सिविल सेवक और सोशल मीडिया: नैतिकता और निहितार्थ

पाठ्यक्रम: GS2/शासन; GS4/ एथिक्स

समाचार में

  • हाल ही में केरल सरकार ने अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के कथित उल्लंघन के लिए दो IAS अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।

आचरण नियम क्या निर्दिष्ट करते हैं?

  • अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 (AIS नियम) IAS, IPS, और भारतीय वन सेवा अधिकारियों के लिए आचार संहिता प्रदान करते हैं, जो नैतिकता, ईमानदारी और जवाबदेही के उच्च मानकों को सुनिश्चित करते हैं।
  • मुख्य प्रावधानों में शामिल हैं:
    • नैतिक मानक: अधिकारियों को राजनीतिक तटस्थता बनाए रखनी चाहिए, संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखना चाहिए और ईमानदारी और निष्ठा का प्रदर्शन करना चाहिए।
    • सार्वजनिक संचार:
      • अधिकारी केवल अपने कर्तव्यों से संबंधित वास्तविक उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक मीडिया में भाग ले सकते हैं।
      • सार्वजनिक मंचों पर सरकारी नीतियों की आलोचना करना प्रतिबंधित है।
      • अधिकारियों को आधिकारिक कृत्यों के औचित्य के लिए न्यायालयों या मीडिया से संपर्क करने से पहले सरकार की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता होती है।
  • सर्वव्यापी नियम: अधिकारियों को “सेवा के सदस्य के लिए अनुचित” तरीके से कार्य नहीं करना चाहिए।
  • समय के साथ संशोधन: नियमों को अपडेट किया गया है, लेकिन सोशल मीडिया आचरण के लिए स्पष्ट प्रावधानों का अभाव है।

सिविल सेवकों द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग के लाभ

  • बेहतर सार्वजनिक सहभागिता: सिविल सेवक सीधे नागरिकों से बातचीत कर सकते हैं, उनकी चिंताओं का समाधान कर सकते हैं और समय पर अपडेट प्रदान कर सकते हैं।
  • बेहतर पारदर्शिता और जवाबदेही: सोशल मीडिया का उपयोग सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए किया जा सकता है, जिससे पारदर्शिता तथा जवाबदेही को बढ़ावा मिलता है।
  • सकारात्मक सार्वजनिक धारणा: प्रभावी सोशल मीडिया का उपयोग सरकारी संस्थानों के बारे में जनता की धारणा को बढ़ा सकता है।
  • ज्ञान साझाकरण और सहयोग: ट्विटर और लिंक्डइन जैसे प्लेटफ़ॉर्म सिविल सेवकों के बीच ज्ञान साझा करने तथा सहयोग को सक्षम बनाते हैं।

सिविल सेवकों द्वारा सोशल मीडिया के प्रयोग की हानि

  • गुमनामी का क्षरण: सिविल सेवकों की पारंपरिक गुमनामी से समझौता किया जा सकता है, जिससे संभावित रूप से निष्पक्ष परामर्श देने की उनकी क्षमता प्रभावित हो सकती है।
  • दुरुपयोग का जोखिम: व्यक्तिगत लाभ, राजनीतिक पैरवी या गलत सूचना फैलाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जा सकता है।
  • साइबर सुरक्षा खतरे: सिविल सेवक साइबर हमलों और ऑनलाइन उत्पीड़न के प्रति संवेदनशील होते हैं।
  • मुख्य कर्तव्यों से ध्यान भटकाना: सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग मुख्य जिम्मेदारियों से ध्यान भटका सकता है।

आगे की राह

  • स्पष्ट दिशा-निर्देश: सोशल मीडिया उपयोग प्रोटोकॉल स्थापित करें, यह सुनिश्चित करें कि सिविल सेवक तटस्थता बनाए रखें और हितों के टकराव से बचें।
    • स्वीकार्य सामग्री, जुड़ाव के तरीके और सार्वजनिक चर्चा के लिए सीमाएँ निर्दिष्ट करें।
  • प्रशिक्षण और जागरूकता: नैतिक सोशल मीडिया प्रथाओं पर प्रशिक्षण प्रदान करें, पहुँच और गुमनामी के बीच संतुलन पर बल दें।
  • स्व-प्रचार से बचें: आधिकारिक प्लेटफ़ॉर्म पर व्यक्तिगत ब्रांडिंग को हतोत्साहित करें। व्यक्तिगत योगदान के बजाय संस्थागत उपलब्धियों को प्रदर्शित करने पर ध्यान दें।
  • जवाबदेही तंत्र को मज़बूत करना: सिर्फ़ सोशल मीडिया के बजाय RTI और सार्वजनिक शिकायत निवारण तंत्र जैसे स्थापित चैनलों के ज़रिए जवाबदेही को बढ़ावा दें।
  • डिजिटल नौकरशाही को बढ़ावा देना: यू.के. जैसे देशों की सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचार करें, जहाँ तटस्थता से समझौता किए बिना डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाता है।

Source: TH

 

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