संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस मनाया

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

समाचार में

संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस मनाया गया।

  •  इस वर्ष का विषय है “दक्षिण-दक्षिण सहयोग के माध्यम से बेहतर कल।”

दिवस के बारे में

  • यह प्रतिवर्ष 12 सितंबर को मनाया जाता है, जैसा कि महासभा के प्रस्ताव 58/220 द्वारा स्थापित किया गया था। 
  • यह तिथि 1978 में ब्यूनस आयर्स प्लान ऑफ एक्शन (BAPA) को अपनाने की याद दिलाती है, जो विकासशील देशों के बीच तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देती है।

दक्षिण-दक्षिण सहयोग

  • यह वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच सामान्य विकास चुनौतियों का समाधान करने, ज्ञान साझा करने और सामूहिक क्षमताओं का निर्माण करने के लिए सहयोग को संदर्भित करता है। 
  • विकासशील देशों के बीच सहयोग की अवधारणा 1955 में बांडुंग में आयोजित एफ्रो-एशियाई सम्मेलन से उत्पन्न हुई।
    • इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप 1961 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना हुई और 1964 में समूह 77 (G-77) का निर्माण हुआ। G-77 ने मुख्य रूप से 1960 और 1970 के दशक में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा दिया।
दक्षिण-दक्षिण सहयोग

महत्त्व और आवश्यकता

  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग में विकासशील देश राजनीतिक, आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय या अंतर-क्षेत्रीय रूप से सहयोग करते हैं। 
  • इसका उद्देश्य विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ज्ञान, कौशल और संसाधनों को साझा करना है। 
  • त्रिकोणीय सहयोग, एक संबंधित पद्धति है, जिसमें इन पहलों को सुविधाजनक बनाने के लिए पारंपरिक दाताओं और बहुपक्षीय संगठनों से समर्थन शामिल है।
  •  दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लक्ष्य आत्मनिर्भरता को बढ़ाना, सामूहिक समस्या-समाधान को बढ़ावा देना और विकास प्रयासों में सबसे कम विकसित तथा सबसे कमज़ोर देशों का समर्थन करना है।
  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग SDG17 को प्राप्त करने की कुंजी है, जो सतत विकास के लिए वैश्विक साझेदारी को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है।
    • यह SDG 11 का भी समर्थन करता है, जिसका उद्देश्य शहरों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला और सतत बनाना है।

वैश्विक प्रयास

  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOSSC): इसे 1974 में वैश्विक स्तर पर एवं संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के अंदर दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग को बढ़ावा देने, समन्वय करने तथा समर्थन देने के लिए बनाया गया था।
  • “दक्षिण-दक्षिण गैलेक्सी”: यह 2019 में लॉन्च किया गया एक वैश्विक ज्ञान-साझाकरण और साझेदारी मंच है। इस परियोजना का उद्देश्य दक्षिण के देशों को व्यवस्थित तथा प्रभावी सहायता प्रदान करना है, ताकि वे व्यापक डिजिटल विश्व में संभावित भागीदारों के साथ जुड़ सकें, सीख सकें एवं सहयोग कर सकें।
  • दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग (SSTC): SSTC कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में विकास का समर्थन करता है। यह पारस्परिक लाभ, सम्मान तथा बिना शर्त साझेदारी को बढ़ावा देता है, और अधिक लचीले एवं सतत समाजों में योगदान देता है।
    • विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) SSTC को सुविधाजनक बनाने में सक्रिय रूप से शामिल रहा है, दक्षिण-दक्षिण ट्रस्ट फंड जैसे तंत्रों का उपयोग कर रहा है। 2023 में, इसने SSTC पहलों में शामिल होने के लिए 85 में से 60 देशों का समर्थन किया।

भारत का दृष्टिकोण

  • वैश्विक “दक्षिण-दक्षिण सहयोग” के सिद्धांतों ने सभी अफ्रीकी देशों के साथ भारत के मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंधों को निर्देशित किया। 
  • भारत ने पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क, भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका कोष और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) जैसी परियोजनाओं के माध्यम से SSTC में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • भारत ने 1947 से अब तक SSTC में लगभग 107 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।
  • G20 शिखर सम्मेलन ने भारत को विकासशील देशों की अग्रणी आवाज़ के रूप में स्थापित किया है। 
  • अफ्रीकी संघ को G20 में शामिल करने से भारत की वैश्विक स्थिति और भागीदारी मजबूत हुई है।

मुद्दे और चुनौतियाँ

  • SSC उपनिवेशवाद के चल रहे प्रभावों से पर्याप्त रूप से नहीं निपटता है और नव-औपनिवेशिक विचारों को बढ़ावा देने का जोखिम उठाता है। 
  • SSC में एक मजबूत संस्थागत ढांचे का अभाव है, जो इसकी दक्षता और स्थिरता को सीमित करता है।
  •  SSC भारत के विकास सहयोग उद्देश्यों या एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में इसकी भूमिका का पूरी तरह से प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

निष्कर्ष और आगे की  राह

  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग दक्षिण के लोगों तथा देशों के बीच एकजुटता की अभिव्यक्ति है और यह जलवायु परिवर्तन, संघर्ष एवं खाद्य असुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण बना हुआ है। 
  • इसलिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करना महत्वपूर्ण है जिसके लिए नवीन वित्तपोषण, मांग-संचालित दृष्टिकोण, ज्ञान साझाकरण और पर्यावरणीय, सामाजिक तथा आर्थिक आयामों में स्थिरता की आवश्यकता है।
  •  SSTC के माध्यम से वैश्विक शासन और विकास में दक्षिणी देशों की सक्रिय भागीदारी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मानदंडों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाती है, जो सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा का समर्थन करती है।

Source: AIR