भारत की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण

पाठ्यक्रम: GS1/ कला और संस्कृति

संदर्भ

  • भारत में विश्व के कुछ सर्वाधिक प्रतिष्ठित ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थल है। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के कारण ये स्मारक गंभीर खतरे में हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की भूमिका

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की स्थापना 1861 में ऐतिहासिक स्मारकों और स्थलों की सुरक्षा एवं रखरखाव के लिए की गई थी।
  • ASI वर्तमान में प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम (1904) और प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम (1958) के अंतर्गत 3,698 संरक्षित स्मारकों की देख-रेख करता है।
  • ASI के कार्यों में शामिल हैं:
    • संरक्षण और जीर्णोद्धार: मंदिरों, किलों, मकबरों, चर्चों, महलों और प्रागैतिहासिक स्थलों का नियमित रखरखाव।
    • निवारक उपाय: जलवायु, प्रदूषण, अतिक्रमण और संरचनात्मक अस्थिरता से उत्पन्न खतरों का समाधान करना।
    • निगरानी और अनुसंधान: स्मारकों पर पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रभाव का अध्ययन करना।
    • कानूनी प्रवर्तन: यह सुनिश्चित करना कि स्मारकों को अवैध गतिविधियों और दुरुपयोग से बचाया जाए।

सांस्कृतिक विरासत पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

  • समुद्र का बढ़ता स्तर: कोणार्क सूर्य मंदिर (ओडिशा) और महाबलीपुरम (तमिलनाडु) जैसे तटीय विरासत स्थल लवणीय जल के अतिक्रमण और कटाव के कारण खतरे में हैं।
  • अत्यधिक गर्मी और सूखा: हीट वेव और बदलते मौसम पैटर्न प्राचीन संरचनाओं की स्थिरता को प्रभावित करते हैं, विशेष रूप से बलुआ पत्थर एवं चूना पत्थर से बनी संरचनाओं को।
  • भारी वर्षा और तेज वायु: अधिक वर्षा और चक्रवातों के कारण किलों, महलों और गुफा मंदिरों में जल क्षति एवं क्षरण होता है।
  • वायु प्रदूषण: प्रदूषण ने ताजमहल जैसे स्मारकों को बुरी तरह प्रभावित किया है, वायु में सल्फर डाइऑक्साइड के उच्च स्तर के कारण इसका संगमरमर पीला पड़ गया है।

विरासत स्थलों की सुरक्षा के लिए सरकारी उपाय

इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार और ASI ने कई उपाय अपनाए हैं:

विरासत स्थलों की सुरक्षा के लिए सरकारी उपाय
  • संरक्षण के लिए वित्त पोषण में वृद्धि: हाल के वर्षों में ASI के संरक्षण कार्य के बजट में 70% की वृद्धि हुई है।
    • 2020-21 आवंटन: ₹260.90 करोड़
    • 2023-24 आवंटन: ₹443.53 करोड़
  • जलवायु-अनुकूल संरक्षण पद्धतियाँ: ASI ने स्मारकों की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक संरक्षण तकनीकें अपनाई हैं।
  • स्वचालित मौसम स्टेशन (AWS): विरासत स्थलों पर तापमान, वायु, वर्षा और वायुमंडलीय दाब की निगरानी के लिए इसरो के सहयोग से स्थापित किया गया।
  • वायु प्रदूषण निगरानी प्रयोगशालाएँ: प्रदूषण के स्तर पर नज़र रखने के लिए ताजमहल (आगरा) और बीबी का मकबरा (औरंगाबाद) जैसे स्मारकों के पास स्थापित की जाएँगी।
  • अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग: ASI सांस्कृतिक स्थलों के आपदा प्रबंधन हेतु रणनीति विकसित करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और यूनेस्को के साथ मिलकर कार्य करता है।
  • कानूनी संरक्षण को मजबूत करना: प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम (1958) के अंतर्गत स्मारकों को अतिक्रमण और दुरुपयोग से संरक्षित किया जाता है।
    • 1958 अधिनियम की धारा 30 के अंतर्गत संरक्षित स्थलों को हानि पहुँचाने या विरूपित करने वालों के विरुद्ध भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।

आगे की राह

  • सामुदायिक भागीदारी: स्वामित्व और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में शामिल किया जाना चाहिए।
  • जन जागरूकता: शैक्षिक कार्यक्रम और अभियान लोगों को स्मारकों के संरक्षण के महत्त्व को समझने में सहायता कर सकते हैं।
  • उन्नत प्रौद्योगिकी: AI, 3D मैपिंग और ड्रोन निगरानी का उपयोग ऐतिहासिक स्थलों के दस्तावेजीकरण एवं जीर्णोद्धार में सहायता कर सकता है।
  • सशक्त कानून प्रवर्तन: अतिक्रमण और विरूपण के लिए कठोर कानून और कठोर दंड लागू किया जाना चाहिए।

Source: PIB

 

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