हाइड्रोथर्मल वेंट्स (Hydrothermal Vents)

पाठ्यक्रम: GS1/ भौतिक भूगोल

समाचार में

  • भारतीय समुद्र विज्ञानियों ने अनुसंधान पोत सागर निधि से प्रक्षेपित स्वचालित जल वाहन (AUV) का उपयोग करते हुए, हिंद महासागर की सतह से 4,500 मीटर नीचे स्थित एक सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट की पहली तस्वीर खींची।
    • यह स्थल पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के गहन महासागर मिशन के अंतर्गत खनिज अन्वेषण के लिए महत्त्वपूर्ण है।

सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट क्या है?

  • सीफ्लोर हॉट स्प्रिंग्स: वे समुद्र तल में खुले स्थान हैं जहाँ भूतापीय रूप से उष्ण जल प्रवाहित होता है।
  • विवर्तनिक गतिविधि: वे प्रायः ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों के पास पाए जाते हैं, विशेष रूप से मध्य-महासागरीय कटकों में जहाँ विवर्तनिक प्लेटें अलग हो रही होती हैं।
  • वे किस प्रकार बनते हैं:
    • समुद्री जल महासागरीय सतह की दरारों में रिसता है।
    • यह समुद्र तल के नीचे मैग्मा द्वारा अति गर्म हो जाता है।
    • उष्ण जल आसपास की चट्टानों से खनिजों को घोल देता है।
    • यह खनिज-समृद्ध गर्म पानी वापस समुद्र में चला जाता है, जिससे वेंट का निर्माण होता है।
  • वेंट के प्रकार:
    • ब्लैक स्मॉकर: अत्यधिक उष्ण जल (350 डिग्री सेल्सियस से अधिक) उत्सर्जित करते हैं जो सल्फाइड से भरपूर होता है, जिससे जल काला दिखाई देता है।
    • व्हाइट स्मॉकर: बेरियम, कैल्शियम और सिलिकॉन जैसे हल्के रंग के खनिजों वाले शीतल जल का उत्सर्जन करते हैं।
सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट

वे महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?

  • अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र: हाइड्रोथर्मल वेंट अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र को सहारा देते हैं जो सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति में भी पनपते हैं।
  • रसायन संश्लेषण: विशिष्ट बैक्टीरिया और आर्किया ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए छिद्रों से रसायनों (जैसे हाइड्रोजन सल्फाइड) का उपयोग करते हैं, जो खाद्य जाल का आधार बनता है।
  • जैव विविधता: ये पारिस्थितिकी तंत्र विभिन्न प्रकार के असामान्य जीवों के आवास हैं, जिनमें ट्यूबवर्म, विशाल क्लैम और वेंट केकड़े शामिल हैं।
  • जीवन की उत्पत्ति: कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति संभवतः हाइड्रोथर्मल वेंट वातावरण में हुई होगी।

डीप ओशन मिशन 

  • संक्षिप्त विवरण: यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अंतर्गत 2021 में प्रारंभ की गई भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है।
  • उद्देश्य: समुद्र विज्ञान और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की चुनौतियों का समाधान करते हुए गहरे समुद्र के विशाल संसाधनों का अन्वेषण एवं दोहन करना।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • गहरे समुद्र के संसाधनों की खोज: हिंद महासागर में पाए जाने वाले हाइड्रोथर्मल वेंट, पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स और कोबाल्ट-समृद्ध क्रस्ट का अध्ययन एवं मानचित्रण करना।
    • गहरे समुद्र में खनन के लिए प्रौद्योगिकी का विकास: 6,000 मीटर तक की गहराई पर खनन के लिए उन्नत उपकरण और वाहनों का निर्माण एवं तैनाती।
    • जैव विविधता और पर्यावरण अध्ययन: समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और गहरे समुद्र के वातावरण में अद्वितीय जीवन रूपों पर अनुसंधान करना।
    • जलवायु परिवर्तन और महासागरीय अवलोकन: जलवायु परिवर्तन और महासागरों पर इसके प्रभाव की निगरानी करने की भारत की क्षमता को सुदृढ़ करना।
    • समुद्री जैव प्रौद्योगिकी और औषधि विकास: औषधीय और औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्री जीवों की जाँच करना।

Source: IE