरस को लक्षित करते हैं।
- निमेटोसाइड: निमेटोड को नियंत्रित करते हैं, जो सूक्ष्म कीट होते हैं जो पौधों की जड़ों को हानि पहुँचा सकते हैं।
कीटनाशकों के उपयोग से संबंधित चिंताएँ
- स्वास्थ्य जोखिम: कीटनाशकों के संपर्क में आने से किसानों और कृषि क्षेत्रों के नज़दीक रहने वाले समुदायों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न होते हैं।
- अल्पकालिक प्रभावों में मतली, चक्कर आना एवं त्वचा में जलन सम्मिलित हो सकती है, जबकि दीर्घकालिक संपर्क से श्वसन संबंधी समस्याओं और कुछ प्रकार के कैंसर सहित पुरानी स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
- पर्यावरणीय प्रभाव: कीटनाशकों से उपचारित खेतों से निकलने वाला अपवाह जल स्रोतों को दूषित करता है, जिससे जल प्रदूषण होता है।
- भोजन में अवशेष: कीटनाशकों के अवशेष फसलों पर रह जाते हैं और खाद्य आपूर्ति में अपना मार्ग खोज लेते हैं।
- गैर-लक्ष्यित जीवों पर प्रभाव: कीटनाशकों के उपयोग से लाभकारी कीटों, परागणकों एवं प्राकृतिक शिकारियों को हानि पहुँच सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और कृषि स्थिरता बाधित हो सकती है।
- प्रतिरोधी कीट: समय के साथ, कीट कुछ कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोध विकसित कर सकते हैं, जिससे वे कम प्रभावी हो जाते हैं।
- इसके परिणामस्वरूप कीटनाशकों के उपयोग में वृद्धि होती है, जो पर्यावरण एवं स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों में और योगदान देता है।
भारत में कीटनाशकों का विनियमन
- कीटनाशक अधिनियम, 1968: कीटनाशकों को कृषि मंत्रालय द्वारा कीटनाशक अधिनियम, 1968 के अंतर्गत गठित केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (CIB & RC) के माध्यम से विनियमित किया जाता है।
- CIB & RC कीटनाशकों के विनिर्माण, आयात, परिवहन, भंडारण को विनियमित करते हैं एवं तदनुसार कीटनाशकों को CIB & RC द्वारा पंजीकृत/प्रतिबंधित (banned)/निषिद्ध (restricted) किया जाता है।
- FSSAI कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन (WHO एवं संयुक्त राष्ट्र के FAO द्वारा बनाई गई एक अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता मानक निर्धारण संस्था) और यूरोपीय संघ द्वारा निर्धारित अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) (कीटनाशक 0.01 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम से लेकर जड़ी-बूटियों में 0.1 मिलीग्राम/किग्रा) के अद्यतन मानकों के अनुरूप है।
- अनुपम वर्मा समिति: इसका गठन कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा 66 कीटनाशकों की समीक्षा के लिए किया गया था, जो अन्य देशों में प्रतिबंधित/निषिद्ध हैं, लेकिन भारत में उपयोग के लिए पंजीकृत हैं।
आगे की राह
- जैविक खेती: जैविक खेती में कीटनाशकों के उपयोग से बचा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप खाद्य उत्पाद हानिकारक रासायनिक अवशेषों से मुक्त होते हैं तथा उनमें आवश्यक पोषक तत्त्वों का स्तर अधिक होता है।
- सरकार जैव कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, जो सामान्यतः रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं।
- FSSAI ने राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्तों से फलों और सब्जियों में कीटनाशकों के अवशेषों के बारे में जागरूकता अभियान चलाने को भी कहा है।
- एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) को बढ़ावा देना: IPM में पर्यावरणीय रूप से सतत् तरीके से कीटों का प्रबंधन करने के लिए जैविक, सांस्कृतिक, भौतिक एवं रासायनिक नियंत्रण विधियों का संयोजन सम्मिलित है।
निष्कर्ष
- कीटनाशक आधुनिक कृषि में एक महत्त्वपूर्ण उपकरण बने हुए हैं, जो खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में योगदान करते हैं।
- हालांकि, पर्यावरणीय स्थिरता एवं मानव स्वास्थ्य के साथ कृषि उत्पादकता को संतुलित करने के लिए उनके उपयोग को सावधानीपूर्वक प्रबंधित किया जाना चाहिए।
Source: DTE
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