पाठ्यक्रम :GS 3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- भारत के G20 शेरपा अमिताभ कांत ने इस बात पर बल दिया कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र और 32 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए “उभरते क्षेत्रों” में उत्कृष्टता हासिल करने की आवश्यकता है।
सनराइज सेक्टर्स का परिचय
- यह अपने प्रारंभिक चरण में तेजी से बढ़ते क्षेत्र को संदर्भित करता है जिसमें विस्तार की उच्च संभावनाएँ हैं।
- इन उद्योगों में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है, स्टार्टअप्स में वृद्धि हो रही है, तथा ये पर्याप्त उद्यम पूँजी निधि आकर्षित कर रहे हैं, जिससे ये दीर्घकालिक विकास संभावनाओं के लिए निवेशकों के लिए आकर्षक बन रहे हैं।
भारत में उभरते क्षेत्र: संभावनाएँ
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर: भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग PLI योजना और सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम जैसी पहलों से प्रेरित है।
- सेमीकंडक्टर बाजार 2026 तक तीन गुना बढ़ने की संभावना है, तथा वित्त वर्ष 26 तक इसका उत्पादन मूल्य 300 बिलियन डॉलर हो जाएगा।
- सेमीकंडक्टर फ़ैब्स के लिए संशोधित योजना जैसी सरकारी योजनाएँ महत्त्वपूर्ण वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती हैं।
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है।
- इलेक्ट्रिक वाहन (EV): भारत फेम II और 100% FDI अनुमति जैसी पहलों के साथ इलेक्ट्रिक गतिशीलता को बढ़ावा दे रहा है।
- EV क्षेत्र में 12,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन कार्यरत हैं और इसमें भारी वृद्धि होने की अपेक्षा है।
- उन्नत रसायन सेल के लिए PLI योजना स्थानीय बैटरी विनिर्माण को समर्थन देती है, जिससे लागत कम होती है।
- भारत का EV क्षेत्र स्थिरता में योगदान करते हुए विनिर्माण और बुनियादी ढाँचे के विकास में अवसर प्रदान करता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा: भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा प्राप्त करना है।
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और अपतटीय पवन ऊर्जा लक्ष्य जैसी पहल हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश को आकर्षित करती हैं।
- यह क्षेत्र अनुकूल विनियामक ढाँचे, अनुसंधान एवं विकास प्रोत्साहन तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से लाभान्वित होता है।
- भारत स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में निवेशकों के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करता है।
- भारत का सौर पैनल विनिर्माण उद्योग वैश्विक मानकों से 5-7 वर्ष पीछे है।
- कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण (A&FP): प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना और उदार FDI मानदंड जैसे कार्यक्रम कृषि और खाद्य प्रसंस्करण में निवेश के अवसर सृजित करते हैं।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए PLI योजना जैसी योजनाएँ खाद्य बुनियादी ढाँचे में निवेश को प्रोत्साहित करती हैं।
- भारत का कृषि क्षेत्र मूल्य संवर्धन, निर्यात और खाद्य सुरक्षा की संभावनाएँ प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य सेवा: भारत के स्वास्थ्य सेवा और फार्मास्युटिकल क्षेत्र विकास के लिए तैयार हैं, और सम्भावना है कि 2025 तक मेडटेक उद्योग 50 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा।
- आयुष्मान भारत जैसी पहल स्वास्थ्य सेवा की पहुँच और सामर्थ्य में सुधार लाने पर केंद्रित है।
- फार्मास्यूटिकल्स: भारत का फार्मास्यूटिकल उद्योग, जो वैक्सीन उत्पादन और जेनेरिक दवाओं के लिए जाना जाता है, मजबूत निवेश अवसर प्रदान करता है।
- इस क्षेत्र को 100% FDI अनुमति और सहायक बुनियादी ढाँचे जैसी अनुकूल स्थितियों का लाभ मिलता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता: कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग वैश्विक स्तर पर उद्योगों को बदल रहे हैं, और भारत इन प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की अच्छी स्थिति में है।
- इन्हें स्वास्थ्य सेवा, वित्त, शिक्षा एवं विनिर्माण जैसे उद्योगों में लागू किया जा रहा है, जिससे नवाचार और दक्षता को बढ़ावा मिल रहा है।
भारत में सनराइज सेक्टर के समक्ष चुनौतियाँ:
- असंगत नीति कार्यान्वयन और बार-बार परिवर्तन अनिश्चितता उत्पन्न करते हैं।
- अनुमोदन में विलंब एवं खंडित विनियमन निवेश और विकास में बाधा उत्पन्न हैं।
- अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, विशेष रूप से EV चार्जिंग स्टेशन और नवीकरणीय ऊर्जा ग्रिड एकीकरण।
- अनुसंधान एवं विकास (R&D) में पर्याप्त निवेश का अभाव।
- AI, नवीकरणीय ऊर्जा और EV जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ प्रतिभा की कमी।
निष्कर्ष और आगे की राह
- भारत के उभरते क्षेत्र मजबूत मानव संसाधन और स्वचालित मार्गों के अंतर्गत 100% FDI सहित सहायक सरकारी नीतियों के कारण आकर्षक निवेश अवसर प्रदान करते हैं।
- ये क्षेत्र मजबूत विकास क्षमता, आर्थिक समृद्धि और सतत विकास के अवसर प्रदान करते हैं, जिससे ये निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बन जाते हैं।
- इसलिए भारत के उभरते क्षेत्रों की क्षमता को उजागर करने के लिए नियामक, बुनियादी ढाँचे, तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों पर नियंत्रण पाना महत्त्वपूर्ण है।
Source :ET
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संक्षिप्त समाचार 14-01-2025