पाठ्यक्रम: GS1/ भूगोल
संदर्भ
- बढ़ती चरम मौसम घटनाओं के साथ, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) भविष्यवाणी की सटीकता को पारंपरिक मॉडलों से आगे बढ़ाने के लिए एक परिवर्तनकारी उपकरण के रूप में उभर रही है।
पारंपरिक मौसम भविष्यवाणी मॉडल
- पारंपरिक मौसम पूर्वानुमान संख्यात्मक मौसम भविष्यवाणी (NWP) मॉडलों का उपयोग करता है।
- यह मॉडल तरल गतिकी और ऊष्मागतिकी के समीकरणों का उपयोग करके वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का अनुकरण करता है।
- ये भौतिकी-आधारित मॉडल उपग्रहों, राडार एवं मौसम स्टेशनों से अवलोकन डेटा इनपुट करते हैं और गणना के लिए उच्च-प्रदर्शन सुपरकंप्यूटर की आवश्यकता होती है।
AI मॉडल के साथ मौसम की भविष्यवाणी
- पारंपरिक मौसम मॉडलों के विपरीत, जो भौतिकी के नियमों पर निर्भर करते हैं, AI-आधारित मॉडल डेटा से प्रारंभ होते हैं।
- ये मॉडल मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके पैटर्न की पहचान करते हैं और इनपुट चर—जैसे तापमान, आर्द्रता, हवा की गति—और परिणामस्वरूप मौसम की घटनाओं, जैसे चक्रवात या भारी वर्षा, के बीच संबंध सीखते हैं।
- ये पृथ्वी के वायुमंडल को नियंत्रित करने वाली भौतिक प्रक्रियाओं के किसी भी पूर्व ज्ञान के बिना ऐसा करते हैं।
मौसम पूर्वानुमान में AI मॉडलों के लाभ
- बिग डेटा का उपयोग करने की क्षमता: AI मॉडल उपग्रहों, राडार, मौसम स्टेशनों और यहाँ तक कि सोशल मीडिया से विशाल डेटा प्रोसेस कर सकते हैं, जिससे वे सूक्ष्म संकेतों एवं प्रवृति का पता लगा सकते हैं।
- गैर-रैखिक प्रणालियों को संभालना: AI मॉडल पृथ्वी प्रणाली चर के बीच छिपे हुए पैटर्न और गैर-रैखिक कारण-प्रभाव संबंधों को उजागर करने की क्षमता रखते हैं, जिन्हें भौतिकी-आधारित मॉडल अनदेखा कर सकते हैं।
- स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूलन: AI स्थानीय भौगोलिक, स्थलाकृतिक और जलवायु कारकों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र-विशिष्ट मॉडल बनाने की अनुमति देता है, जिससे पूर्वानुमान की प्रासंगिकता में सुधार होता है।
- रियल-टाइम पूर्वानुमान: AI तेजी से “नौकास्टिंग” (अगले कुछ घंटों में मौसम पूर्वानुमान) में सक्षम है, जो आपदा तैयारी और शहरी नियोजन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
AI-आधारित मौसम पूर्वानुमान में चुनौतियाँ
- जटिलता: मौसम प्रणालियाँ अपनी गतिशील प्रकृति को पकड़ने के लिए परिष्कृत मॉडलों की आवश्यकता होती हैं।
- मानव संसाधन अंतर: मौसम विज्ञान एवं AI/ML दोनों में अंतःविषय विशेषज्ञता वाले पेशेवरों की कमी है, जिससे उच्च-गुणवत्ता वाले मॉडलों के विकास और तैनाती में बाधा आती है।
- अपर्याप्त सेंसर नेटवर्क: भारत की विविध स्थलाकृति क्षेत्रीय रूप से तैयार किए गए मॉडलों की आवश्यकता को बढ़ाती है, लेकिन मौसम संबंधी बुनियादी ढाँचे की खामियों के कारण यह बाधित होती है, जिससे खराब डेटा उपलब्धता होती है।
- जलवायु परिवर्तन: आज के जलवायु डेटा पर प्रशिक्षित AI मॉडल गर्म भविष्य में कम प्रभावी हो सकते हैं, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण वायुमंडलीय प्रणाली विकसित होती रहती है।
