पहली बार गंगा नदी डॉल्फिन की टैगिंग

पाठ्यक्रम: GS3/ संरक्षण, समाचार में प्रजाति

समाचार में

  • भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा गंगा नदी डॉल्फिन (प्लैटनिस्टा गैंगेटिका) को पहली बार उपग्रह टैगिंग किया गया है।

तर्क

  • उपग्रह टैगिंग का उद्देश्य डॉल्फिनों के मौसमी और प्रवासी पैटर्न, सीमा, वितरण एवं आवास उपयोग पर महत्त्वपूर्ण डेटा एकत्र करना है, विशेष रूप से खंडित या अशांत नदी प्रणालियों में। प्रभावी संरक्षण रणनीति तैयार करने के लिए यह जानकारी महत्त्वपूर्ण है।

गंगा नदी डॉल्फिन (जिसे ‘सुसु’ भी कहा जाता है) का परिचय 

  • वैज्ञानिक नाम: प्लैटानिस्टा गैंगेटिका
  • खोज: आधिकारिक तौर पर 1801 में खोजा गया।
  • आवास और वितरण: भारत, बांग्लादेश और नेपाल में गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदियाँ तथा उनकी सहायक नदियाँ।
  • विशेषताएँ: यह केवल स्वच्छ जल में रहता है तथा इसमें क्रिस्टलीय नेत्र लेंस नहीं होता है, जिससे यह प्रभावी रूप से दृष्टिहीन हो जाता है।
    • इकोलोकेशन (अल्ट्रासोनिक ध्वनि) का उपयोग करके अत्यधिक विकसित ‘सोनार प्रणाली’ के माध्यम से नेविगेशन और शिकार।
    • शरीर भूरे रंग का तथा बीच से मोटा होता है।
  • महत्त्व: 
    • संपूर्ण नदी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का संकेतक।
    • स्वस्थ मछली एवं क्रस्टेशियन जनसंख्या को नियंत्रित करना और बनाए रखना
    • भारत सरकार ने 2009 में इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया
  • खतरे: प्रदूषण, निर्माण आदि के कारण आवास का क्षरण।
    • जाल में उलझने से आकस्मिक मृत्यु (बाईकैच), अवैध शिकार।
  • संरक्षण स्थिति: लुप्तप्राय (IUCN), वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I।
    • CITES का परिशिष्ट I

उठाए गए कदम

  • प्रोजेक्ट डॉल्फिन: प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से डॉल्फिन और जलीय आवास का संरक्षण (प्रदूषण में कमी और सतत् मत्स्य पालन)।
  • राष्ट्रीय गंगा नदी डॉल्फिन दिवस: 5 अक्टूबर (इसी दिन 2009 में इसे राष्ट्रीय जलीय पशु घोषित किया गया था)।
  • डॉल्फिन अभयारण्य: विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य (VGDS) (भागलपुर, बिहार)
  • डॉल्फिन के लिए संरक्षण कार्य योजना: भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा 2016 में प्रारंभ की गई।

Source: TH