इसरो ने अंतरिक्ष में उपग्रहों को ‘डॉकिंग’ करने का प्रयास किया

पाठ्यक्रम :GS 3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष

समाचार में

  • इसरो अपने पहले अंतरिक्ष डॉकिंग (SpaDeX) मिशन का प्रदर्शन कर रहा है, जिसका लक्ष्य दो छोटे उपग्रहों को एक साथ लाना और उन्हें अंतरिक्ष में डॉक करना है।
SpaDeX मिशन
– यह अंतरिक्ष में डॉकिंग पर केंद्रित एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है।
1. इसमें PSLV रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग किया जाता है।
– इसका प्राथमिक लक्ष्य दो छोटे अंतरिक्ष यान – SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट) – को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी विकसित करना है।
– इसका उद्देश्य अंतरिक्ष में मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना है।इस मिशन में सटीक माप के लिए लेजर रेंज फाइंडर, रेंडेजवस सेंसर, प्रॉक्सिमिटी और डॉकिंग सेंसर जैसे उन्नत सेंसरों का उपयोग किया जाएगा, तथा सापेक्ष स्थिति एवं वेग का निर्धारण करने के लिए एक नए उपग्रह नेविगेशन-आधारित प्रोसेसर का उपयोग किया जाएगा।

डॉकिंग का परिचय 

  • डॉकिंग दो अंतरिक्ष यानों को कक्षा में एक साथ लाने और उन्हें जोड़ने की प्रक्रिया है, जो बड़े अंतरिक्ष यान या अंतरिक्ष स्टेशनों से जुड़े मिशनों के लिए आवश्यक है।
  • यह अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने, चालक दल और आपूर्ति भेजने तथा भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन एवं चंद्र मिशनों के लिए महत्त्वपूर्ण है।

डॉकिंग का इतिहास

  • 1966 में, अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका का जेमिनी VIII, एजेना लक्ष्य वाहन के साथ डॉक करने वाला पहला यान था।
  • 1967 में सोवियत संघ के मानवरहित कोस्मोस 186 और 188 ने स्वचालित डॉकिंग का प्रदर्शन किया।
  • 2011 में, चीन का शेनझोउ 8, तियानगोंग 1 अंतरिक्ष प्रयोगशाला के साथ जुड़ा, जिसके पश्चात् 2012 में प्रथम चालक दल के साथ डॉकिंग की गई।

भारत के लिए महत्त्व

  • भारत 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक चंद्र मिशन के लिए प्रौद्योगिकियों पर कार्य कर रहा है, जिसके लिए डॉकिंग क्षमताओं की आवश्यकता होगी।
  • स्पैडेक्स मिशन भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करता है, जिसमें चंद्रमा मिशन, चंद्रमा से नमूना वापसी और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का निर्माण एवं संचालन शामिल है।
    • चंद्रयान-4 मिशन चंद्रमा से नमूने लाने के लिए डॉकिंग का उपयोग करेगा, जिसमें कई मॉड्यूलों को अलग-अलग प्रक्षेपित करके कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
  • इस मिशन का उद्देश्य भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी की क्षमता वाला चौथा देश बनाना है।

उभरती चुनौतियाँ

  • डॉकिंग प्रक्रिया में सटीक कार्यविधि और कठोर सेंसर अंशांकन सम्मिलित होता है।
  • गति, संरेखण या समय में छोटे विचलन विफलता का कारण बन सकते हैं।
  • इसरो ने इन अंशांकनों और एल्गोरिदम को परिष्कृत करने के लिए डॉकिंग प्रयास को दो बार स्थगित किया है।

भविष्य की दृष्टि:

  • डॉकिंग मानवयुक्त अंतरिक्ष स्टेशनों तक आपूर्ति पहुँचाने के लिए आवश्यक है तथा इससे अंतरिक्ष वाहनों में पुनः ईंधन भरने की सुविधा भी मिलती है।
    • यह उन मिशनों के लिए भी आवश्यक है जिनमें सामान्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपणों की आवश्यकता होती है।
  • डॉकिंग क्षमता पूर्णतः स्वायत्त अंतरिक्ष मिशन की दिशा में एक कदम है, जहाँ भविष्य के अंतरिक्ष यान उपग्रह-आधारित नेविगेशन डेटा के बिना भी डॉक हो सकेंगे।

Source: IE