भारत का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक

पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी

सन्दर्भ

  • IIT मद्रास ने 410 मीटर का हाइपरलूप परीक्षण ट्रैक पूरा कर लिया है, जो भविष्य के परिवहन में एक माइलस्टोन  सिद्ध होगा।
    • मुंबई-पुणे कॉरिडोर भारत में पहली पूर्ण पैमाने की हाइपरलूप परियोजना होगी।

हाइपरलूप तकनीक क्या है?

  • हाइपरलूप एक उच्च गति वाली परिवहन प्रणाली है, जहाँ दबाव वाले वाहनों के रूप में कार्य करने वाले पॉड्स, कम दबाव वाली नलियों के माध्यम से असाधारण गति से चलते हैं।
  • मुख्य विशेषताएँ;
    • गति: हाइपरलूप पॉड्स लगभग 360 किमी/घंटा की परिचालन गति के साथ 1200 किमी/घंटा तक पहुँच सकते हैं।
    • घर्षण रहित प्रणाली: वैक्यूम-सील किए गए वातावरण में संचालित होती है, जिससे प्रतिरोध और ऊर्जा की खपत कम होती है।
    • दक्षता: बिना किसी मध्यवर्ती स्टॉप के सीधे, बिंदु-से-बिंदु यात्रा प्रदान करती है।
हाइपरलूप तकनीक

लाभ

  • ऊर्जा दक्षता: कम वायु प्रतिरोध और घर्षण के कारण, हाइपरलूप सिस्टम अत्यधिक ऊर्जा कुशल होने की संभावना है।
  • स्थायित्व: कई हाइपरलूप अवधारणाएँ सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों द्वारा संचालित होने के लिए डिज़ाइन की गई हैं, जो उन्हें पर्यावरण के अनुकूल बनाती हैं।
  • कम यात्रा समय: हाइपरलूप शहरों के बीच यात्रा के समय को काफी कम कर सकता है, जिससे लंबी दूरी की यात्राएँ अधिक व्यवहार्य हो सकती हैं।

चुनौतियाँ

  • बुनियादी ढाँचे की लागत: ट्यूब, स्टेशन और सहायक प्रणालियों सहित आवश्यक बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना बेहद महंगा है। 
  • भूमि अधिग्रहण: हाइपरलूप मार्गों के लिए आवश्यक भूमि का अधिग्रहण चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेषकर घनी जनसँख्या वाले क्षेत्रों में। 
  • तकनीकी बाधाएँ: मैग्लेव सिस्टम, वैक्यूम सील और सुरक्षा तंत्र सहित प्रौद्योगिकी को विकसित करने और उसे बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता होती है।

Source: ET