पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने “राज्य वित्त: 2024-25 के बजट का एक अध्ययन” रिपोर्ट जारी की।
प्रमुख विशेषताएँ
- राज्यों का GFD: राज्य सरकारों ने 2022-23 और 2023-24 के दौरान अपने समेकित सकल राजकोषीय घाटे (GFD) को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3% के अंदर और अपने राजस्व घाटे को GDP के 0.2% पर सीमित रखा।
- 2024-25 में, राज्यों ने GDP के 3.2% के GFD का बजट बनाया है।
- व्यय: पूँजीगत व्यय 2021-22 में GDP के 2.4% से बढ़कर 2023-24 में 2.8% हो गया और 2024-25 में GDP के 3.1% पर बजट बनाया गया।
- देनदारियाँ (Liabilities): राज्यों की कुल बकाया देनदारियाँ 2021 में GDP के 31.0% से घटकर 2024 में 28.5% हो गईं, लेकिन महामारी से पहले के स्तर से ऊपर बनी हुई हैं।
- कर और व्यय सुधारों के साथ-साथ राज्य-विशिष्ट राजकोषीय उत्तरदायित्व विधान (FRL) ने पिछले दो दशकों में उनके वित्त को मजबूत किया है।
राज्यों में राजकोषीय विवेक (Fiscal Prudence) की कमी के कारण:
- योजनाओं पर व्यय: कृषि ऋण माफी, मुफ्त/सब्सिडी वाली सेवाओं और किसानों, युवाओं एवं महिलाओं को नकद हस्तांतरण के कारण सब्सिडी पर व्यय में तीव्र वृद्धि हुई है।
- राज्यों के लिए लोचशीलता की कमी: केंद्र सरकार की बहुत सी योजनाएँ राज्य सरकार के व्यय के लोचशीलता को कम करती हैं और सहकारी राजकोषीय संघवाद की भावना को क्षीण करती हैं।
- डेटा उपलब्धता की कमी: राज्यों के राजकोषीय जोखिम आकलन के लिए विश्वसनीय और व्यापक डेटा की समय पर उपलब्धता महत्त्वपूर्ण है।
- राज्यों की FRL में कुछ परिभाषाएँ अक्सर वित्त आयोगों, केंद्रीय वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक की परिभाषाओं से असंगत होती हैं।
- इससे रिपोर्टिंग में अस्पष्टता, सार्वजनिक खाता मदों के विभेदक उपचार, गैर-समान नामकरण और ऋण देनदारियों की कम रिपोर्टिंग हुई।
- एक समान रिपोर्टिंग की कमी: राज्यों द्वारा आकस्मिक देनदारियों और ऑफ-बजट उधारों की एक समान रिपोर्टिंग महत्त्वपूर्ण है।
राज्यों के लिए सिफारिशें:
- सब्सिडी को तर्कसंगत बनाना: राज्यों को अपनी सब्सिडी व्यय को तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह के व्यय से अधिक उत्पादक व्यय प्रभावित न हो।
- केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) को तर्कसंगत बनाने से राज्य-विशिष्ट व्यय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बजटीय स्थान रिक्त हो सकता है और संघ एवं राज्य सरकारों दोनों का राजकोषीय भार कम हो सकता है।
- ऋण समेकन के लिए नीतिगत ढाँचा: उच्च ऋण स्तर वाले राज्य ऋण समेकन के लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी मार्ग स्थापित कर सकते हैं जो व्यापक आर्थिक उद्देश्यों के साथ संरेखित हो।
- बजट से बाहर उधारी की रिपोर्टिंग: बजट से बाहर उधारी की लगातार रिपोर्टिंग से राजकोषीय पारदर्शिता और अनुशासन बढ़ेगा, साथ ही उधार लेने की लागत कम होने जैसे संभावित लाभ भी होंगे।
- स्थानीय निकायों को पर्याप्त और समय पर धन हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए राज्य वित्त आयोगों को सुदृढ़ करना भी महत्त्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
- कुल मिलाकर, जबकि राज्य सरकारों ने राजकोषीय समेकन में प्रगति की है, व्यय दक्षता में और सुधार की संभावना है।
- राज्यों द्वारा किए गए समन्वित प्रयासों से व्यापक आर्थिक स्थिरता के साथ उच्च आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
Source: TH
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