17वाँ सिविल सेवा दिवस

पाठ्यक्रम: GS2/ शासन

संदर्भ

  • भारत के प्रधान मंत्री ने नई दिल्ली में 17वें सिविल सेवा दिवस के अवसर पर सिविल सेवकों को संबोधित किया।

सिविल सेवा दिवस

  • सिविल सेवा दिवस प्रत्येक वर्ष 21 अप्रैल को मनाया जाता है।
  • यह दिन 1947 में उस दिन के स्मरण में मनाया जाता है जब सरदार वल्लभभाई पटेल ने मेटकाफ हाउस, नई दिल्ली में सिविल सेवकों के प्रथम बैच को संबोधित किया था।
  • उन्होंने सिविल सेवकों को “भारत का स्टील फ्रेम” कहा था और एकता एवं अखंडता बनाए रखने में उनकी भूमिका पर बल दिया था।
भारत में सिविल सेवाओं का इतिहास
– लॉर्ड कॉर्नवालिस को ‘भारत में सिविल सेवाओं का जनक’ माना जाता है। 
– लॉर्ड वेलेस्ली ने सिविल सेवाओं के लिए युवा भर्तियों को शिक्षित करने के लिए 1800 में कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की। 
1. लेकिन कंपनी के निदेशकों ने 1806 में इसे इंग्लैंड के हैलीबरी में अपने स्वयं के ईस्ट इंडियन कॉलेज से बदल दिया। 
– 1853 से पहले ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक सिविल सेवकों की नियुक्ति करते थे। 
– बोर्ड ऑफ कंट्रोल के सदस्यों को कुछ नामांकन करने की अनुमति थी। 
– 1853 के चार्टर एक्ट ने संरक्षण प्रणाली को समाप्त कर दिया और खुली प्रतियोगी परीक्षाएँ प्रारंभ कीं। 
– भारतीय सिविल सेवा (ICS) के लिए पहली प्रतियोगी परीक्षाएँ 1855 में लंदन में आयोजित की गईं। 
– सत्येंद्रनाथ टैगोर 1864 में ICS पास करने वाले प्रथम भारतीय थे।

शासन में सिविल सेवाओं की भूमिका 

  • सेवा वितरण: वे कल्याणकारी योजनाओं के प्रशासन और सुनिश्चित करते हैं कि सार्वजनिक सेवाएँ लक्षित लाभार्थियों तक, विशेष रूप से अंतिम बिंदु तक, पहुँचें। 
  • कानून और व्यवस्था बनाए रखना: सिविल सेवाएँ कानून के शासन को बनाए रखते हुए, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय कर शांति, न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।

सिविल सेवाओं द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ 

  • रैड-टैपिज़्म: अत्यधिक प्रक्रियात्मक औपचारिकताएँ निर्णय लेने में देरी करती हैं और समय पर सेवा वितरण में बाधा डालती हैं।
  •  मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ: उच्च दबाव वाले कार्य वातावरण और लंबे कार्य घंटे सिविल सेवकों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। 
  • नवाचार के प्रति प्रतिरोध: कठोर प्रशासनिक संस्कृति प्रयोग और नई प्रथाओं को अपनाने को हतोत्साहित करती है। 
  • पुराने नियम और प्रक्रियाएँ: कई सेवा नियम ब्रिटिश काल के हैं, जो आधुनिक शासन की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं।

संवैधानिक प्रावधान 

  • अनुच्छेद 309: संसद और राज्य विधानसभाओं को भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित करने का अधिकार देता है। 
  • अनुच्छेद 310: संघ और राज्यों के सिविल सेवकों को राष्ट्रपति या राज्यपाल के प्रसादपर्यंत  पद धारण करने का प्रावधान करता है। 
  • अनुच्छेद 311: सिविल सेवकों को मनमाने ढंग से बर्खास्त किए जाने से सुरक्षा प्रदान करता है। 
  • अनुच्छेद 312: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFoS) जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के सृजन की प्रक्रिया को निर्दिष्ट करता है। 
  • अनुच्छेद 315 से 323: भारतीय संविधान संघ (UPSC) और प्रत्येक राज्य (SPSC) के लिए लोक सेवा आयोगों (PSC) की स्थापना करता है।

ब्यूरोक्रेसी की दक्षता बढ़ाने के लिए शासन सुधार 

  • मिशन कर्मयोगी राष्ट्रीय कार्यक्रम: यह भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे 2020 में सिविल सेवकों के प्रशिक्षण के लिए प्रारंभ किया गया था। 
  • इसका उद्देश्य सिविल सेवाओं को ‘नियम आधारित’ से ‘भूमिका आधारित’ और नागरिक केंद्रित कार्यप्रणाली में बदलना है। मिशन कर्मयोगी के छह स्तंभ हैं—
    • नीति ढाँचा
    • संस्थागत ढाँचा
    • दक्षता ढाँचा
    • डिजिटल लर्निंग फ्रेमवर्क (iGOT-Karmayogi प्लेटफॉर्म)
    • इलेक्ट्रॉनिक मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (e-HRMS)
    • निगरानी और मूल्यांकन ढाँचा
  • सिविल सेवाओं में पार्श्व प्रवेश (Lateral Entry): प्रशासन में क्षेत्रीय विशेषज्ञता लाने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए। 
  • ई-गवर्नेंस पहल: शिकायत निवारण के लिए केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (SPARROW ), प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए स्पैरो और सेवा रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण।

निष्कर्ष 

  • सिविल सेवक भारत की वृद्धि और शासन के मार्ग को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इन्हें अक्सर ‘विकसित भारत’ के वास्तुकार कहा जाता है। 
  • पंच प्रण—विकसित भारत के प्रति प्रतिबद्धता, औपनिवेशिक मानसिकता का त्याग, विरासत पर गर्व, एकता, और कर्तव्य भावना—को अपनाकर सिविल सेवक एक समृद्ध, सशक्त, एवं आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार कर सकते हैं।

Source: PIB