एक राष्ट्र, एक चुनाव

पाठ्यक्रम: GS2/ शासन

सन्दर्भ

  • प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अपने वर्तमान कार्यकाल में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ को लागू करेगी।

पृष्ठभूमि

  • एक साथ चुनाव (एक राष्ट्र एक चुनाव) लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विचार को संदर्भित करता है, जिसका उद्देश्य चुनावों की आवृत्ति तथा उनसे जुड़ी लागतों को कम करना है। 
  • भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में हुए थे। 
  • उसके बाद, यह कार्यक्रम जारी नहीं रखा जा सका और लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के चुनावों को अभी भी पुनर्गठित नहीं किया गया है। 
  • एक साथ चुनाव के मुद्दे को 2014 में प्रधान मंत्री मोदी ने उठाया था और पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक समिति ने भी इस मुद्दे पर विचार किया था।
राम नाथ कोविंद पैनल के सुझाव
चरणबद्ध प्रक्रिया का चयन: पैनल के अनुसार, पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे चरण में 100 दिनों के अंदर स्थानीय निकाय (नगरपालिका और पंचायत) चुनाव कराए जा सकते हैं।
– सदन में अविश्वास प्रस्ताव आने की स्थिति में, सदन के तत्काल पूर्ववर्ती पूर्ण कार्यकाल के शेष कार्यकाल के लिए ही नए चुनाव कराए जा सकते हैं।
संविधान संशोधन की आवश्यकता: पैनल ने संविधान के अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानसभाओं की अवधि) में संशोधन की सिफारिश की है।
1. इस संवैधानिक संशोधन को राज्यों के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।
राज्यों का अनुसमर्थन: पैनल ने संविधान में संशोधन की भी सिफारिश की जिसके लिए राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता है;
1. संविधान का अनुच्छेद 324A पंचायतों और नगर पालिकाओं में एक साथ चुनाव कराने की अनुमति देता है; और 
2. अनुच्छेद 325 भारत के चुनाव आयोग (ECI) को राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एक सामान्य मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की अनुमति देता है।

एक राष्ट्र एक चुनाव के पक्ष में तर्क

  • इससे प्रत्येक वर्ष अलग-अलग चुनाव कराने पर होने वाले भारी खर्च में कमी आएगी। 
  • बार-बार चुनाव कराने की समस्या के कारण लंबे समय तक नैतिक आचार संहिता लागू रहती है, जिसका प्रभाव सामान्य शासन पर पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से ऐसी समस्याओं से निपटा जा सकता है। 
  • एक साथ चुनाव कराने से महत्वपूर्ण जनशक्ति मुक्त होगी, जिसे प्रायः चुनाव ड्यूटी पर लंबे समय तक तैनात किया जाता है। 
  • लगातार चुनाव मोड में रहने के बजाय शासन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

एक राष्ट्र एक चुनाव के विरुद्ध तर्क

  • सभी राज्यों और केंद्र सरकार को कार्यक्रमों, संसाधनों आदि के समन्वय सहित बड़े पैमाने पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
  • इससे क्षेत्रीय दलों की कीमत पर प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी या केंद्र में सत्तासीन दल को सहायता मिल सकती है और क्षेत्रीय मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दों की तुलना में कम महत्त्व मिल सकता है।

आगे की राह

  • सरकार के सभी 3 स्तरों के लिए समकालिक चुनाव शासन की संरचना में सुधार करेंगे। इससे मतदाताओं की पारदर्शिता, समावेशिता, सहजता और आत्मविश्वास बढ़ेगा।
  • एक साथ चुनाव के मुद्दे की जांच कर रहे 22वें विधि आयोग से उम्मीद है कि वह 2029 के आम चुनाव चक्र से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश करेगा।

Source: TH