उच्चतम न्यायालय ने NIA की शक्तियों का विस्तार किया

पाठ्यक्रम: GS3/विभिन्न सुरक्षा बल एवं एजेंसियाँ ​​और उनका अधिदेश

संदर्भ

  • हाल ही में, भारत के उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की जाँच शक्तियों का विस्तार किया है।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

  • न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की उच्चतम न्यायालय की पीठ ने NIA अधिनियम, 2008 की धारा 8 की व्याख्या इस प्रकार की कि एजेंसी की शक्तियाँ केवल अनुसूचित अपराधों तक ही सीमित नहीं हैं।
  • इसने NIA की शक्तियों का विस्तार करते हुए इसमें गैर-अनुसूचित अपराधों की जाँच को भी शामिल कर दिया है, यदि वे अनुसूचित अपराधों से जुड़े हैं, और NIA को अपनी प्राथमिक जाँच से जुड़ी आपराधिक गतिविधियों की एक व्यापक शृंखला की जाँच करने की अनुमति दी है।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) का परिचय

  • यह भारत का प्राथमिक आतंकवाद-रोधी कार्य बल है, जिसे राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 के अधिनियमन के पश्चात् 2009 में स्थापित किया गया था।
    • यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन भारत में केंद्रीय आतंकवाद निरोधी विधि प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है।
  • इसका गठन राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले अपराधों, जैसे आतंकवाद, हथियारों की तस्करी और अन्य गंभीर अपराधों की जाँच एवं मुकदमा चलाने के लिए किया गया था।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

NIA अधिनियम के प्रमुख प्रावधान

  • NIA को अधिनियम की अनुसूची में सूचीबद्ध अपराधों की जाँच करने और मुकदमा चलाने का अधिकार है, जिसमें आतंकवादी कृत्य, राज्य के विरुद्ध अपराध एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुँचाने वाले अन्य अपराध शामिल हैं।
  • अधिकार क्षेत्र और शक्तियाँ: NIA को पूरे भारत में अपराधों की जाँच करने का अधिकार है।
    • NIA (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने NIA को भारत के बाहर किए गए अपराधों की जाँच करने की अनुमति दी, यदि उनमें भारतीय नागरिक शामिल हों या भारतीय हित प्रभावित हों।
    • इसने एजेंसी को मानव तस्करी, साइबर आतंकवाद और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम से संबंधित अपराधों की जाँच करने का भी अधिकार दिया।
  • विशेष न्यायालय: अधिनियम अनुसूचित अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना का अधिदेश देता है। इन न्यायालयों को सुनवाई करने, निर्णय पारित करने और दंड लगाने का अधिकार है।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम 2008 के अंतर्गत अपराध
अनुसूचित अपराध: ये NIA अधिनियम की अनुसूची में सूचीबद्ध विशिष्ट अपराध हैं। इन अपराधों को राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के लिए गंभीर खतरा माना जाता है, और NIA को इनकी जाँच करने एवं मुकदमा चलाने का अधिकार है। इसमे शामिल है:
1. गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के अंतर्गत आतंकवाद से संबंधित अपराध;
2. परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के अंतर्गत अपराध;
3. अपहरण विरोधी अधिनियम, 1982 के अंतर्गत अपराध;
4. नागरिक विमानन सुरक्षा के विरुद्ध गैरकानूनी कृत्यों के दमन हेतु अधिनियम,1982 के अंतर्गत अपराध;
5. समुद्री नेविगेशन और महाद्वीपीय शेल्फ अधिनियम, 2002 पर स्थिर प्लेटफार्मों की सुरक्षा के विरुद्ध गैरकानूनी कृत्यों के दमन के अंतर्गत अपराध;
6. सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी वितरण प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) अधिनियम, 2005 के अंतर्गत अपराध;
7. सार्क कन्वेंशन (आतंकवाद दमन) अधिनियम, 1993 के अंतर्गत अपराध;विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 के अंतर्गत अपराध;
8. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत अपराध (साइबर आतंकवाद से संबंधित)।
गैर-अनुसूचित अपराध: इन्हें NIA अधिनियम की अनुसूची में स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध नहीं किया गया है। उदाहरण के लिए: नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ (NDPS) अधिनियम के अंतर्गत अपराध।

निर्णय के निहितार्थ

  • उन्नत जाँच पहुँच: NIA अब अपराधों की एक व्यापक शृंखला की जाँच कर सकती है, जिससे जटिल आपराधिक नेटवर्क से निपटने के लिए अधिक व्यापक दृष्टिकोण सुनिश्चित होगा।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना: NIA को संबंधित गैर-अनुसूचित अपराधों की जाँच करने की अनुमति देकर, यह निर्णय एजेंसी की संगठित अपराध और आतंकवाद नेटवर्क को नष्ट करने की क्षमता को बढ़ाता है।
  • विधिक स्पष्टता: यह निर्णय NIA की शक्तियों के दायरे पर स्पष्ट कानूनी मार्गदर्शन प्रदान करता है, जो भविष्य की जाँच और अभियोजन को सुव्यवस्थित करने में सहायता कर सकता है।

Source: IE