पैकेज्ड फूड की गुणवत्ता में असमानताएं

पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य

सन्दर्भ

  • गैर-लाभकारी वैश्विक संस्था एक्सेस टू न्यूट्रिशन इनिशिएटिव (ATNi) की एक रिपोर्ट में उच्च आय वाले देशों (HICs) की तुलना में निम्न व मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में असमानता पाई गई।

रिपोर्ट के बारे में:

  • रिपोर्ट में विश्व के 30 सबसे बड़े खाद्य एवं पेय (F&B) निर्माताओं का मूल्यांकन किया गया, जो वैश्विक F&B बाजार का 23% प्रतिनिधित्व करते हैं। 
  • विश्लेषण किए गए ब्रांड: इसमें नेस्ले, पेप्सिको, यूनिलीवर, कोका-कोला और हर्षे जैसे प्रमुख ब्रांडों के उत्पादों का विश्लेषण किया गया।
  •  विधि: रिपोर्ट में खाद्य उत्पादों की स्वास्थ्यप्रदता का मूल्यांकन करने के लिए स्वास्थ्य स्टार रेटिंग प्रणाली का उपयोग किया गया।
स्वास्थ्य स्टार रेटिंग प्रणालीइस प्रणाली के तहत उत्पादों को उनके स्वास्थ्यप्रद होने के आधार पर 5 में से रैंक किया जाता है। 5 सबसे अच्छा है, और 3.5 से ऊपर का स्कोर एक स्वस्थ विकल्प माना जाता है। यह प्रणाली जोखिम बढ़ाने वाले माने जाने वाले खाद्य पदार्थों के घटकों का आकलन करती है और जोखिम को कम करने वाले माने जाने वाले घटकों के साथ इनका मिलान करके अंतिम स्कोर की गणना करती है जिसे स्टार रेटिंग में बदल दिया जाता है।

प्रमुख निष्कर्ष

  • पोर्टफोलियो स्वास्थ्यप्रदता: यह LMICs में सबसे कम पाया गया, जो विभिन्न बाजारों में प्रस्तुत किए जाने वाले उत्पादों में असमानताओं को उजागर करता है।
  •  वहनीयता: केवल 30% कंपनियों ने कम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए अपने कुछ ‘स्वास्थ्यप्रद’ उत्पादों की कीमत वहनीय रूप से तय करने की रणनीति का प्रदर्शन किया है।

वैश्विक स्वास्थ्य और भारतीय संदर्भ:

  • NCDs का उच्च भर: भारत में, मधुमेह और मोटापे जैसी NCDs(गैर-संचारी रोग) अस्वास्थ्यकर आहार के कारण बढ़ रही हैं, जिससे बीमारी का भार बढ़ रहा है। अनुमान है कि 10.13 करोड़ भारतीयों को मधुमेह है, और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार, महिलाओं में मोटापा 24% और पुरुषों में 23% है।
    • भारत के आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में पाया गया कि भारत के 56.4% रोग अस्वास्थ्यकर आहार से जुड़े हैं।
  • वहनीयता और आहार परिवर्तन: संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार 50% से अधिक भारतीय स्वस्थ आहार का व्यय नहीं वहन कर सकते हैं।
  • कुपोषण: भारत में कुपोषण, एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी लगातार गंभीर समस्याएँ बनी हुई हैं।
क्या आप जानते हैं ?भारतीय खाद्य और पेय पैकेजिंग उद्योग उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसके 2029 तक 86 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 14.8% है। इस क्षेत्र में पैकेजिंग उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है जैसे कंटेनर, कप, टेबलवेयर, स्ट्रॉ, बैग, रैप और बॉक्स, जो सभी खाद्य पदार्थों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

भारत में खाद्य लेबलिंग:

  • भारत ने अभी तक पैक के सामने चीनी, वसा और सोडियम के अस्वास्थ्यकर स्तरों को इंगित करने के लिए खाद्य लेबलिंग पर महत्वपूर्ण प्रगति नहीं की है।
  • जबकि भारत ने खाद्य विपणन और लेबलिंग पर अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं (उदाहरण के लिए, बच्चों को अस्वास्थ्यकर भोजन बेचने के लिए WHO के दिशानिर्देश), खाद्य लेबलिंग पर विनियमन रुके हुए हैं।