- डेटा-संबंधी समस्याएँ: AI मॉडलों को प्रभावी ढंग से प्रशिक्षित करने के लिए बड़े, उच्च-गुणवत्ता वाले डेटा सेट की आवश्यकता होती है, लेकिन सेंसर त्रुटियों, स्वरूप असंगतियों और डेटा में स्थानिक-कालिक अंतराल के कारण यह चुनौतीपूर्ण होता है।
- AI मॉडलों की “ब्लैक बॉक्स” प्रकृति: AI प्रणालियाँ, विशेष रूप से डीप लर्निंग मॉडल, “ब्लैक बॉक्स” के रूप में कार्य करती हैं, जिसका अर्थ है कि उनकी निर्णय लेने की प्रक्रिया अपारदर्शी होती है। यह गैर-विशेषज्ञों और परिचालन मौसम विज्ञानियों के बीच विश्वास और व्याख्या में बाधा डालता है।
भारत में मौसम पूर्वानुमान
- वर्तमान में, भारत मौसम भविष्यवाणी के लिए उपग्रह डेटा और कंप्यूटर मॉडलों पर निर्भर करता है।
- भारतीय मौसम विभाग (IMD) INSAT शृंखला के उपग्रहों और सुपरकंप्यूटर का उपयोग करता है।
- भारत में तीन उपग्रह, INSAT-3D, INSAT-3DR और INSAT-3DS, मुख्य रूप से मौसम संबंधी अवलोकनों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- पूर्वानुमानकर्त्ता बादल की गति, बादल के शीर्ष का तापमान और जल वाष्प सामग्री से जुड़े उपग्रह डेटा का उपयोग करते हैं, जो वर्षा अनुमान, मौसम पूर्वानुमान एवं चक्रवात ट्रैकिंग में सहायता करता है।
क्षमता सुधारने के लिए उठाए गए कदम
- मिशन मौसम: इसे भारत के मौसम विभाग की पूर्वानुमान, मॉडलिंग और प्रसार क्षमताओं को उन्नत करने के लिए प्रारंभ किया गया। इस मिशन के उद्देश्य हैं:
- अत्याधुनिक मौसम निगरानी प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों को विकसित करना।
- उन्नत उपकरण पेलोड वाले अगली पीढ़ी के राडार और उपग्रहों को लागू करना।
- उन्नत पृथ्वी प्रणाली मॉडल और डेटा-संचालित विधियों (AI/ML का उपयोग) को विकसित करना।
- राष्ट्रीय मानसून मिशन: 2012 में इस प्रणाली की ओर राष्ट्र को स्थानांतरित करने के लिए स्थापित किया गया था, जो वास्तविक समय, जमीनी डेटा संग्रह पर अधिक निर्भर करता है।
- डॉपलर राडार का बढ़ता उपयोग: IMD पूर्वानुमान दक्षता में सुधार के लिए तेजी से डॉपलर राडार का उपयोग कर रहा है। डॉपलर राडार की संख्या 2013 में 15 से बढ़कर 2023 में 37 हो गई।
- डॉपलर राडार तत्काल आस-पास की वर्षा की भविष्यवाणी करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिससे पूर्वानुमान अधिक समयबद्ध और सटीक बनता है।
- मंत्रालय की WINDS पहल: कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने वेदर इन्फॉर्मेशन नेटवर्क एंड डेटा सिस्टम (WINDS) प्रारंभ किया, जिसके तहत 2,00,000 से अधिक बुनियादी स्टेशन स्थापित किए जाएँगे, जो दीर्घकालिक, हाइपर-लोकल मौसम डेटा उत्पन्न करेंगे।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) – IMD पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी है। – यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिए जिम्मेदार प्रमुख एजेंसी है। – यह विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है। |
Source: TH
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