पाठ्यक्रम :GS 2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचार में
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने नई दिल्ली में अपनी 9वीं रक्षा नीति वार्ता आयोजित की।
हाल की बैठक के मुख्य परिणाम
- समुद्री सुरक्षा और अंतर-संचालन क्षमता में वृद्धि: दोनों राष्ट्र समुद्री क्षेत्र में जागरूकता और पारस्परिक सूचना साझा करने तथा AUSINDEX और मालाबार जैसे संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों को मजबूत करने में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।
- रक्षा उद्योग और विज्ञान-प्रौद्योगिकी सहयोग: दोनों पक्षों ने रक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, सह-विकास और सैन्य हार्डवेयर के सह-उत्पादन तथा उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर चर्चा की।
- द्विपक्षीय संबंधों से परे रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना: क्षेत्रीय और बहुपक्षीय ढाँचे के साथ संरेखण, जिसमें शामिल हैं:
- क्वाड (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, USA) – इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करना।
- आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (ADMM-प्लस) – क्षेत्रीय सुरक्षा संवादों का विस्तार करना।
- इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) – समुद्री सुरक्षा और नीली अर्थव्यवस्था सहयोग को बढ़ावा देना।
भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा साझेदारी का महत्त्व
- रक्षा भागीदारी: 2020 में व्यापक रणनीतिक साझेदार बनने के बाद से ऑस्ट्रेलिया और भारत ने अपने रक्षा संबंधों को मजबूत किया है। प्रमुख माइलस्टोन में पारस्परिक रसद सहायता समझौता (2021) शामिल है।
- इंडो-पैसिफिक सुरक्षा और समुद्री रणनीति: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र दक्षिण चीन सागर में चीन की मुखरता सहित बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- भारत और ऑस्ट्रेलिया, दोनों समुद्री शक्तियाँ, क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए नौसैनिक सहयोग को बढ़ाना चाहते हैं।
- उभरते खतरों का मुकाबला करना: साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष सुरक्षा और हाइब्रिड युद्ध की रणनीति प्रमुख चिंताएँ बन गई हैं।
- भारत और ऑस्ट्रेलिया इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी नवाचारों पर सहयोग कर रहे हैं।
- रक्षा व्यापार और उद्योग सहयोग का विस्तार: भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल ऑस्ट्रेलिया की रक्षा उद्योग विकास रणनीति के साथ संरेखित है, जिससे निम्नलिखित क्षेत्रों में आपसी निवेश की अनुमति मिलती है:
- मिसाइल सिस्टम और रडार तकनीक
- मानव रहित हवाई और नौसैनिक प्लेटफॉर्म
- संयुक्त जहाज निर्माण परियोजनाएँ
- रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करना और रक्षा संबंधों में विविधता लाना: भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया की बढ़ती रक्षा साझेदारी अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पारंपरिक सहयोगियों पर उसकी निर्भरता को कम करती है।
- भारत को इंडो-पैसिफिक गठबंधनों से लाभ मिलता है, जो अमेरिका, फ्रांस और जापान के साथ उसके संबंधों को पूरक बनाता है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग में चुनौतियाँ
- रक्षा खरीद और औद्योगिक क्षमताओं को संरेखित करना: ऑस्ट्रेलिया का रक्षा उद्योग ऐतिहासिक रूप से पश्चिमी आपूर्तिकर्ताओं (USA, UK) के साथ अधिक संरेखित रहा है, जिससे भारत के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण चुनौतीपूर्ण हो गया है।
- नौकरशाही और नीतिगत बाधाएँ: रक्षा सहयोग को संयुक्त अनुसंधान और विकास परियोजनाओं एवं सैन्य रसद समझौतों के लिए तेज़ मंज़ूरी की आवश्यकता है।
- सैन्य सिद्धांतों और रणनीतिक प्राथमिकताओं में अंतर के लिए मजबूत नीति समन्वय की आवश्यकता है।
- क्षेत्रीय भू-राजनीतिक जटिलताओं को नेविगेट करना: चीन के साथ संबंधों का प्रबंधन – ऑस्ट्रेलिया की चीन पर विगत आर्थिक निर्भरता भारत के साथ अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति को पूरी तरह से संरेखित करने में चुनौतियाँ उत्पन्न करती है।
Source: TH
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