भारत के डिजिटल परिदृश्य में डार्क पैटर्न की बढ़ती चिंता

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

सन्दर्भ

  • हाल के वर्षों में, जैसे-जैसे डिजिटल परिदृश्य का विस्तार हुआ है, डार्क पैटर्न की एक चिंताजनक प्रवृत्ति उभरी है, जो वेबसाइटों और ऐप्स पर उपयोगकर्ताओं को प्रभावित कर रही है।

डार्क पैटर्न क्या हैं?

  • डार्क पैटर्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा ग्राहकों को गुमराह करने और उन्हें सही विकल्प चुनने से रोकने के लिए प्रयोग की जाने वाली भ्रामक रणनीतियां हैं।
    • मानव मनोविज्ञान और दक्ष डिजाइन का शोषण करके, डार्क पैटर्न उपभोक्ताओं की कीमत पर कंपनियों को लाभ पहुंचाते हैं।
  • सामान्य डार्क पैटर्न में उपयोगकर्ताओं को खरीदारी करने के लिए प्रेरित करने की झूठी भावना उत्पन्न करना, वेबसाइट के अंदर सदस्यता रद्द करने को छिपाना और उपयोगकर्ताओं को गुमराह करने के लिए भ्रामक भाषा का उपयोग करना शामिल है।
  •  ये रणनीति अनैतिक हैं और डिजाइन प्रक्रिया की अखंडता को कमजोर करती हैं।
  •  ये प्रथाएँ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत ‘अनुचित व्यापार प्रथाओं’ की श्रेणी में आती हैं।

भारत के डिजिटल परिदृश्य में डार्क पैटर्न का संकट 

  • भारत का ई-कॉमर्स बाज़ार 2030 तक 350 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो बढ़ती इंटरनेट पहुंच से प्रेरित है, जिसमें 936 मिलियन इंटरनेट ग्राहक और 350 मिलियन सक्रिय ऑनलाइन उपयोगकर्ता होंगे।
    • इस क्षेत्र में भयंकर प्रतिस्पर्धा के कारण व्यवसायों पर बढ़त प्राप्त करने के लिए क्षलपूर्ण रणनीति अपनाने का दबाव रहता है।
  • उपयोगकर्ता मनोविज्ञान का शोषण: डार्क पैटर्न संज्ञानात्मक पूर्वाग्रहों और भावनात्मक ट्रिगर्स का लाभ उठाते हैं, जैसे कि छूट जाने का डर (FOMO) या तात्कालिकता, उपयोगकर्ता के व्यवहार में हेरफेर करने के लिए।
  • निगरानी का अभाव: डिजिटल डिज़ाइन नैतिकता के बारे में सीमित विनियमन है, जिससे कंपनियों को महत्वपूर्ण कानूनी परिणामों के बिना हेरफेर करने वाली तकनीकों का उपयोग करने की अनुमति मिलती है।
  • उपभोक्ता भेद्यता: डिजिटल सेवाओं में पहली बार शामिल होने वाले उपयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या के साथ, विशेष रूप से विकासशील बाजारों में, ज्ञान का एक अंतर है जिसका डार्क पैटर्न लाभ उठाते हैं।
  • जटिल उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस: विभिन्न वेबसाइट और ऐप जानबूझकर जटिल उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस डिज़ाइन करते हैं जो महत्वपूर्ण जानकारी को अस्पष्ट करते हैं।

ड्रेक पैटर्न की चिंताएँ

  • विश्वास का क्षरण: डार्क पैटर्न व्यवसायों और उपभोक्ताओं के बीच ईमानदार तथा पारदर्शी बातचीत की मूलभूत अपेक्षा का उल्लंघन करते हैं। समय के साथ, यह डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की कथित अखंडता को हानि पहुँचाता है।
  • ब्रांड प्रतिष्ठा को हानि : लंबी अवधि में, व्यवसायों को अपनी प्रतिष्ठा को गंभीर हानि पहुँचने का जोखिम होता है और ग्राहकों को आकर्षित करने तथा बनाए रखने की उनकी क्षमता में बाधा आती है।
  • जांच और कानूनी जोखिम: नियामक निकायों के बढ़ते ध्यान के साथ, डार्क पैटर्न का उपयोग करने वाली कंपनियों को संभावित कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ता है।

