पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था और शासन व्यवस्था
सन्दर्भ
- उच्चतम न्यायालय ने सेक्स ट्रैफिकिंग से निपटने के लिए एक समर्पित संगठित अपराध जांच एजेंसी (OCIA) स्थापित करने में विफल रहने पर केंद्र सरकार की आलोचना की – यह वादा 2015 में न्यायलय से किया गया था।
भारत में मानव तस्करी(Human trafficking in India)
- भारत मानव तस्करी का स्रोत होने के साथ-साथ गंतव्य देश भी है।
- मुख्य स्रोत देश नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार हैं, जहाँ से महिलाओं और लड़कियों को बेहतर जीवन, नौकरी एवं बेहतर रहने की स्थिति का लालच देकर तस्करी की जाती है।
- गृह मंत्रालय के अनुसार, भारत में 2018 से 2022 के बीच मानव तस्करी के 10,659 मामले दर्ज किए गए।
- पिछले पाँच वर्षों में महाराष्ट्र में सबसे अधिक 1,392 मामले दर्ज किए गए, उसके बाद तेलंगाना (1,301) और आंध्र प्रदेश (987) का स्थान रहा।
मानव/यौन तस्करी(Human/Sex Trafficking) के कारण
- गरीबी: गरीबी में रहने वाले व्यक्ति और परिवार तस्करों के झूठे वादों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जो बेहतर अवसर तथा आजीविका का वादा करते हैं।
- जागरूकता की कमी: कम साक्षरता स्तर और सीमित जागरूकता लोगों को, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, धोखे एवं शोषण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है।
- प्रवासन: घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के अनियमित प्रवासन, तस्करों के लिए ऐसे व्यक्तियों को निशाना बनाने के अवसर सृजित करते हैं जो उनके सहायता नेटवर्क से कटे हुए हैं। कानून प्रवर्तन एजेंसियों का अपर्याप्त प्रशिक्षण और भ्रष्टाचार तस्करी से प्रभावी ढंग से निपटने की चुनौतियों को बढ़ा देते हैं।
यौन तस्करी(Sex Trafficking) के निहितार्थ
- मानवाधिकार उल्लंघन: यौन तस्करी के शिकार लोगों को उनके मौलिक मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन सहना पड़ता है, जिसमें स्वतंत्रता, सम्मान और शारीरिक स्वायत्तता शामिल है।
- असमानता को बनाए रखना: यौन तस्करी वर्तमान सामाजिक असमानताओं को मजबूत करती है, विशेषकर महिलाओं और हाशिए पर पड़े समूहों के विरुद्ध, जो गरीबी और भेदभाव के चक्र को बनाए रखती है।
- आर्थिक लागत: तस्करी कार्यबल की क्षमता और आर्थिक विकास को कमजोर करती है।
भारत में संवैधानिक सुरक्षा उपाय
- अनुच्छेद 23: मानव तस्करी और बलात श्रम पर रोक लगाता है।
- अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करता है, जिसकी व्याख्या सम्मान के साथ जीने के अधिकार को शामिल करने के लिए की गई है।
- अनुच्छेद 39 (e): राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि श्रमिकों और बच्चों के स्वास्थ्य तथा शक्ति का दुरुपयोग न हो, एवं नागरिकों को ऐसे रोजगार करने के लिए मजबूर न किया जाए जो उनकी उम्र या शक्ति के लिए उपयुक्त न हों।
भारत में कानूनी सुरक्षा
- यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012: बच्चों को यौन शोषण और दुर्व्यवहार से बचाता है।
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015: देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के संरक्षण, उपचार और पुनर्वास के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अधिनियम को 2019 में संशोधित किया गया था ताकि मानव तस्करी को शामिल करने के लिए केंद्रीय एजेंसी के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया जा सके।
- भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860: इसमें धारा 370 और 370A जैसे प्रावधान शामिल हैं, जो व्यक्तियों की तस्करी और शोषण को अपराध बनाते हैं।
- व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक: हालाँकि लंबित है, इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य रोकथाम, संरक्षण और पीड़ित पुनर्वास के माध्यम से तस्करी से निपटने के लिए एक अधिक व्यापक दृष्टिकोण बनाना है।
आगे की राह
- आर्थिक सशक्तिकरण: कमज़ोर जनसँख्या के लिए स्थायी आजीविका के अवसर और कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान करना, तस्करी को बढ़ावा देने वाले आर्थिक दबावों को कम करता है।
- पीड़ित पुनर्वास और सहायता: पीड़ितों के लिए शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक सहायता प्रदान करने वाली व्यापक पुनर्वास योजनाएँ विकसित करना आवश्यक है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सीमा पार साझेदारी को मज़बूत करना और खुफिया जानकारी साझा करना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित होने वाले तस्करी नेटवर्क को समाप्त करने में सहायता कर सकता है।
Source: TH
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