पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- भारत को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयों का विश्व में सबसे बड़ा प्रदाता बनाने के दृष्टिकोण के साथ औषधि विभाग ने देश की वैश्विक औषधि छवि को बदल दिया है।
भारत का फार्मास्युटिकल क्षेत्र
- वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत का फार्मास्युटिकल बाजार 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जिसमें घरेलू खपत 23.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर और निर्यात 26.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है।
- उद्योग के प्रमुख क्षेत्रों में जेनेरिक दवाएँ, ओटीसी दवाएँ, थोक दवाएँ, टीके, अनुबंध अनुसंधान और विनिर्माण, बायोसिमिलर और बायोलॉजिक्स शामिल हैं।
- फार्मा क्षेत्र वर्तमान में देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 1.72% का योगदान देता है।
- भारत API का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसकी वैश्विक API उद्योग में 8% हिस्सेदारी है।

भारत के फार्मास्युटिकल क्षेत्र की उपलब्धियाँ
- भारत विगत छह-सात वर्षों से यूनिसेफ का सबसे बड़ा वैक्सीन आपूर्तिकर्ता रहा है, जो कुल खरीद मात्रा में 55% से 60% का योगदान देता है।
- भारत डीपीटी, बीसीजी और खसरे के टीकों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की माँग का क्रमशः 99%, 52% और 45% योगदान दे रहा है।
- 2000-2024 की अवधि के दौरान औषधि एवं फार्मास्यूटिकल्स उद्योग में संचयी एफडीआई इक्विटी प्रवाह 22.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- यह देश वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है, वैश्विक आपूर्ति में इसकी हिस्सेदारी 20% है, तथा यह विश्व स्तर पर अग्रणी वैक्सीन निर्माता है।
- भारत को अपनी दवाओं की कम लागत और उच्च गुणवत्ता के कारण “विश्व की फार्मेसी” के रूप में जाना जाता है।
चिकित्सा उपकरण क्षेत्र
- चिकित्सा उपकरण क्षेत्र भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का एक आवश्यक और अभिन्न अंग है, विशेष रूप से सभी चिकित्सा स्थितियों और विकलांगताओं की रोकथाम, निदान, उपचार एवं प्रबंधन के लिए।
- इसकी घटक उपकरण श्रेणियाँ हैं; इलेक्ट्रो-मेडिकल उपकरण, प्रत्यारोपण, उपभोग्य और डिस्पोजेबल, सर्जिकल उपकरण तथा इन विट्रो डायग्नोस्टिक अभिकर्मक।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 में, अप्रैल 2024 से दिसंबर 2024 तक, एफडीआई प्रवाह (फार्मास्युटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों दोनों में) ₹11,888 करोड़ था।

सरकारी पहल
- 2020 में शुरू की गई उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना एक परिवर्तनकारी पहल है जिसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना, निवेश आकर्षित करना, आयात पर निर्भरता कम करना और निर्यात बढ़ाना है। इसमें शामिल है;
- फार्मास्यूटिकल्स के लिए PLI योजना,
- महत्त्वपूर्ण KSMs/DIs/APIs के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए PLI योजना,
- चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए PLI योजना।
- बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा: मार्च 2020 में स्वीकृत इस योजना (वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2025-26) का उद्देश्य विनिर्माण लागत को कम करने और बल्क ड्रग्स में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए विश्व स्तरीय सामान्य बुनियादी ढाँचे वाले पार्क स्थापित करना है।
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP): गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयाँ समर्पित दुकानों के माध्यम से सभी को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराई जाती हैं।
निष्कर्ष
- भारत का फार्मास्यूटिकल एवं चिकित्सा उपकरण क्षेत्र विज्ञान, नवाचार और विनिर्माण में देश की बढ़ती क्षमताओं का प्रमाण है।
- इसमें इस बात पर बल दिया गया है कि देश का फार्मास्युटिकल क्षेत्र 2030 तक 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आँकड़ा छू लेगा।
Sources: PIB
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