अनुबंध खेती (Contract Farming)

पाठ्यक्रम:GS3/ कृषि

संदर्भ

  • भारत में फ्रोजन फ्रेंच फ्राइज़ के आयात से निर्यात की ओर बदलाव, कृषि उद्योग और किसानों दोनों के लिए अनुबंध खेती के महत्त्व को प्रकट करता है।

अनुबंध खेती क्या है?

  • अनुबंध खेती किसानों और खरीदार के मध्य एक समझौते के अनुसार किया जाने वाला कृषि उत्पादन है, जो वस्तु के उत्पादन एवं विपणन पर शर्तें आरोपित करता है।
  • किसान: वे खरीदार की आवश्यकताओं के आधार पर निर्दिष्ट कृषि वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए सहमत होते हैं, गुणवत्ता, मात्रा और समय मानकों का पालन करते हैं।
  • खरीदार: वे सामान्यतः कृषि व्यवसाय फर्म, प्रोसेसर, निर्यातक या खुदरा विक्रेता होते हैं जो उपज के लिए गारंटीकृत मूल्य के साथ बीज, उर्वरक एवं तकनीकी सूचना जैसे इनपुट प्रदान करते हैं।

अनुबंध खेती व्यवस्था के प्रकार

  • कंपनी द्वारा प्रत्यक्ष इनपुट प्रावधान: कंपनी किसानों को सभी आवश्यक इनपुट प्रदान करती है, तथा इन इनपुट एवं सेवाओं की लागत फसल कटाई और डिलीवरी के पश्चात् किसान को मिलने वाले मूल्य से घटा दी जाती है।
अनुबंध खेती व्यवस्था के प्रकार
  • स्थानीय इनपुट डीलरों के साथ भागीदारी: ये व्यवस्थाएँ कंपनी की भागीदारी के एक स्पेक्ट्रम का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो प्रत्यक्ष नियंत्रण और तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाताओं पर निर्भरता के बीच संतुलन बनाती हैं। व्यवस्था का चुनाव इस पर निर्भर करता है:
    • स्थानीय सेवा प्रदाताओं की उपलब्धता।
    • कंपनी के संसाधन और क्षमताएँ।
    • फसल उत्पादन प्रक्रिया की जटिलता।
स्थानीय इनपुट डीलरों के साथ भागीदारी

अनुबंध खेती के लाभ

  • सुनिश्चित आय: किसानों को उनकी उपज के लिए पूर्व निर्धारित मूल्य पर बाजार मिलने का आश्वासन मिलता है, जिससे आय संबंधी अनिश्चितताएँ कम होती हैं।
  • गुणवत्तापूर्ण इनपुट तक पहुँच: खरीदार उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक एवं उन्नत तकनीक प्रदान करते हैं, जिससे उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ती है।
  • कटाई के पश्चात् होने वाली हानि में कमी: उचित मार्गदर्शन और बाजार तक पहुँच के साथ, कटाई के पश्चात् होने वाली हानि को कम किया जा सकता है।
  • ऋण तक पहुँच को सुगम बनाता है: अनुबंध प्रायः किसानों को गारंटीकृत आय प्रवाह के कारण वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं।

अनुबंध खेती से जुड़ी चिंताएँ

  • शक्ति असंतुलन: किसानों, विशेष रूप से छोटे किसानों के पास सौदेबाजी की सीमित शक्ति हो सकती है, जिससे वे शोषण के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
  • साइड-सेलिंग: कभी-कभी किसान अनुबंधित उपज को बेहतर कीमत की पेशकश किए जाने पर अन्य खरीदारों को बेच देते हैं, जो समझौते का उल्लंघन है।
  • गुणवत्ता विवाद: गुणवत्ता मानकों पर असहमति संघर्ष और भुगतान में विलंब का कारण बनती है।
  • सीमांत किसानों का बहिष्कार: खरीदार बड़े किसानों के साथ कार्य करना पसंद करते हैं, जिससे छोटे और सीमांत किसान हाशिए पर चले जाते हैं।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: विशिष्ट फसलों पर जोर देने से मोनोक्रॉपिंग, मृदा की कमी और इनपुट का अधिक उपयोग होता है।

सरकारी पहल और कानूनी ढाँचा

  • आदर्श कृषि उपज और पशुधन अनुबंध खेती और सेवा अधिनियम, 2018 किसानों के लिए उचित समझौतों, विवाद समाधान एवं सुरक्षा उपायों के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
  • किसान उत्पादक संगठन (FPOs) अनुबंध खेती में किसानों के लिए सामूहिक सौदेबाजी की शक्ति को प्रोत्साहित करते हैं।
  • e-NAM एकीकरण: यह अनुबंध प्रवर्तन और मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता की सुविधा प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय कृषि नीति: उत्पादकता और ग्रामीण आय बढ़ाने के साधन के रूप में अनुबंध खेती को बढ़ावा देती है।

आगे की राह

  • अनुबंध खेती के सतत् विकास को सुनिश्चित करने के लिए समावेशी प्रथाओं, तकनीकी प्रगति और मजबूत मूल्यांकन तंत्र पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
  • अनुबंधों को छोटे और सीमांत किसानों को समायोजित करने, शर्तों को सरल बनाने एवं किफायती इनपुट सहायता प्रदान करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए।
  • यह समावेशिता कम प्रतिनिधित्व वाले कृषक समुदायों को सशक्त बनाएगी, जिससे कृषि क्षेत्र में समान विकास सुनिश्चित होगा।

Source: IE

 

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