आंध्र प्रदेश फार्मा प्लांट में रिएक्टर विस्फोट

पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-3/योजना; रोजगार; बुनियादी ढांचा

सन्दर्भ

  • हाल ही में, आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली के अचुटापुरम में विशेष आर्थिक क्षेत्र में एसिएंटिया एडवांस्ड साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड के एक रिएक्टर में विस्फोट के बाद भीषण आग लग गई, जिससे कम से कम 17 श्रमिकों की मौत हो गई और अन्य 20 झुलस गए।
    • जानकारी दी जा रही है कि रिएक्टर में खराबी आने के कारण यह विस्फोट हुआ। यह कंपनी मध्यवर्ती रसायन और दवा सामग्री बनाती है।

भारत में कारखाना दुर्घटनाएँ

  • औद्योगिक दुर्घटनाएँ श्रमिकों, समुदायों और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण जोखिम उत्पन्न करती हैं। 
  • भारत में, ये घटनाएँ चिंता का विषय रही हैं, जो जीवन, आजीविका और आर्थिक उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दस वर्षों में 130 महत्वपूर्ण रासायनिक दुर्घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप 259 मृत्यु हुईं और 563 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

कारखाना/औद्योगिक दुर्घटनाओं के सामान्य कारण

  • सुरक्षा उपायों का अभाव: कुछ कारखाने उचित सुरक्षा प्रोटोकॉल के बिना कार्य करते हैं, जिनमें अपर्याप्त प्रशिक्षण, अपर्याप्त सुरक्षात्मक उपकरण और खराब रखरखाव वाली मशीनरी सम्मिलित हैं।
    • वर्ष 2016, 2018, 2020 और 2023 में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें घातक औद्योगिक दुर्घटनाएं लगातार हो रही हैं।
    •   हाल ही में हुए विस्फोट में शामिल रासायनिक कारखाने के बॉयलर को भारतीय बॉयलर विनियम, 1950 के तहत पंजीकृत भी नहीं किया गया था। 
    • लापरवाही और थकान जैसी मानवीय भूल प्रायः दुर्घटनाओं का कारण बनती है।
  • असुरक्षित कार्य वातावरण: भीड़भाड़ वाले स्थान, अव्यवस्थित भूतल और अपर्याप्त वेंटिलेशन दुर्घटनाओं के जोखिम में वृद्धि करते हैं। इसके अतिरिक्त, खतरनाक सामग्रियों (जैसे रसायन, गैस या भारी मशीनरी) से निपटने वाले कारखानों को अधिक जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
  • मशीनरी की खराबी: खराब उपकरण, रखरखाव की कमी और पुरानी मशीनरी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है। भारी मशीनरी चलाने वाले कर्मचारी विशेष रूप से असुरक्षित हैं।
  • बिजली के जोखिम: बिजली की आग, झटके और शॉर्ट सर्किट कारखानों में एक महत्वपूर्ण जोखिम उत्पन्न करते हैं। खराब इंसुलेटेड वायरिंग और ओवरलोडेड सर्किट दुर्घटनाओं की संभावनाओं में वृद्धि करते हैं।
  • रासायनिक जोखिम: रसायनों से सम्बंधित कारखानों (जैसे, दवा, कपड़ा या रासायनिक उद्योगों में) को उन्हें सावधानी से संभालना चाहिए। आकस्मिक रिसाव या साँस के द्वारा पदार्थ के अंदर चले जाने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
  • कम निरीक्षण दर: खतरनाक कारखानों के लिए निरीक्षण दर चिंताजनक रूप से कम है। उदाहरण के लिए:
    • महाराष्ट्र में, 2021 में केवल 23.89% खतरनाक कारखानों का निरीक्षण किया गया।
    •  तमिलनाडु में सामान्य निरीक्षण दर 17.04% और खतरनाक कारखानों का निरीक्षण दर 25.39% थी।
    •  गुजरात की निरीक्षण दरें 19.33% (सामान्य) और 19.81% (खतरनाक) थीं। 
    • राष्ट्रीय स्तर पर, ये आंकड़े 14.65% (सामान्य) और 26.02% (खतरनाक) थे।
  • खराब अभियोजन दरें: अभियोजन दरें (कुल अभियोजन के प्रतिशत के रूप में निर्णीत मामले) भी संतोषजनक नहीं हैं, बल्कि निराशाजनक हैं।
  • गुजरात: 6.95%
  •  महाराष्ट्र: 13.84%
  • तमिलनाडु: 14.45%

