हाल ही में, राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन ने पूर्वानुमान लगाया है कि अक्टूबर 2025 तक प्रशांत महासागर में तटस्थ स्थितियाँ प्रभावी रहेंगी।
यह एल निनो या ला नीना घटना की अनुपस्थिति को उजागर करता है, जिसे सामूहिक रूप से एल निनो-दक्षिणी दोलन के रूप में जाना जाता है।
एल निनो-दक्षिणी दोलन के बारे में (ENSO)
यह भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में महासागर और वायुमंडल के बीच परस्पर क्रिया से उत्पन्न होने वाली एक प्राकृतिक रूप से होने वाली जलवायु घटना है। इसके तीन अलग-अलग चरण हैं:
प्लास्टिक पार्क योजना भारत के प्लास्टिक क्षेत्र में औद्योगिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा दे रही है।
प्लास्टिक पार्क
यह प्लास्टिक से संबंधित व्यवसायों और उद्योगों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया एक औद्योगिक क्षेत्र है।
इसका उद्देश्य प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योग की क्षमताओं को एकीकृत और समन्वित करना है, निवेश, उत्पादन एवं निर्यात को प्रोत्साहित करते हुए रोजगार उत्पन्न करना है।
नीति आयोग ने आज एक रिपोर्ट जारी की जिसका शीर्षक है “ऑटोमोटिव इंडस्ट्री: ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत की भागीदारी को शक्ति देना।”
परिचय
यह रिपोर्ट भारत के ऑटोमोटिव सेक्टर का व्यापक विश्लेषण प्रदान करती है। यह अवसरों और चुनौतियों को प्रकट करती है तथा भारत को वैश्विक ऑटोमोटिव बाजारों में एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित करने के लिए एक मार्ग की रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
भारत ने औपचारिक रूप से वह ट्रांसशिपमेंट सुविधा रद्द कर दी है, जो बांग्लादेश को भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशन, बंदरगाह और हवाई अड्डों के माध्यम से तीसरे देशों में सामान निर्यात करने की अनुमति देती थी।
ट्रांसशिपमेंट समझौता
परिचय: भारत के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा 2020 में पेश किया गया, यह समझौता क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और व्यापार सहयोग को बढ़ावा देने के लिए था।
व्यवस्था: इस व्यवस्था के तहत बांग्लादेश का माल भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशन (LCSs) से होकर बंदरगाहों और हवाई अड्डों तक पहुँच सकता था।
भारत ने वामपंथी उग्रवाद पर अंकुश लगाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, प्रभावित जिलों, हिंसा और नक्सली उपस्थिति में भारी गिरावट आई है।
नक्सलवादी आंदोलन क्या है?
उत्पत्ति: नक्सलवादी आंदोलन की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी में एक कट्टरपंथी वामपंथी विद्रोह के रूप में हुई थी, जो आदिवासी और भूमिहीन समुदायों के अधिकारों का समर्थन करता था।
भौगोलिक विस्तार: उग्रवाद तथाकथित लाल गलियारे में फैल गया, जिसमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और केरल के कुछ हिस्से शामिल थे।