पाठ्यक्रम :GS 3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- 2024 में भारत धन प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता होगा, जिसका अनुमानित प्रवाह 129 बिलियन डॉलर होगा, इसके पश्चात् मैक्सिको, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान का स्थान होगा।
क्या आप जानते हैं? – धन प्रेषण से तात्पर्य विदेश में कार्य करने वाले व्यक्तियों द्वारा अपने देश में अपने परिवारों और समुदायों को प्रेषित की जाने वाली धनराशि से है। – ये धनराशि सामान्यतः बैंकों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या धन हस्तांतरण सेवाओं के माध्यम से स्थानांतरित की जाती है। |
धन प्रेषण में वृद्धि
- 2024 में धन प्रेषण की वृद्धि दर 5.8% रहने का अनुमान है, जो 2023 में 1.2% होगी।
- निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMICs) को आधिकारिक धन प्रेषण 2024 में 685 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना है।
- दक्षिण एशिया में धन प्रेषण में सर्वाधिक वृद्धि (11.8%) होने की संभावना है, जो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में मजबूत प्रवाह के कारण संभव हो पाया है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) सहित अन्य वित्तीय प्रवाहों की तुलना में धन प्रेषण की गति लगातार बढ़ रही है।
- पिछले दशक में FDI में 41% की गिरावट आई है, जबकि धन प्रेषण में 57% की वृद्धि हुई है।
- प्रमुख चालक: उच्च आय वाले OECD देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में रोजगार बाजारों की रिकवरी प्रमुख चालक रही है, जहां विदेशी मूल के श्रमिकों के रोजगार में महामारी-पूर्व स्तर से 11% की वृद्धि हुई है।
- इस सुधार से विशेष रूप से लैटिन अमेरिका और कैरीबियाई देशों में धन प्रेषण में वृद्धि हुई है।
धन प्रेषण का महत्त्व
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को स्थिर करना: धन प्रेषण कई विकासशील देशों के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देता है, विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराता है जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और भुगतान संतुलन को स्थिर करने में सहायता करता है।
- गरीबी उन्मूलन: वे लाखों परिवारों के लिए आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान करते हैं, दैनिक जीवन व्यय, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आवास का समर्थन करते हैं।
- विकास और निवेश: प्रेषित धनराशि से प्रायः छोटे व्यवसायों, कृषि गतिविधियों और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को वित्त पोषित किया जाता है, जिससे स्थानीय आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलता है।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: प्रवासी श्रमिक प्रायः अपने गृह देशों के साथ सशक्त संबंध बनाए रखते हैं, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान में योगदान मिलता है और प्रवासी संबंधों को मजबूती मिलती है।
चुनौतियाँ
- उच्च लेनदेन लागत: तकनीकी प्रगति के बावजूद, कुछ कॉरिडोर में धन भेजने की लागत अभी भी अधिक है, जिससे लाभार्थियों को प्राप्त होने वाली राशि कम हो जाती है।
- धन प्रेषण पर निर्भरता: धन प्रेषण पर अत्यधिक निर्भरता आर्थिक कमजोरियाँ उत्पन्न कर सकती है, जिससे देश स्थायी स्थानीय अर्थव्यवस्था विकसित करने के बदले बाहरी निधियों पर निर्भर हो जाते हैं।
- नियामक बाधाएँ: कठोर वित्तीय विनियमन एवं धन शोधन विरोधी उपाय धन हस्तांतरण को जटिल बना सकते हैं और इसमें विलंब कर सकते हैं।
निष्कर्ष और आगे की राह
- धन प्रेषण लाखों परिवारों के लिए जीवन रेखा है तथा वैश्विक आर्थिक स्थिरता एवं विकास में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता है। यद्यपि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, वित्तीय प्रौद्योगिकी में चल रहे नवाचार और लेनदेन लागत को कम करने के प्रयास, धन प्रेषण की दक्षता एवं प्रभाव को बढ़ाने की संभावना रखते हैं।
- जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों, आय अंतराल और जलवायु परिवर्तन से प्रेरित प्रवासन दबावों के कारण धन प्रेषण में वृद्धि जारी रहने की संभावना है।
- देशों को गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के वित्तपोषण, वित्तीय समावेशन, तथा राज्य और गैर-राज्य उद्यमों के लिए पूँजी बाजार पहुँच में सुधार के लिए धन प्रेषण का लाभ उठाने की आवश्यकता है।
Source :BS