2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने के प्रयास

पाठ्यक्रम: GS3/आर्थिक विकास; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सन्दर्भ

  • भारत ‘विकसित भारत’ 2047 लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रमुख हस्तक्षेपों के माध्यम से विभिन्न प्रयास कर रहा है।

भारत का विज़न 2047: विकसित भारत

  • 2047 के लिए भारत का विज़न, जिसे ‘विकसित भारत’ के नाम से जाना जाता है, का लक्ष्य देश को अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाने तक एक विकसित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है। 
  • इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी।
2047 तक विकसित भारत का एजेंडा
– यह एक व्यापक विजन योजना है जिसका लक्ष्य वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र में परिवर्तित करना है, जो इसकी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ होगी।
– विकसित भारत के चार स्तंभ युवा, गरीब, महिला और किसान हैं।
– इसके लिए आर्थिक विकास, सामाजिक समानता, वैश्विक प्रतिस्पर्धा, पर्यावरणीय स्थिरता, औद्योगिक आधुनिकीकरण और सुशासन सहित विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है।
प्रमुख क्षेत्रों में किए गए प्रयास
आर्थिक विकास: भारत ने सतत् आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए 7-8% वार्षिक GDP विकास दर का लक्ष्य रखा है। 
1. नीति आयोग के अनुसार, देश की GDP 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना है, जो इस धारणा पर टिका है कि भारत की वास्तविक GDP 9% से अधिक की वार्षिक औसत दर से बढ़ेगी। 
2. मेक इन इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत (स्व-निर्भर भारत) कार्यक्रम जैसी पहल घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देती हैं और आयात निर्भरता को कम करती हैं। 
3. उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल जैसे प्रमुख क्षेत्रों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती हैं। 
सामाजिक समानता: गरीबी उन्मूलन, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास चल रहे हैं। 
1. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) जैसे कार्यक्रम, जो गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करते हैं, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, जो शिक्षा प्रणाली में सुधार करती है, इस रणनीति के प्रमुख घटक हैं। 
औद्योगिक आधुनिकीकरण: मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत सकल घरेलू उत्पाद में 25% योगदान करने के लिए विनिर्माण को बढ़ावा देना एक प्रमुख लक्ष्य है।
1. मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 और अमृत काल विजन 2047 का उद्देश्य बंदरगाहों, शिपिंग एवं जलमार्गों सहित समुद्री क्षेत्र का विकास करना है।
2. बंदरगाह संचालन को आधुनिक बनाने, हरित हाइड्रोजन/अमोनिया हब विकसित करने और क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास इस रणनीति का हिस्सा हैं।
वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता: PM गति शक्ति मास्टर प्लान विकास में तीव्रता लाने के लिए सभी क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को एकीकृत करता है।
1. डिजिटल इंडिया पहल इंटरनेट एक्सेस का विस्तार करती है और फिनटेक अपनाने को बढ़ावा देती है, ई-गवर्नेंस एवं डिजिटल सेवाओं का समर्थन करती है।
पर्यावरणीय स्थिरता: भारत ने 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने को बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।ग्रीन इंडिया मिशन जैसी पहल नवीकरणीय ऊर्जा और सतत् शहरी विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में किए गए प्रयास

  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन और अंतःविषय साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन जैसी उच्च-दांव मिशन-संचालित पहल, उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
  • रणनीतिक नीति उपाय: इनमें भू-स्थानिक नीति 2022, अंतरिक्ष नीति 2023 और BioE3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति 2024 शामिल हैं।
    • इन नीतियों का उद्देश्य भारत की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाना और सतत् विकास को बढ़ावा देना है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्व: राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (NSF), USA द्वारा प्रकाशित विज्ञान और इंजीनियरिंग संकेतक 2024 के अनुसार अनुसंधान प्रकाशनों की संख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है।
    • राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (NSF), USA द्वारा प्रकाशित विज्ञान एवं इंजीनियरिंग संकेतक 2024 के अनुसार विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में प्रदान की गई PhD डिग्री की संख्या में भारत चौथे स्थान पर है।
    • WIPO रिपोर्ट, 2023 के अनुसार, भारत संबंधित देशों से निवासी और गैर-निवासी पेटेंट दाखिल करने की गतिविधि के मामले में 6वें स्थान पर है।
  •  भारत में अनुसंधान एवं विकास (GERD) पर सकल व्यय: भारत में GERD पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रहा है और 2009-10 से 2020-21 तक दोगुने से अधिक हो गया है।
    • DST अनुसंधान एवं विकास सांख्यिकी 2022-23 के अनुसार, भारत यूनाइटेड किंगडम, रूस, ब्राजील, इटली, कनाडा, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया आदि से आगे GERD (बिलियन वर्तमान PPP $ में) के मामले में 7वें स्थान पर है। 
    • DST अनुसंधान एवं विकास सांख्यिकी, 2022-23 के अनुसार, अनुसंधान एवं विकास में लिंग भागीदारी 14.3% (2009) से बढ़कर 18.6% (2021) हो गई है। 
    • DST अनुसंधान एवं विकास सांख्यिकी, 2022-23 के अनुसार, प्रति मिलियन जनसंख्या पर शोधकर्त्ताओं की संख्या 2009 में 164 की तुलना में 2020 में बढ़कर 262 हो गई है।
  • स्टार्टअप संस्कृति और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र: भारत ने अपने वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) रैंकिंग में वर्ष 2015 में 81वें स्थान से 2024 में विश्व की 133 अर्थव्यवस्थाओं में 39वें स्थान पर महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्ज हुई है।
    • DPIIT के अनुसार 2024 में स्टार्टअप की कुल संख्या के मामले में भी भारत तीसरे स्थान पर है।
  • अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF): इसकी स्थापना ANRF अधिनियम 2023 के माध्यम से की गई थी, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक सफलताओं और क्रॉस-सेक्टरल सहयोग के लिए बहु-चरणीय रोडमैप को आगे बढ़ाना है, जो उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान के लिए संसाधन आवंटन को अनुकूलित करने के लिए प्रतिस्पर्धी, सहकर्मी-समीक्षित अनुदान प्रदान करता है।
  • प्रौद्योगिकी पर सचिवों का क्षेत्रीय समूह (SGoS): इसने हस्तक्षेप के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने के लिए विस्तृत चर्चा की है। इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप क्वांटम प्रौद्योगिकी, साइबर-भौतिक प्रणाली और जैव विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान एवं नवाचार को मजबूत करने के लिए रणनीतिक कार्रवाई की गई है।

चुनौतियाँ और आगे की राह

  • इन प्रयासों के बावजूद, आर्थिक असमानताएँ, बुनियादी ढाँचे में कमी, नीति अनिश्चितता, पर्यावरण से जुड़ी चिंताएँ, कौशल विकास, ग्रामीण युवा और वैश्विक जोखिम जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। 
  • इन चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों, कौशल विकास, निर्यात को बढ़ावा देने, ग्रामीण विकास एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है।

Source: PIB

 

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