विकलांग अधिकारों पर उच्चतम न्यायलय का निर्णय

पाठ्यक्रम: GS 2/ शासन व्यवस्था 

समाचार में 

  • उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि पर्यावरण, सेवाओं और अवसरों तक पहुंच विकलांग व्यक्तियों के लिए एक आवश्यक मानवीय तथा मौलिक अधिकार है, फिर भी यह अधिकार अत्यंत सीमा तक अधूरा है।

भारत में विकलांगता अधिकार

  • भारत में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों में परिवर्तनकारी बदलाव हो रहा है, जो दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के लिए समावेशिता और सशक्तिकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता से प्रेरित है।
  • इस आंदोलन को विभिन्न नीतियों और पहलों द्वारा समर्थन प्राप्त है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक व्यक्ति, चाहे उसकी क्षमता कुछ भी हो, अवसरों तक पहुँच सके तथा समाज में पूरी तरह से भाग ले सके।
  • हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया कि वह दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार नियमों को तीन माह के अंदर अनिवार्य मानकों को लागू करने के लिए संशोधित करे।

प्रमुख प्रयास

  • विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 (RPwD): 1995 के अधिनियम का स्थान लेता है, जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सम्मान, गैर-भेदभाव और समान अवसरों को प्रोत्साहन देने के लिए UNCRPD के साथ संरेखित है।
  • राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999: ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और बहु ​​विकलांगता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए समर्पित एक निकाय की स्थापना करता है।
  • भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम, 1992(Rehabilitation Council of India Act, 1992): पुनर्वास सेवाओं को विनियमित करता है, पाठ्यक्रम को मानकीकृत करता है, और योग्य पेशेवरों के लिए एक केंद्रीय पुनर्वास रजिस्टर बनाए रखता है।
  • RPwD अधिनियम (SIPDA) के कार्यान्वयन के लिए योजना: इसका उद्देश्य 15-59 वर्ष की आयु के दिव्यांग व्यक्तियों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करना है, विशेष रूप से श्रवण और वाक् विकलांगता( hearing and speech impairments) वाले लोगों के लिए।
  • ADIP योजना: एजेंसियों को वित्त पोषण के माध्यम से श्रवण बाधित बच्चों के लिए कर्णावत प्रत्यारोपण(cochlear implants) सहित सहायता और सहायक उपकरण प्रदान करता है।
  • समर्थ रिस्पिट केयर(SAMARTH Respite Care): अनाथों, संकटग्रस्त परिवारों और निम्न आय वर्ग के दिव्यांगजनों के लिए अस्थायी आवास सहायता प्रदान करता है।
  • दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना (DDRS): दिव्यांगों के लिए विशेष स्कूल, प्रारंभिक हस्तक्षेप कार्यक्रम और समुदाय-आधारित पुनर्वास परियोजनाएँ चलाने वाले गैर सरकारी संगठनों को अनुदान प्रदान करता है। 
  • राष्ट्रीय दिव्यांगजन वित्त और विकास निगम (NDFDC): दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना और विशेष माइक्रोफाइनेंस योजना के माध्यम से दिव्यांगों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए रियायती ऋण प्रदान करता है। 
  • PM-DAKSH-DEPwD पोर्टल: दो मॉड्यूल प्रदान करता है: दिव्यांगों के लिए कौशल प्रशिक्षण और दिव्यांगजन रोज़गार सेतु, जो दिव्यांगों को रोज़गार के अवसरों से जोड़ता है। 
  • सुगम्य भारत अभियान: इस पहल का उद्देश्य शिक्षा, परिवहन और सार्वजनिक स्थानों में बाधा-मुक्त वातावरण बनाना है ताकि सभी के लिए पहुँच को बढ़ाया जा सके। 
  • दिव्य कला मेला(Divya Kala Mela): यह कार्यक्रम दिव्यांग कारीगरों की शिल्पकला का उत्सव मनाता है, आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है और उनकी प्रतिभा को प्रदर्शित करता है।

मुद्दे और चिंताएँ

  • बुनियादी स्तर पर असमानताएं: विभिन्न क्षेत्रों में सुलभ बुनियादी ढांचे में विसंगतियां हैं, जैसे कि दिल्ली में 3,775 व्हीलचेयर-सुलभ बसें हैं, जबकि तमिलनाडु में 1,917 हैं, और इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि अंधेरी मेट्रो स्टेशन जैसी नई सुविधाएं मानकों को पूरा करती हैं, जबकि बॉम्बे आर्ट गैलरी जैसी पुरानी सुविधाओं में बुनियादी पहुंच सुविधाओं का अभाव है।
  • संबंधों के अधिकार की अनदेखी: समाज प्रायः दिव्यांग व्यक्तियों के भावनात्मक और संबंधपरक अधिकारों की उपेक्षा करता है, जिसमें प्रेम, गोपनीयता तथा अंतरंगता की आवश्यकता भी शामिल है, जो प्रायः अपर्याप्त निजी स्थानों के कारण अस्वीकार कर दिए जाते हैं।
  • अनिवार्य सुगम्यता मानक(Mandatory Accessibility Standards): अनिवार्य सुगम्यता मानकों की कमी चिंता का विषय है।
  • विकलांगता का सामाजिक मॉडल: “विकलांगता का सामाजिक मॉडल”, जो व्यक्तियों को “ठीक करने” से ध्यान हटाकर समाज में विकलांगता उत्पन्न करने वाली शारीरिक, संगठनात्मक और मनोवृत्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने पर केंद्रित करता है।
  • समाज की भूमिका: विकलांगता तभी त्रासदी बन जाती है जब समाज दिव्यांगों को पर्याप्त संसाधन और सहायता प्रदान करने में विफल रहता है।

सुझाव और आगे की राह

  • निर्मित पर्यावरण सुगम्यता(Built Environment Accessibility): स्कूल, चिकित्सा केंद्र और कार्यस्थल जैसी सुलभ इनडोर और आउटडोर सुविधाओं को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
    • शारीरिक बाधाओं को दूर करें ताकि सभी को लाभ पहुंचाने वाले समावेशी वातावरण का निर्माण हो, जिसमें विकलांग व्यक्ति (PwD) भी शामिल हैं।
  • परिवहन प्रणाली सुगम्यता(Transportation System Accessibility): हवाई यात्रा, बसों, टैक्सियों और ट्रेनों में सुलभ परिवहन विकल्पों को सक्षम करें।
  • सूचना और संचार सुगम्यता(Information and Communication Accessibility): दैनिक जीवन में सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए सुलभ जानकारी प्रदान करें (उदाहरण के लिए, मूल्य टैग पढ़ना, कार्यक्रम में भागीदारी, स्वास्थ्य सेवा की जानकारी, ट्रे
  • न शेड्यूल)।
  • सांकेतिक भाषा दुभाषियों की संख्या में वृद्धि(Increasing Sign Language Interpreters): सांकेतिक भाषा पर निर्भर व्यक्तियों का समर्थन करने के लिए सांकेतिक भाषा दुभाषियों की संख्या का विस्तार करें।

Source : TH