श्रमिकों पर प्रभाव

  • अभिघात: मशीनरी दुर्घटना, गिरने या रासायनिक जोखिम के कारण श्रमिकों को कट, जलन, फ्रैक्चर और अन्य शारीरिक अभिघात हो सकते हैं।
  • अंग-विच्छेदन: जैसा कि हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया है, ऑटो-सेक्टर के कर्मचारी प्रायः कुचलने की चोटों के कारण अपनी उंगलियाँ खो देते हैं।
  • मृत्यु: दुखद रूप से, कुछ दुर्घटनाओं मेंमृत्यु भी हो जाती है।
  • दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ: खतरनाक पदार्थों के संपर्क में आने से श्वसन संबंधी समस्याएँ, त्वचा संबंधी विकार और कैंसर सहित दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।

आगे की राह

  • जागरूकता: श्रमिकों और नियोक्ताओं को सुरक्षा प्रथाओं के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
  • नियमित निरीक्षण: अधिकारियों को सुरक्षा खामियों की पहचान करने के लिए नियमित निरीक्षण करना चाहिए।
  • सुरक्षा में निवेश: नियोक्ताओं को उचित प्रशिक्षण, सुरक्षा गियर और अच्छी तरह से बनाए रखी गई मशीनरी सहित सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • कानूनी जवाबदेही: सुरक्षा नियमों का सख्त प्रवर्तन महत्वपूर्ण है।

कानूनी ढांचा

  • भारत में कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कानून और नियम हैं। व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020, व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित प्रावधानों को समेकित करती है।
    • हालाँकि, प्रभावी कार्यान्वयन और प्रवर्तन में अभी भी चुनौतियां बनी हुई हैं।
  • कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर राष्ट्रीय नीति (NPSHEW), औद्योगिक सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन योजनाएं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), भारतीय मानक ब्यूरो (BIS), और श्रम निरीक्षण और प्रवर्तन जैसी सरकार की पहलें महत्वपूर्ण हैं।

संबंधित वैश्विक प्रयास

  • व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य पर वैश्विक रणनीति (2024-2030): अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने श्रमिकों के कल्याण को प्राथमिकता देने के लिए एक नई योजना प्रस्तुत की है।
    • इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और सभ्य कार्य के प्रति ILO की प्रतिबद्धता के अनुरूप, विश्व भर में कार्यस्थलों पर सुरक्षा एवं स्वास्थ्य को बढ़ाना है।

अंतर्राष्ट्रीय उपकरण और समर्थन

  • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD): रासायनिक दुर्घटनाओं की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए नीति मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • यूरोपीय संघ की नीति: प्रमुख दुर्घटना जोखिमों पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण: स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर रोकथाम और तैयारी का समर्थन करता है।
  • WHO: रासायनिक घटनाओं के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य का प्रबंधन करता है।
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNISDR): आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए एक नए ढांचे का समर्थन करता है।
  • रासायनिक हथियारों के निषेध के लिए संगठन (OPCW): रासायनिक बचाव और सुरक्षा कार्यक्रमों को लागू करता है।

निष्कर्ष

  • निरीक्षण प्रणाली के माध्यम से श्रम बाजार प्रशासन में तत्काल सुधार की आवश्यकता है। तभी हम कारखानों की दुर्घटनाओं को प्रतिवंधित कर सकते हैं और श्रमिकों के जीवन की रक्षा कर सकते हैं।
  • प्रौद्योगिकी में तीव्रता से हो रहे परिवर्तनों और खतरनाक तथा रासायनिक पदार्थों के उपयोग के कारण, निरीक्षण में वृद्धि महत्वपूर्ण है।

Source: TH