भारत, विश्व व्यापार संगठन और किसानों की चिंताएँ

पाठ्यक्रम: GS3/ कृषि

संदर्भ

  • पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने भारतीय कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव का हवाला देते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) से भारत के हटने और कृषि समझौते (AoA) के अंतर्गत सभी मुक्त व्यापार समझौतों को निलंबित करने की माँग की है।

विश्व व्यापार संगठन (WTO) के संबंध में:

  • WTO क्या है?
    • विश्व व्यापार संगठन वैश्विक व्यापार नियमों को नियंत्रित करता है और द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् स्थापित टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) का उत्तराधिकारी है।
    • स्थापना: 1994 में मारकेश समझौते के माध्यम से, 123 संस्थापक देशों के साथ।
    • भारत की सदस्यता: 1 जनवरी, 1995 से।
  • वर्तमान सदस्यता:
    • 164 सदस्य (EU सहित) और 23 पर्यवेक्षक सरकारें (जैसे, इराक, ईरान, भूटान और लीबिया)।
  • विश्व व्यापार संगठन का महत्त्व:
    • समझौतों के माध्यम से वैश्विक व्यापार को सुगम बनाता है।
    • व्यापार विवादों में मध्यस्थता करता है।
    • वैश्विक व्यापार के साथ एकीकरण में विकासशील देशों का समर्थन करता है।

कृषि पर समझौता(AoA)

  • उद्देश्य: 
    • निष्पक्ष, बाजार-उन्मुख प्रणाली के लिए कृषि व्यापार में सुधार। 
    • आयात और निर्यात करने वाले देशों के लिए स्थिरता और पूर्वानुमान को बढ़ाना।
  •  दायरा: 
    • बुनियादी कृषि उत्पादों, प्रसंस्कृत उत्पादों, वाइन, स्पिरिट्स, तम्बाकू और कपास जैसे रेशों को शामिल करता है। 
  • AoA के स्तंभ:
    • बाजार पहुंच: टैरिफ जैसे व्यापार प्रतिबंधों को हटाना। 
    • घरेलू समर्थन: सब्सिडी जो व्यापार को विकृत करती है, एम्बर बॉक्स, ब्लू बॉक्स और ग्रीन बॉक्स में वर्गीकृत। 
    • निर्यात प्रतिस्पर्धा: निर्यात सब्सिडी का विनियमन। 
  • WTO  सब्सिडी श्रेणियाँ: 
    • एम्बर बॉक्स: व्यापार-विकृत करने वाली सब्सिडी, कटौती के अधीन। 
    • ब्लू बॉक्स: उत्पादन सीमाओं से जुड़ी न्यूनतम व्यापार-विकृत करने वाली सब्सिडी। 
    • ग्रीन बॉक्स: बिना सीमा के अनुमत गैर-व्यापार-विकृत करने वाली सब्सिडी। 
    • डी मिनिमिस क्लॉज(De Minimis Clause): विकासशील देश कृषि उत्पादन मूल्य के 10% तक एम्बर बॉक्स सब्सिडी बनाए रख सकते हैं।

भारतीय किसानों द्वारा उठाई गई चिंताएँ

  • भारतीय कृषि पर प्रभाव: AoA विकसित देशों को अनुपातहीन रूप से प्राथमिकता देता है, जिससे छोटे भारतीय किसानों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाती है। 
  • सब्सिडी में कमी और बढ़ती इनपुट लागत: WTO ने भारत की सब्सिडी को कृषि उत्पादन के 10% तक सीमित कर दिया है, जिससे उर्वरकों और बीजों जैसे इनपुट की बढ़ती लागत के बीच किसानों के लिए समर्थन सीमित हो गया है। 
  • सस्ते आयातों की डंपिंग: विकसित देशों के सब्सिडी वाले कृषि निर्यात भारतीय बाजारों में भर जाते हैं, जिससे घरेलू कीमतें कम होती हैं और स्थानीय किसान प्रभावित होते हैं।
  •  खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: AoA नियम खाद्य आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण सब्सिडी को सीमित करते हैं, जिससे आयात पर अधिक निर्भरता का जोखिम होता है। 
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की भूमिका: WTO MSP से जुड़ी सब्सिडी को व्यापार-विकृत करने वाला मानता है, जो किसान कल्याण और खाद्य सुरक्षा के लिए भारत की MSP प्रणाली के लिए एक संभावित चुनौती प्रस्तुत करता है।

विश्व व्यापार संगठन के समक्ष अन्य प्रमुख चुनौतियाँ

  • विवाद निपटान तंत्र: भारत प्रायः शिकायतकर्ता और प्रतिवादी दोनों के रूप में व्यापार विवादों का सामना करता है।
  • एकतरफा संरक्षणवादी उपाय: विकसित देश प्रायः ऐसे उपायों का सहारा लेते हैं, जिससे बहुपक्षीय समझौतों को हानि होती है।
  • ‘विकासशील देश’ की परिभाषा: WTO में भारत और चीन जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ विकासशील देशों के रूप में शामिल हैं, जिससे अतिरिक्त दबाव उत्पन्न होता है।
  • सब्सिडी और मत्स्य पालन: कृषि और मत्स्य पालन में सब्सिडी कम करने के लिए WTO का दबाव भारत के आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करने के साथ टकराव करता है।
  • पीस क्लॉज़: संरक्षित सब्सिडी कार्यक्रम 2013 से पहले प्रारंभ हुए थे, लेकिन भारत की उभरती आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त हैं।

विश्व व्यापार संगठन में सुधार के लिए भारत का दृष्टिकोण

  • बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करना:
    • यह सुनिश्चित करना कि सभी सदस्य देशों, न कि केवल प्रमुख व्यापारिक ब्लॉकों, को निर्णय लेने में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
  • नए व्यापार मुद्दों को संबोधित करना:
    • डिजिटल व्यापार, डेटा शासन और स्थिरता के लिए रूपरेखा विकसित करना।
  • विवाद निपटान तंत्र को मजबूत करना:
    • निष्पक्ष और पूर्वानुमानित व्यापार समाधान सुनिश्चित करने के लिए एक कार्यात्मक अपीलीय निकायका समर्थन करना।
  • कृषि-विशिष्ट सुधार:
    • विशेष सुरक्षा तंत्र।
    • खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग।
    • सब्सिडी का उचित उपचार।

निष्कर्ष

  • भारत का WTO के साथ संबंध उसकी विकास संबंधी प्राथमिकताओं की रक्षा करने और वैश्विक व्यापार में भागीदारी के मध्य एक नाजुक संतुलन को दर्शाता है। जबकि AoA जैसे WTO समझौते महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं, भारत का सक्रिय दृष्टिकोण और न्यायसंगत सुधारों का आह्वान एक अधिक समावेशी वैश्विक व्यापार ढाँचे को आकार देने के लिए उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 
  • किसानों की चिंताओं को दूर करना, खाद्य सुरक्षा की रक्षा करना और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण होगा क्योंकि भारत वैश्विक क्षेत्र में अपने हितों का समर्थन  करना जारी रखेगा।

Source: IE

 

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