भारत द्वारा की गई पहल

  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 18 के तहत डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन के लिए दिशानिर्देश, 2023 को अधिसूचित किया है।
    • दिशा-निर्देशों में 13 निर्दिष्ट डार्क पैटर्न की सूची दी गई है। 
    • ये हैं: झूठी तात्कालिकता; बास्केट स्नीकिंग; कन्फर्म शेमिंग; जबरन कार्रवाई; सब्सक्रिप्शन ट्रैप; इंटरफ़ेस हस्तक्षेप; प्रलोभन और स्विच; ड्रिप मूल्य निर्धारण; छद्म विज्ञापन; ट्रिकी सवाल; सास बिलिंग; और मैलवेयर। 
    • दिशा-निर्देश भारत में व्यवस्थित रूप से सामान या सेवाएँ प्रदान करने वाले सभी प्लेटफ़ॉर्म; विज्ञापनदाताओं और विक्रेताओं पर लागू होंगे।
  • उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 ई-कॉमर्स संस्थाओं को अनुचित व्यापार प्रथाओं में जुड़ने 
  •  से रोकता है। 
  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023, व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण से पहले उनकी स्वतंत्र और स्पष्ट सहमति की आवश्यकता बताता है।

वैश्विक पहल

  • यूरोपीय संघ में, डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA), सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (GDPR) और अनुचित वाणिज्यिक व्यवहार निर्देश (UCPD) जैसे नियम डार्क पैटर्न की चिंताओं को संबोधित करते हैं। 
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में, विभिन्न राज्यों ने डार्क पैटर्न से निपटने के लिए कानून प्रस्तुत किए हैं, जिनमें कैलिफोर्निया गोपनीयता अधिकार अधिनियम, कनेक्टिकट डेटा गोपनीयता अधिनियम और कोलोराडो गोपनीयता अधिनियम सम्मिलित हैं।

आगे की राह

  • उपयोगकर्ता-प्रथम दृष्टिकोण अपनाना: इस समस्या का समाधान करने के लिए व्यवसायों को डार्क पैटर्न को समाप्त करने के लिए अपने इंटरफेस की नियमित समीक्षा और सुधार करके उपयोगकर्ता अनुभव को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसमें शामिल हैं:
    • सदस्यता शर्तों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना,
    • आसान ऑप्ट-आउट विकल्प प्रदान करना और
    • सेवाओं को रद्द करने के लिए स्पष्ट और सीधे निर्देश प्रदान करना।
  • जिम्मेदार नवाचार के लिए नैतिक डिजाइन प्रथाओं पर डिजाइनरों और डेवलपर्स को शिक्षित करना आवश्यक है। यह दृष्टिकोण ऐसे इंटरफेस के निर्माण को प्रोत्साहित करता है जो स्पष्ट तथा कार्यात्मक हैं।
  •  नियामक अधिकारियों को अनिवार्य प्रकटीकरण, गैर-अनुपालन के लिए दंड और नियमित ऑडिट जैसे नैतिक डिजिटल प्रथाओं के बारे में स्पष्ट नियम निर्धारित करके उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए। 
  • उपयोगकर्ता समर्थन समूह उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करके, डार्क पैटर्न की पहचान करने और रिपोर्ट करने में सहायता करके तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को बनाए रखने के लिए व्यवसायों के साथ सहयोग करके डार्क पैटर्न के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  •  ब्राउज़र एक्सटेंशन और प्लग-इन जैसे तकनीकी समाधान संभावित डार्क पैटर्न का पता लगाकर तथा उनके विरुद्ध चेतावनी देकर उपयोगकर्ताओं को अधिक सशक्त बनाते हैं, जिससे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सुरक्षित रूप से नेविगेट करने में उपभोक्ता जागरूकता एवं आत्मविश्वास बढ़ता है।

Source: TH