जनसंख्या में गिरावट की लागत?

पाठ्यक्रम: GS1/ समाज, GS2/ शासन व्यवस्था

सन्दर्भ

  • भारतीय राज्यों में विभिन्न जनसांख्यिकीय रुझान उनके व्यापक निहितार्थों के बारे में महत्वपूर्ण चिंताएं उत्पन्न करते हैं।

भारत में जनसांख्यिकीय रुझान

  • कुल प्रजनन दर (TFR): 2019 और 2021 के बीच, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने 1.5 की TFR दर्ज की।
    •  इसके विपरीत, बिहार (3), उत्तर प्रदेश (2.7) और मध्य प्रदेश (2.6) में प्रजनन दर अधिक थी। 
    • स्थिर जनसंख्या को बनाए रखने के लिए 2.1 का TFR प्रतिस्थापन स्तर माना जाता है। 
  • वृद्ध जनसंख्या चिंताएँ: इंडिया एजिंग रिपोर्ट (UNFPA) के अनुसार भारत में वृद्ध जनसंख्या 2021 में 10.1% से बढ़कर 2036 तक 15% होने का अनुमान है।
    •  केरल में वृद्ध जनसंख्या 16.5% है जबकि बिहार में यह 2021 में 7.7% है।

वृद्ध होती जनसंख्या के निहितार्थ

  • आर्थिक निहितार्थ;
    • वृद्ध जनसँख्या में वृद्धि के साथ पेंशन पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि।
    • वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात: कार्यशील आयु (18-59 वर्ष) के प्रत्येक 100 लोगों के लिए वृद्ध वयस्कों की संख्या को दर्शाता है। 15% से अधिक अनुपात वृद्धावस्था संकट का संकेत देता है। कुछ दक्षिणी राज्य पहले ही इस बेंचमार्क को पार कर चुके हैं।
    • उपभोक्ता मांग में कमी: वृद्ध जनसँख्या युवा, अधिक सक्रिय जनसांख्यिकी की तुलना में कम उपभोग करती है।
    • स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे पर दबाव: 2017-18 में, दक्षिणी राज्यों ने भारत की कुल जनसँख्या का केवल पाँचवाँ भाग होने के बावजूद हृदय रोगों पर कुल व्यय का 32% भाग लिया।
  • राजनीतिक निहितार्थ;
    • अंतरराज्यीय संसाधन तनाव: दक्षिणी राज्य, कर राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद, धीमी जनसंख्या वृद्धि के कारण केंद्रीय संसाधनों का घटता हुआ हिस्सा प्राप्त करते हैं। 
    • परिसीमन और प्रतिनिधित्व: 2026 में संसदीय सीटों पर रोक की समाप्ति के बाद एक नया परिसीमन अभ्यास शुरू होगा जो जनसंख्या परिवर्तनों से प्रभावित होकर लोकसभा में राज्य के प्रतिनिधित्व को परिवर्तित देगा।
  • सामाजिक निहितार्थ: बढ़ती हुई बुजुर्ग जनसँख्या को सहारा देने का भार पीढ़ियों के बीच तनाव उत्पन्न कर सकता है।
    • साथ ही, समुदाय-आधारित देखभाल जैसी वैकल्पिक सहायता प्रणालियों की भी अधिक आवश्यकता होगी।

वैश्विक परिदृश्य

  • जापान में औसत आयु 48 वर्ष से अधिक है। इस जनसांख्यिकीय परिवर्तन के कारण लंबे समय तक आर्थिक स्थिरता बनी रही, कार्यबल में कमी आई और पेंशन तथा स्वास्थ्य सेवा पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि हुई। 
  • 1979 से 2015 तक लागू की गई चीन की एक-बच्चा नीति ने जन्म दर को काफी कम कर दिया, जिससे जनसंख्या तेज़ी से बूढ़ी हो रही है।
  •  2022 तक दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर विश्व में सबसे कम है, जो 0.78 है।

आगे की राह 

  • नीतिगत समायोजन: नीतियों को मातृत्व और पितृत्व अवकाश के भुगतान के माध्यम से परिवारों का समर्थन करने और “मातृत्व दंड” को कम करने वाली रोजगार प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। 
  • लिंग समानता: बेहतर लिंग समानता वाले राज्य और देश अधिक संधारणीय प्रजनन दर बनाए रखते हैं, क्योंकि अगर महिलाएं आर्थिक स्वतंत्रता बनाए रखती हैं तो वे बच्चे पैदा करने के लिए अधिक इच्छुक होती हैं। 
  • रणनीतिक समर्थन: आधुनिक सामाजिक-आर्थिक अपेक्षाओं के साथ संरेखित कार्य-परिवार नीतियों को लागू करना प्रजनन दरों का समर्थन करेगा और संतुलित जनसांख्यिकीय और आर्थिक विकास सुनिश्चित करेगा।

Source: TH