अन्य संबंधित पहल

  • FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण):
    • यह खाद्य सुरक्षा मानकों को विनियमित करने के लिए उत्तरदायी केंद्रीय प्राधिकरण है।
    • यह खाद्य गुणवत्ता, स्वच्छता और पैकेजिंग के लिए मानक निर्धारित करता है।
    • यह खाद्य व्यवसाय लाइसेंसिंग और पंजीकरण की देखरेख भी करता है।
    • खाद्य व्यवसायों को अपने संचालन के पैमाने (जैसे, निर्माता, खुदरा विक्रेता, आयातक) के आधार पर FSSAI लाइसेंस पंजीकृत करना या प्राप्त करना होगा।
  • खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006:
    • यह कानून खाद्य सुरक्षा के लिए रूपरेखा प्रदान करता है और खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, भंडारण, बिक्री एवं आयात को नियंत्रित करता है।
    • यह खाद्य व्यवसायों को लाइसेंस या पंजीकरण प्राप्त करना अनिवार्य बनाता है।
  • गैर-अनुपालन के लिए दंड: खाद्य सुरक्षा विनियमों का गैर-अनुपालन दंड, जुर्माना, निलंबन या लाइसेंस रद्द करने का कारण बन सकता है। 
  • उपभोक्ता संरक्षण: विनियमों में उपभोक्ता सुरक्षा के लिए प्रावधान शामिल हैं, जैसे कि स्पष्ट खाद्य लेबलिंग की आवश्यकता और असुरक्षित खाद्य उत्पादों को वापस बुलाने की क्षमता।
कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन (CAC)यह 1963 में स्थापित एक अंतर-सरकारी खाद्य मानक निकाय है। “कोडेक्स एलीमेंटेरियस” शब्द लैटिन में “खाद्य संहिता” के लिए है। इसे संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा संयुक्त खाद्य मानक कार्यक्रम के ढांचे के अंदर संयुक्त रूप से स्थापित किया गया था। उद्देश्य: उपभोक्ता के स्वास्थ्य की रक्षा करना और खाद्य व्यापार में निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करना। सदस्य: वर्तमान में, 189 सदस्य (188 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश और यूरोपीय संघ)। आयोग की वर्ष में एक बार जिनेवा और रोम के बीच बारी-बारी से नियमित सत्र में बैठक होती है।

भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ

  • परीक्षण सुविधाओं का अभाव: पर्याप्त रूप से सुसज्जित खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की कमी है, जिससे पूरे देश में खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा की निगरानी करने की क्षमता सीमित हो जाती है।
  • उपभोक्ता जागरूकता का अभाव: जनसँख्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खाद्य सुरक्षा मानकों, लेबलिंग आवश्यकताओं या सुरक्षित भोजन के अपने अधिकारों के बारे में पूरी तरह से जागरूक नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता सतर्कता कम है।
  • कमज़ोर निगरानी और निरीक्षण: नियमित निरीक्षण और प्रवर्तन के लिए अपर्याप्त संसाधनों के परिणामस्वरूप खाद्य सुरक्षा विनियमों का कम अनुपालन होता है।
  • स्ट्रीट फ़ूड और छोटे विक्रेता: खाद्य पदार्थों का एक बड़ा भाग अपंजीकृत विक्रेताओं द्वारा बेचा जाता है जो खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करते हैं, प्रायः जागरूकता, संसाधनों या नियामक निरीक्षण की कमी के कारण।
  • बिना लाइसेंस वाले खाद्य उत्पादक: कई छोटे पैमाने के खाद्य उत्पादक और विक्रेता आवश्यक लाइसेंस के बिना कार्य करते हैं, नियामक नियंत्रणों को दरकिनार करते हैं।
  • लेबल पर झूठे दावे: खाद्य लेबल पर स्वास्थ्य लाभ और जैविक प्रमाणपत्रों के बारे में भ्रामक दावे सामान्य हैं, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सूचित निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है।

सुझावात्मक उपाय

  • पैकेज के सामने लेबलिंग: यह उच्च चीनी, वसा और सोडियम सामग्री को इंगित करेगा, उदाहरण के लिए चिली और मैक्सिको में, इस तरह के अनिवार्य लेबलिंग के बाद शर्करा युक्त पेय पदार्थों की खपत कम हो गई।
  • सार्वजनिक जागरूकता अभियान: खाद्य सुरक्षा मानकों, लेबलिंग और खाद्य जनित बीमारी की रोकथाम के बारे में उपभोक्ताओं को शिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय अभियान शुरू करें।
  • मानकों की नियमित समीक्षा: तकनीकी प्रगति और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ तालमेल रखने के लिए खाद्य सुरक्षा मानकों को नियमित रूप से अपडेट एवं समीक्षा करें।
  • वैश्विक सामंजस्य: भारत के खाद्य सुरक्षा विनियमों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों (जैसे, कोडेक्स एलिमेंटेरियस) के साथ संरेखित करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय खाद्य उत्पाद उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।

Source: TH