पराली जलाना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन: उच्चतम न्यायलय

पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण

सन्दर्भ

  • उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि पराली जलाना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

परिचय

  • न्यायालय ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में चिंता जताई। न्यायालय ने यह भी बताया कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 15 के तहत जुर्माना संग्रहण करने के लिए उचित व्यवस्था नहीं बनाई गई है।

पराली जलाना क्या है?

  • यह चावल, गेहूँ और अन्य अनाज की कटाई के बाद खेतों में बचे फसल अवशेषों (पराली) को जानबूझकर आग लगाने की प्रथा है।
  •  यह विधि सामान्यतः उत्तर भारत में, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में अपने खेतों को जल्दी से साफ करने और अगले बुवाई के मौसम के लिए उन्हें तैयार करने के लिए उपयोग की जाती है। 
  • पराली जलाने से निकलने वाले धुएँ में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), कार्बन मोनोऑक्साइड और ग्रीनहाउस गैसों जैसे हानिकारक प्रदूषक होते हैं, जो वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

पराली जलाने के कारण

  • लागत-प्रभावशीलता: यह बड़े खेतों को साफ करने का एक त्वरित और सस्ता तरीका है।
  • समय की बचत: विशेषतः उन क्षेत्रों में जहां कटाई और बुवाई के मौसम के बीच कम समय होता है।
  • सीमित विकल्प: किसानों के पास किफायती मशीनरी तक पहुंच की कमी हो सकती है जो प्रभावी रूप से पराली को हटा सकती है।

दिल्ली अन्य महानगरों की तुलना में अधिक प्रदूषित क्यों है?

  • सबसे पहले, दिल्ली का सिंधु-गंगा के मैदान में स्थित होना इसकी भौगोलिक स्थिति और आसपास के पहाड़ों के कारण प्रदूषकों को फंसा लेता है, जो प्रदूषकों को फैलने से रोकते हैं।
  • दूसरा, आस-पास के राज्यों द्वारा पराली जलाने से भारी मात्रा में धुआँ निकलता है, जो दिल्ली की ओर बहता है और देर से शरद ऋतु तथा शुरुआती सर्दियों के दौरान वायु की गुणवत्ता को खराब करता है।
  • तीसरा, औद्योगिक और वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन से वातावरण भी खराब हो जाता है।
  • चौथा, सर्दियों के दौरान दिल्ली में तापमान उलटा होता है, जहाँ ठंडी हवा प्रदूषकों को ज़मीन के करीब फँसा लेती है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग(CAQM)
– CAQM का गठन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के तहत किया गया था।
–  उद्देश्य: अधिनियम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं के बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान तथा समाधान के लिए एक आयोग के गठन का प्रावधान करता है। 
– आयोग की शक्तियों में शामिल हैं; 
1. वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली गतिविधियों को प्रतिबंधित करना वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कोड तथा दिशानिर्देश तैयार करना निरीक्षण या विनियमन सहित मामलों पर निर्देश जारी करना जो संबंधित व्यक्ति या प्राधिकरण पर बाध्यकारी होगा।2. आयोग केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित पराली जलाने से प्रदूषण उत्पन्न करने वाले किसानों से पर्यावरण मुआवजा लगा सकता है और उसका संग्रहण कर सकता है।
3. आयोग ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आदेश जारी करता है। किसी भी विवाद की स्थिति में, आयोग के आदेश या निर्देश संबंधित राज्य सरकारों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), राज्य PCBs और राज्य स्तरीय वैधानिक निकायों के आदेशों पर प्रबल होंगे।

Source: TH

 

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